सीता

भारत के रोम रोम में बसते हैं श्रीराम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या जाकर भव्य-दिव्य राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे और करोड़ों भारतीयों का सपना साकार करेंगे।

रूस से लेकर रोम और इंडोनेशिया से अफ्रीका तक फैली हैं सनातन संस्कृति की जड़ें

दक्षिण पूर्व एशिया के देश वियतनाम में खुदाई के दौरान बलुआ पत्थर का एक शिवलिंग मिलना ना सिर्फ पुरातात्विक शोध की दृष्टि से एक अद्भुत घटना है अपितु भारत के सनातन धर्म की सनातनता और उसकी व्यापकता का  एक अहम प्रमाण भी है।

राम और रामायण का विरोध करने वालों की मंशा क्या है?

राम केवल एक नाम भर नहीं, बल्कि वे जन-जन के कंठहार हैं, मन-प्राण हैं, जीवन-आधार हैं। उनसे भारत अर्थ पाता है। वे भारत के प्रतिरूप हैं और भारत उनका। उनमें कोटि-कोटि जन जीवन की सार्थकता पाता है। भारत का कोटि-कोटि जन उनकी आँखों से जग-जीवन को देखता है।

अयोध्या में साकार हुआ त्रेतायुग का दीपोत्सव

प्रभु राम के वियोग में अयोध्या के लोग भी चौदह वर्ष तक बेचैन रहे थे। इन सभी को वनवास की समाप्ति और प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा थी। ज्यों ज्यों यह समय निकट आ रहा था, जनमानस की व्याकुलता बढ़ती जा रही थी। भरत जी ने चित्रकूट में प्रभुराम से कहा था कि यदि वनवास के बाद निर्धारित अवधि तक आप वापस अयोध्या नहीं आये तो वह अपना जीवन ही समाप्त कर लेंगे।

अयोध्या में पुनः साकार हुई त्रेता युग की दीपावली !

बुधवार 18 अक्‍टूबर का दिन अयोध्‍या नगरी के लिए अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक था। पूरे नगरवासियों ने कुछ ऐसा देखा जिसकी अभी तक कल्‍पना भी नहीं रही होगी। दीपोत्‍सव का पर्व यादगार बन गया। मानो साक्षात त्रेता युग इस युग में उतर आया हो। उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की पहल पर अयोध्‍या में दीपावली पर्व भव्‍य पैमाने पर मनायी गयी। इस आयोजन की सूत्रधार भले ही सरकार थी, लेकिन यह जन