भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा को बल देते योगी

उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड में आध्यात्मिक पर्यटन एवं प्राकृतिक पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं। उत्तर प्रदेश में भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण हो चुका है। वहीं उत्तराखंड में केदारनाथ धाम भव्य रूप में निर्मित किया गया है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। इधर बद्रीनाथ धाम में पुनरुद्धार के कार्य प्रगति पर हैं। मथुरा, विंध्याचल, हरिद्वार, ऋषिकेश में विभिन्न विकास कार्य क्रियान्वित हो रहे हैं।

गत दिनों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड के दौरे पर थे। यहां भी उनकी चिरपरिचित कर्मयोगी की कार्यशैली दिखाई दी। वह संन्यासी हैं। करीब तीन दशक बाद अपने पूर्व आश्रम की माँ से मिलने गए थे। किंतु यात्रा का अधिकांश हिस्सा समाज के हित में समर्पित रहा।

उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के बीच सम्पत्तियों से संबंधित अनेक समस्याएं करीब तीन दशक से लंबित थीं। इन विवादों का अब निस्तारण हुआ है। सपा-बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों की सरकारें इस समस्या से बेपरवाह रहीं। भाजपा राष्ट्रीय पार्टी है। इसके साथ ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर उसका विश्वास है।

माँ से मिले योगी (साभार : India TV News)

इस दृष्टि से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को अलग करके नहीं देखा जा सकता। भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा बहुत व्यापक है। योगी आदित्यनाथ ने अपनी उत्तराखंड यात्रा के दौरान इस तथ्य को प्रमाणित किया।

हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, काशी, मथुरा, अयोध्या में होने वाले विकास कार्य किसी एक प्रदेश की सीमा तक ही महत्वपूर्ण नहीं होते। इनका देश ही नहीं विदेश तक महत्व होता है। इस क्रम में योगी आदित्यनाथ ने हरिद्वार में भागीरथी पर्यटक आवास गृह का लोकार्पण किया। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अलकनन्दा पर्यटक आवास गृह की चाबी सौंपी।

भागीरथी पर्यटक आवास गृह का निर्माण उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा कराया गया है। छह तल में निर्मित इस पर्यटक आवास गृह में सौ कक्ष व हॉल आदि हैं। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड करीब तीन दशक से लंबित विवादों   विवादों का संवाद के माध्यम से समाधान कर लिया गया है। दोनों राज्य आपसी सहयोग को आगे बढ़ा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड में आध्यात्मिक पर्यटन एवं प्राकृतिक पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं। उत्तर प्रदेश में भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण हो चुका है। वहीं उत्तराखंड में केदारनाथ धाम भव्य रूप में निर्मित किया गया है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। इधर बद्रीनाथ धाम में पुनरुद्धार के कार्य प्रगति पर हैं। मथुरा, विंध्याचल, हरिद्वार, ऋषिकेश में विभिन्न विकास कार्य क्रियान्वित हो रहे हैं।

प्रयागराज कुम्भ के दिव्य एवं भव्य स्वरूप को पूरी दुनिया ने देखा। अनेक विश्वस्तरीय कीर्तिमान कायम हुए। वृन्दावन में वैष्णव कुम्भ का भव्य आयोजन किया गया।

आज अयोध्या का दीपोत्सव, बरसाना का होली उत्सव, काशी की देव दीपावली एवं मथुरा का कृष्ण जन्मोत्सव का कार्यक्रम देश और दुनिया में उत्तर प्रदेश की विशिष्ट पहचान को निर्मित कर रहा है। देश के भौतिक विकास के साथ ही आध्यात्मिक विकास की यात्रा भी प्रारम्भ हुई है।

साभार : ANI News

योगी सरकार के इन कार्यों पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ जी इस यात्रा के ध्वजवाहक हैं, जिनके नेतृत्व में धर्म एवं संस्कृति का उत्थान हो रहा है तथा प्रदेश का समग्र विकास हो रहा है।

उत्तराखण्ड सरकार उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर संसार की सबसे पुरानी पदयात्रा को जीवन्त रखने हेतु महाभारत रेल शुरू करेगी। गुरु गोरखनाथ के सम्मान में उत्तराखण्ड सरकार शीघ्र ही गुरु गोरखनाथ से जुड़े स्मृति स्थलों गुफाओं एवं पीठों को जोड़ने हेतु नाथ सर्किट का निर्माण करेगी।

दरअसल यूपी और उत्तराखंड की वर्तमान भाजपा सरकारें पर्यटन व तीर्थ स्थलों का विकास एक वैचारिक आधार पर कर रही हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा भी था कि पिछली सरकारें इन स्थलों का नाम लेने से डरती थीं। अब इनका विकास हो रहा है।  काशी को विश्वस्तरीय तीर्थाटन स्थल के रूप में प्रतिष्ठित करने का विचार और विजन पहले नहीं था। नरेंद्र मोदी ने काशी को क्वेटो की तरह सुविधा संपन्न बनाने का संकल्प लिया था। इसके पीछे काशी को पौराणिक महिमा के अनुरूप विकसित करने का ही विचार था।

दुनिया की सर्वाधिक प्राचीन इस नगरी के प्रति देश-विदेश के असंख्य लोगों की आस्था है। करीब ढाई शताब्दी के बाद आस्था के प्रमुख केंद्र श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। इसके पहले मंदिर के जीर्णोद्धार हेतु महारानी अहिल्या बाई, महाराणा रणजीत सिंह ने अपने-अपने समय में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।  तीर्थाटन की दृष्टि से उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश का विशेष महत्व रहा है। यहां के अनेक स्थल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध रहे हैं। लेकिन विश्वस्तरीय पर्यटन सुविधाओं की ओर पहले अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान भाजपा सरकारें इस कमी को दूर कर रही हैं।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)