कपिल मिश्रा के आरोपों के आगे निरुत्तर नज़र आ रही आम आदमी पार्टी

आज आप और हम कपिल मिश्रा के आरोपों को किस चश्मे से देखें? मंत्री पद से हटाए जाने के बाद कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर 2 करोड़ रूपये लेने का सनसनीखेज़ आरोप लगाया और कहा कि इस रिश्वत का विरोध किए जाने के कारण ही उन्हें मंत्री पद से हटाया गया है। इस पूरे मामले पर केजरीवाल चुप रहे, मनीष सिसोदिया के अलावा और कोई कुछ भी नहीं बोला। अगले दिन संजय सिंह ने इसे राष्ट्रीय स्तर का षड्यंत्र करार दिया, कहा गया कि कपिल मिश्रा बीजेपी का एजेंट है। लेकिन, आप नेताओं की इस तरह की आधारहीन बातों से कपिल मिश्रा द्वारा केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर लगाए गए आरोप कमजोर नहीं हो जाते।

क्या अरविन्द केजरीवाल कपिल मिश्रा के आरोपों को केवल इसलिए दरकिनार कर सकते हैं, क्योंकि वह कभी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से जुड़े हुए थे ? राजनीति में कोई भी संशय से परे नहीं होता, केजरीवाल भी नहीं। भारत में अगर कोई नेता इस यथार्थ को झुठलाकर भोली-भाली जनता को चकमा देने की कोशिश करे तो जनता उसे नकार देती है। दिल्ली की जनता कुछ समय के लिए मोहपाश में बंध गई थी। अब सच्चाई सामने आ रही है। आम आदमी पार्टी के दर्जनों विधायकों ने ऐसे-ऐसे कारनामें किए जो गैर कानूनी थे, साथ-साथ उन सिद्धांतों के खिलाफ भी थे, जिनको ध्यान में रखकर दिल्ली की जनता ने उन्हें पूर्ण बहुमत देकर दिल्ली की सत्ता में भेजा था।  

साभार : गूगल

आज आप और हम कपिल मिश्रा के आरोपों को किस चश्मे से देखें? मंत्री पद से हटाए जाने के बाद कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर 2 करोड़ रूपये लेने का सनसनीखेज़ आरोप लगाया और कहा कि इस रिश्वतकाण्ड का विरोध किए जाने के कारण ही उन्हें मंत्री पद से हटाया गया है। इस पूरे मामले पर केजरीवाल चुप रहे, मनीष सिसोदिया के अलावा और कोई कुछ भी नहीं बोला। अगले दिन संजय सिंह ने इसे राष्ट्रीय स्तर का षड्यंत्र करार दिया, कहा गया कि कपिल मिश्रा बीजेपी का एजेंट है। लेकिन, आप नेताओं की इस तरह की आधारहीन बातों से कपिल मिश्रा द्वारा केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर लगाए गए आरोप कमजोर नहीं हो जाते।

कपिल मिश्रा ने चुनावी फंड में हुई धांधलेबाजी पर पूरी पार्टी को ही अपने लपेटे में ले लिया। कपिल मिश्रा ने उन आरोपों के सबूत दुनिया के सामने रखे हैं। प्रथमदृष्टया, इन आरोपों को आधार बनाकर जांच शुरू करने के लिए पर्याप्त तथ्य मौजूद हैं। केजरीवाल पर आरोप है कि चुनाव आयोग को केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की फंडिंग के बारे में गलत जानकारी दी। यही नहीं, इनकम टैक्स को भी कई बार गलत एंट्रीज़ भेजी गई। कपिल मिश्रा ने इन आंकड़ों का ज़ोरदार खुलासा किया है।

