उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान को हर स्तर पर पटखनी देने में जुटी मोदी सरकार!

उड़ी में पाक प्रायोजित आतंकी हमले में सेना २१ जवानों के शहीद होने के बाद से देश में आक्रोश का माहौल है। इसका बदला लेने और पाकिस्तान को सबक सिखाने जैसी बातें कही जा रही हैं। केंद्र की मोदी सरकार भी इस हमले से बेहद दुखी और पाकिस्तान के प्रति एकदम सख्त दिख रही है। हालांकि मोदी सरकार पाकिस्तान के प्रति सख्ती तो इस हमले से पहले ही दिखा रही थी, लेकिन अब वो सख्ती बहुत अधिक बढ़ चुकी है।

रूस ने पाकिस्तान के साथ भविष्य में निर्धारित संयुक्त सैन्य अभ्यास निरस्त कर दिया तथा उसे लड़ाकू विमान बेचने से भी इनकार कर दिया। इसी तरह अमेरिका ने भी पाक को आड़े हाथो लिया है तथा राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका गए पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने से इनकार कर दिया है। चीन जो हर ऐसे मौके पर पाकिस्तान का सहारा बनता था, उसने भी इस बार अपने हाथ खड़े कर दिए हैं और ये तक कहा है कि वो चीन-पाक आर्थिक कारीडोर के भविष्य पर पुनर्विचार करेगा। कुल मिलाकर उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान इस वक्त वैश्विक रूप से एकदम अकेला और अलग-थलग पड़ चुका है। ये सब यूँ ही नहीं हुआ है बल्कि इसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी के तमाम विदेश दौरों और उनके द्वारा साधी गई कूटनीति का असर है।

प्रधानमंत्री ने जहां स्पष्ट तौर पर देशवासियों को ये भरोसा दिया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, तो वहीं केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हमले के बाद बुलाई सुरक्षा सम्बन्धी उच्चस्तरीय बैठक के बाद पाकिस्तान को वैश्विक तौर पर अलग-थलग करने पर जोर दिया है। लेकिन, गृहमंत्री का ये बयान सिर्फ एक बयान भर नहीं है, बल्कि इसका क्रियान्वयन भी तुरंत शुरू हो चुका है, जिसकी नजीर यह है कि दुनिया के सभी बड़े-छोटे देशों ने इस हमले को लेकर न केवल भारत के साथ खड़े रहने की बात कही है वरन पाकिस्तान को कड़ी नसीहतें भी दी हैं।

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गौर करें तो रूस ने पाकिस्तान के साथ भविष्य में निर्धारित संयुक्त सैन्य अभ्यास निरस्त कर दिया तथा उसे लड़ाकू विमान बेचने से भी इनकार कर दिया। इसी तरह अमेरिका ने भी पाक को आड़े हाथो लिया है तथा राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका गए पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने से इनकार कर दिया है। चीन जो हर ऐसे मौके पर पाकिस्तान का सहारा बनता था, उसने भी इस बार अपने हाथ खड़े कर दिए हैं और ये तक कहा है कि वो चीन-पाक आर्थिक कारीडोर के भविष्य पर पुनर्विचार करेगा। इसी तरह सऊदी अरब, फ़्रांस, जापान आदि तमाम और देशों ने भी पाकिस्तान को नसीहतें दी हैं और कुल मिलाकर इस उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान इस वक्त एकदम अकेला नज़र आ रहा है। ये सब यूँ ही नहीं हुआ है बल्कि इसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी के तमाम विदेश दौरों और उनके द्वारा साधी गई कूटनीति का असर है।

अब इस तरह से वैश्विक रूप से अकेले पड़े पाकिस्तान को भारत भी छोड़ने वाला नहीं है। भारत अब बलोचिस्तान मामले को और जोर-शोर से उठाने की दिशा में विचार करने लगा है। कयास यह भी हैं कि कहीं अब भारत बलोचिस्तान की आज़ादी की मांग का खुला समर्थन भी करे। संयुक्त राष्ट्र की सालाना बैठक में तो भारत इस मामले को उठाने जा ही रहा है। इसके अलावा जहां तक जमीनी तौर पर बदले की बात है तो भारतीय सेना को कार्रवाई के सम्बन्ध में पूरी छूट दे दी गई है। खबरों के अनुसार सेना ने अभी दस आतंकियों को मार भी गिराया है तथा ये सिलसिला चलते रहने की उम्मीद है। साथ ही, सरकार कार्रवाई के एनी विकल्पों पर भी विचार कर रही है, जिनके जरिये पाकिस्तान और उसके यहाँ मौजूद आतंक्कियों को अधिक से अधिक क्षति पहुंचाई जा सके। कुल मिलाकर स्पष्ट है कि उड़ी हमले के बाद मोदी सरकार पाकिस्तान पर बिलकुल भी नरमी दिखाने के मूड में नहीं है और नरमी होनी भी नहीं चाहिए। सरकार हर स्तर पर पाकिस्तान को दबाने और चोट पहुंचाने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है, जिसमें उसे अबतक तो अच्छी सफलता मिलती हुई भी दिख रही है।

दरअसल पाकिस्तान जैसे देश से निपटने के लिए यही सब तरीके बेहतर हैं, क्योंकि युद्ध कभी कोई समाधान नहीं हो सकता और पाकिस्तान से युद्ध में पड़ना भारत के लिए अपने समय और संसाधनों को बर्बाद करने जैसा ही है। इसलिए उससे निपटने के लिए ऐसे ही छोटे-छोटे तरीकों से उसे हर स्तर पर जख्म देते रहने की नीति कारगर है। मोदी सरकार वही कर रही है और पूरी उम्मीद है कि इस मजबूत सरकार के रहते हमारे सैनिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। दुश्मन को उसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)