संगीन आरोपों और गिरफ़्तारी के बावजूद नवाब मलिक का इस्तीफा क्यों नहीं ले रहे उद्धव ठाकरे ?

सवाल ये है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, मलिक की गिरफ्तारी के बावजूद उनसे इस्तीफा क्यों नहीं ले रहे ? कहीं इन सबके पीछे, अंडरवर्ल्ड का डर तो नहीं जो उद्धव सरकार द्वारा मलिक से इस्तीफा तक नहीं मांगा जा रहा है ? यह भी कि ऐसी कौन सी ताकत का समर्थन है कि नवाब मलिक इतने संगीन इल्जाम और गिरफ्तारी के बावजूद बेफिक्र और हंसते नजर आ रहे हैं ?

बीते दिनों महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद से जुड़े एक मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 3 मार्च तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कस्टडी में भेज दिया गया है। उन्हें जमीन की खरीद में दाऊद इब्राहिम और उनके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने बीते बुधवार की सुबह 8 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया।

प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों ने कहा कि कुछ सबूतों से पता चल रहा है कि नवाब मलिक और दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों के बीच लेनदेन हुआ था।  ईडी ने बुधवार को स्पेशल पी.एम. एल. ए. कोर्ट में पेश कर 14 दिन का रिमांड मांगा था। कोर्ट ने करीब 5 घंटे तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उन्हें 8 दिन की कस्टडी में भेज दिया।

प्रवर्तन निदेशालय अंडरवर्ल्ड से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है। जांच एजेंसी ने हाल ही में अंडरवर्ल्ड के खिलाफ मामले दर्ज करने के साथ साथ कई जगहों पर छापे भी मारे थे। बीते दिनों इसी सिलसिले में दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर को भी गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने दाऊद की बहन हसीना पारकर के घर में भी छापा मारा और इस तरह, ये सभी कड़ियां नवाब मलिक से जुड़ती हैं जिसका पर्दाफाश ईडी ने किया।

साभार : Dainik Bhaskar

इन सभी मामलों को मद्देनजर रखते हुए ये सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, मलिक की गिरफ्तारी के बावजूद उनसे इस्तीफा क्यों नहीं ले रहे? फिर इस सवाल से भी कैसे इनकार किया जाए कि कहीं इन सबके पीछे, अंडरवर्ल्ड दाऊद का डर और पावर तो नहीं जो मलिक से इस्तीफा तक नहीं मांगा जा रहा है ? वहीं ऐसी कौन सी ताकत का समर्थन है कि नवाब मलिक संगीन इल्जाम और गिरफ्तारी के बावजूद बेफिक्र और हंसते नजर आ रहे है ?

शनिवार को महाराष्ट्र के भाजपा कार्यकर्ताओं ने उद्धव ठाकरे से पूछा कि, मलिक को गिरफ्तार करने के बाद भी उनसे इस्तीफा क्यों नहीं मांगा गया। वहीं, पत्रकारों से बातचीत करते  हुए महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रकात पाटिल ने कहा कि पहले भी कई नेताओं ने आरोपों का सामना करने के बाद एमवीए सरकार से इस्तीफा दिया है तो मलिक क्यों नहीं?

अगर कोई सरकारी कर्मचारी किसी आपराधिक आरोप में गिरफ्तार होता है तो वह निलंबित होने के साथ ही अपनी नौकरी से भी हाथ धो बैठता है। तो यही नियम मलिक पर लागू क्यों नहीं हो रहे? मलिक का इस्तीफा नहीं लेकर सरकार एक आरोपी को बचा रही है। इससे पहले भी संजय राठौड़ और अनिल देशमुख को अलग-अलग आरोपों में मंत्री पद छोड़ने पड़ें हैं तो मलिक के लिए अलग नियम क्यों?

बहरहाल, नवाब मलिक अब चारों तरफ से घिरते नजर आ रहे हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसमें टेरर फंडिंग का एंगल बताया है। साथ ही, हजारों करोड़ की जमीन अंडरवर्ल्ड के माध्यम से नवाब मलिक ने खरीदी है यह बात भी सामने आई है। जिस महिला की जमीन का गलत कागज तैयार करके हथिया लिया गया उस महिला ने ईडी को बयान दिया है कि उसे एक भी रुपया नहीं मिला है। इसके अलावा मुंबई में हुए, बम विस्फोट में मलिक के पैसों का इस्तेमाल दाऊद ने किया है। इस प्रकार के भी आरोप लगाए जा रहे हैं।

