केरल विधान सभा में भाजपा का प्रवेश

केरल में बीजेपी ने इतिहास रच दिया है। यहां पहली बार किसी बीजेपी सदस्‍य ने जीत का परचम लहराया है। यहां हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट ओ462059-o-rajagopal (1) राजागोपाल ने राजधानी तिरुअनंतपुरम के उपनगरीय इलाके की नेमोम विधानसभा सीट पर सीपीएम लीडर वी शिवनकुट्टी को शिकस्‍त दी है। उन्‍हें 8500 से ज्‍यादा वोटों से जीत मिली। बता दें कि इससे पहले, केरल में बीजेपी का कोई भी विधायक या सांसद नहीं बना है।

राजागोपाल केरल में राजेट्टन के नाम से मशहूर हैं। वे केरल में दो दशक से बीजेपी के चेहरे रहे हैं। उनका जन्‍म 15 सितंबर 1929 को पलक्‍कड़ जिले के पुदुकोड पंचायत में हुआ था। उन्‍होंने कानून में स्‍नातक की डिग्री चेन्‍नई से ली। इसके बाद, वे 1956 से पलक्‍कड़ जिला अदालत में प्रैक्टिस करने लगे। राजागोपाल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनसंघ के साथ 1960 के दशक में की थी। बाद में वे इसके राज्‍य प्रभारी बने। 1980 में जब जनता पार्टी टूटी और भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ तो वे 1985 तक केरल के बीजेपी प्र‍ेसिडेंट रहे। वे पार्टी के अखिल भारतीय सचिव, जनरल सेक्रेटरी और उपाध्‍यक्ष भी रहे। 87 साल के राजागोपाल केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। वे पिछले एनडीए सरकार के डिफेंस, संसदीय मामलों, शहरी विकास, कानून, न्‍याय, कंपनी अफेयर्स, रेलवे जैसे मंत्रालयों में विभिन्‍न पदों पर रह चुके हैं। वे 1992 से 2004 के बीच राज्‍यसभा सांसद रहे हैं।

लगातार हारते रहे, लेकिन बीजेपी को मिला फायदा
राजागोपाल लोकसभा चुनावों में छह बार हार का स्‍वाद चख चुके हैं। 1980 के दशक में मंचेरी से लेकर पिछले साल हुए अरुविक्‍कारा में हुए उपचुनाव में। इन हार के बावजूद राजागोपाल असेंबली चुनावों में अच्‍छा परफॉर्म करते रहे। 2011 में उन्‍हें नेमोम सीट पर यूडीएफ कैंडिडेट के बाद सबसे ज्‍यादा 33 फीसदी वोट मिले। उनकी विरोधियों के बीच भी अच्‍छी छवि है। सीपीएम के कट्टर समर्थक माने जाने वाले 45 साल के प्रशांत नाम के शख्‍स ने द इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत में कहा था, ‘राजेट्टन एक अच्‍छे इंसान हैं। वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। वे कम से कम इस बार जीत के हकदार हैं।

(यह खबर जनसत्ता ऑनलाइन में १९ मई को प्रकाशित हुई थी )