वर्ष 2013-2016 के बीच आम आदमी पार्टी की डोनेशन की कहानी उलझी रही है। कपिल मिश्रा ने भी यही कहा कि पार्टी में खुलेआम काले धन को सफ़ेद किया जा रहा था। कपिल के आरोपों के मुताबिक पार्टी के बैंक अकाउंट में जब 45 करोड़ रुपए थे, तो वेबसाइट पर 19 करोड़ रूपये होने की जानकारी दी गई। आखिर 26 करोड़ की जानकारी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं और जनता से क्यों छुपाई गई? पंजाब, दिल्ली और गोवा में लोगों से बार-बार चंदा माँगा गया जबकि पैसे की कोई कमी थी ही नहीं। उल्लेखनीय बात यह है कि अपने इन आरोपों के सम्बन्ध में कपिल मिश्रा ने ठोस कागज़ी दस्तावेज भी पेश किए हैं। यानी कि ये आरोप हवा-हवाई नहीं कहे जा सकते।

साभार : गूगल

लेकिन, अभी फिलहाल न तो अरविन्द केजरीवाल और न ही उनकी पार्टी इन आरोपों की गंभीरता पर विचार करती नज़र आ रही है या इनका जवाब देने को तैयार दिख रही। बल्कि केजरीवाल मामले को सतही तौर पर उलझाकर ध्यान बंटाना चाहते हैं। अगर दो करोड़ के रिश्वत के आरोपों को किनारे भी कर दें तो पारिवारिक रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने का आरोप गंभीर है, जिसपर केजरीवाल को फ़ौरन जवाब देना ही चाहिए था। लेकिन हुआ इसके उलट, अरविन्द केजरीवाल की जगह उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने मोर्च संभाल लिया और आरोपों का तार्किक जवाब देने की बजाय बात फिजूल की नोक-झोंक में उलझकर रह गयी।

अरविन्द के केजरीवाल के साढू सुरिंदर बंसल आज जिंदा नहीं रहे, लेकिन उन आरोपों को देखना भी ज़रूरी है। जिस दिन कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर आरोप लगाये, उसी दिन सुरिंदर बंसल का निधन हुआ; लेकिन जब कपिल ने केजरीवाल को घेरने की कोशिश की तो सुनीता केजरीवाल ने कपिल के लिए कहा कि ‘ये स्टूपिड आदमी मेरे ब्रदर-इन-लॉ पर आरोप लगा रहा है, जिनका निधन हो गया है।’ इस पूरे मामले पर मनीष सिसोदिया का बयान भी चौंकाने वाला था, जिन्होंने कहा कि “..अभी चिता की आग भी ठंडी नहीं हुई है, कपिल ऐसे-ऐसे आरोप लगा रहे हैं।” सवाल यह है कि क्या किसीके निधन हो जाने से उसके किए गलत काम भी समाप्त हो जाते हैं। आरोप हमेशा रहते हैं। बहरहाल।

इस मामले को समझें तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केजरीवाल के साढू बंसल ने रेणु कंस्ट्रक्शन के नाम से एक कंपनी बनाई थी, लेकिन पीडब्लूडी की तरफ से उसे योग्य नहीं पाया गया था। मगर, केजरीवाल का साढू होने के रुतबे का इस्तेमाल कर बंसल को काम मिलता रहा। बंसल के ऊपर फर्जी बिलों को सही बनवाने में भी इस रुतबे की भूमिका रही, इसे कई बार कपिल मिश्रा दोहरा चुके हैं। कपिल मिश्रा ने यह दावा किया था कि इस बात की जानकारी उन्हें सत्येन्द्र जैन ने दी थी।

इस कहानी में कई पेंच भी है, अब कई लोग बंसल की मौत पर भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर अचानक उनकी मौत कैसे हो गयी, कहीं इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं? हालाँकि अभी तक दिल्ली पुलिस की तरफ से इस तरह के कोई सवाल नहीं उठाए गए हैं। आखिर में, बात इतनी है कि कपिल मिश्रा कौन हैं या किसके एजेंट हैं या नहीं हैं, इन सब बातों का कोई महत्व नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि केजरीवाल पर लगाए गए उनके आरोप गंभीर किस्म के हैं, इसको हल्के में नहीं टाला जा सकता है। मगर, आम आदमी पार्टी जिस तरह से इनपर गोलमोल रवैया अख्तियार किए हुए है, उससे साफ़ है कि वो इनके आगे पूरी तरह से निरुत्तर होकर रह गयी है। केजरीवाल एंड कंपनी के पास इन आरोपों का कोई ठोस जवाब नहीं है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)