यह सारी चीजें ईडी ने कोर्ट के सामने रखी हैं। ईडी ने जेल में जाकर मुंबई बम विस्फोट के आरोपी का बयान भी लिया है और उसने सारी बातों को माना है, शायद इसलिए अदालत ने आज कोर्ट में मंत्री को कस्टडी दी है। जैसा कि आपको याद होगा 9 नवंबर 2021 को देवेंद्र फडणवीस ने, नवाब मलिक के अंडरवर्ल्ड से रिश्ते का सनसनीखेज खुलासा किया था और कहा था कि मलिक ने दाऊद इब्राहिम के गैंग से जमीनें खरीदी हैं और इसी पैसे से मुंबई में ब्लास्ट हुए हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरदार शाह वली खान और हसीना पारकर के करीबी सलीम पटेल के नवाब मलिक के साथ व्यापारिक संबंध हैं।

इन दोनों ने नवाब मलिक के रिश्तेदार की एक कंपनी सॉलिडस कंपनी (Solidus company) को मुंबई के एलबीएस रोड पर मौजूद करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम में बेची। पनवाड़ी के मुताबिक जमीन की बिक्री सरदार शाह वली खान और सलीम पटेल ने की थी नवाब मलिक भी इस कंपनी से कुछ समय के लिए जुड़े हुए थे। कुर्ला के एलबीएस रोड पर मौजूद 3 एकड़ जमीन सिर्फ 20-30 लाख में बेची गई जबकि इसका मार्केट प्राइस 3.50 करोड़ से ज्यादा था।

पूर्व सीएम ने इसके सभी सबूत सेंट्रल एजेंसी को देने की बात कही थी माना जा रहा है कि इसी मामले में कार्रवाई करते हुए ईडी को कुछ मलिक के खिलाफ अवश्य ही पुख्ता सबूत मिले हैं जिसके आधार पर उन्हें कस्टडी में भेजा गया है। कस्टडी में दो दिन बिताने के बाद, शुक्रवार को पेट दर्द की परेशानी के चलते उन्हें अस्पताल भेजा गया था और अब वे ठीक होकर वापस ईडी की कस्टडी में आ गए हैं।

नवाब मलिक पर यह कोई पहला आरोप नहीं है। इससे पहले भी कई आरोप उन पर लग चुके हैं। नवाब मलिक के दामाद समीर खान को ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया गया था। किरीट सोमैया ने पुणे में वक्फ बोर्ड की जमीन हड़पने का भी आरोप लगाया था। करोड़ों रुपए की संपत्ति होने के भी आरोप लगाए गए हैं।  इसके अलावा एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के परिवार को बदनाम करने का भी आरोप लगाया गया था।

उल्लेखनीय होगा कि नवाब मलिक अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में छाए रहते हैं। पिछले साल अक्टूबर में  मलिक ने शाहरुख खान के बेटे आर्यन की नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा की गई गिरफ्तारी को लेकर केंद्र पर जमकर आरोप लगाए थे तथा एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे पर उनकी जाति प्रमाण पत्र, उनका विवाह, उनका तलाक आदि कई मामलों को लेकर आरोप भी लगाए थे जो आगे चलकर बेबुनियाद साबित हुए।  जिसके खिलाफ बीते 21 फरवरी को मुंबई हाई कोर्ट से एनसीबी के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के पिता ध्यान देव द्वारा उनके विरुद्ध अवमानना याचिका दायर की गई है जिसमें हाईकोर्ट ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

दूसरी ओर, एन सी पी प्रमुख शरद पवार बौखलाए हुए नजर आ रहे हैं क्योंकि उनके एक नेता अनिल देशमुख पहले से ही जेल में हैं, और अब नवाब मलिक पर ईडी का शिकंजा कसता दिख रहा है। सो पवार के इन दोनों खास सहयोगी नेताओं का भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है। जिसके कारण शरद पवार और उनकी पार्टी मलिक को परेशान करने के आरोप लगाते हुए, केंद्र पर निशाना साध रहे हैं। इसके साथ ही सूत्रों से अभी खबर आ रही है कि ममता बनर्जी ने शरद पवार से नवाब मलिक को सरकार से अलग ना करने की गुजारिश भी की है।

खैर, आने वाले समय में नवाब मलिक की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। जिस प्रकार मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार, अंडरवर्ल्ड व दाऊद के साथ उनके संबंध और बम विस्फोट मामले में उनका नाम सामने आ रहा है उसे देखते हुए आने वाले समय में उनको कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। अब जो भी हो, लेकिन दुर्भाग्य का विषय तो यह है कि ममता बनर्जी, उद्धव सरकार और एनसीपी उस नेता के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, जिसका संबंध देश को कई बार आतंकी हमलों का शिकार बनाने वाले डॉन दाऊद इब्राहिम से होने की बात सामने आई है।

(लेखिका डीआरडीओ में कार्यरत रह चुकी हैं। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन एवं अनुवाद में सक्रिय हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)