भूपेन्द्र यादव

मार्क्सवाद का अर्धसत्य : मार्क्सवाद के वास्तविक चेहरे का साक्षात्कार कराती किताब

मार्क्सवाद की विचारधारा अपने आप में अनेक विडंबनाओं से घिरी हुई है। इस विचारधारा के कथ्य और तथ्य के बीच सत्य की कसौटी पर भारी अंतर है।

एससी-एसटी एक्ट : न्यायालय के निर्णय पर विपक्ष की नकारात्मक राजनीति

एससी/एसटी एक्ट पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद देश में तनाव की स्थिति पैदा हो गई। कुछ दिनों से अनेक कारणों से न्यायपालिका के निर्णय चर्चा का विषय बन रहे हैं। प्रत्येक केस की स्थिति भिन्न होती है, उसके तथ्य, प्रकरण भी भिन्न होते हैं, ऐसे में, कानूनी तौर पर विशेष ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि संबंधित कानूनी प्रक्रिया का सम्यक प्रकार से पालन हुआ है या नहीं। किसी एक घटना या मामले

विपक्ष के अवरोधों के बावजूद तीन वर्षों में विकास-पथ पर सतत बढ़ती रही है सरकार

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले तीन वर्षों के शासनकाल के दौरान सरकार के क़दमों से देश की छवि में व्यापक रूप से बदलाव आया है। इस दौरान ये सरकार एक निर्णयकारी सरकार के रूप में उभरी है और यही कारण है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रशासकीय छवि, लोक-कल्याण को समर्पित नीतियों, मज़बूत इच्छाशक्ति और सशक्त नेतृत्व की असीम क्षमता की स्वीकृति पूरे विश्व में देखने को मिली है।

केवल दार्शनिक और सन्यासी ही नहीं, महान समाज सुधारक भी थे शंकराचार्य

शंकराचार्य के कर्तृत्व और जीवन यात्रा को देखने पर हम पाते है कि वैदिक धर्म को उन्होने समय की मांग, व्यक्ति की रूचि एवं जिज्ञासा तथा समाज के कल्याण की सर्वोपरि भावना के रूप में व्याख्यापित किया। आत्म ज्ञान एवं मोक्ष के प्रति उत्कट भावना ने उन्हे मात्र नौ वर्ष की आयु में सन्यास आश्रम में प्रवेश करा दिया। कदाचित् यह आश्रम व्यवस्था का व्यतिक्रम है, यदि ऐसा वे उस समय कर सकते हैं

आर्थिक संपन्नता और स्वतंत्रता की दिशा में ठोस कदम है जीएसटी

अगर स्वतंत्र भारत के शुरूआती चार दशकों का इतिहास देखें तो हम पायेंगे कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार की समाजवादी एवं साम्यवादी आर्थिक नीतियों ने एक बंद अर्थव्यवस्था विकसित की थी, जहाँ परमिट और लायसेंस की प्रणाली हमारी आर्थिक सुगमता में बाधक की तरह काम करती रही। वह नीतियों इस देश की मूल अर्थ चिन्तन के अनुरूप नहीं थीं,

लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने की ज़रूरत

संसद के वर्तमान सत्र में गत दिनों राज्यसभा में भारतीय राजनीति में चुनाव सुधार से जुड़े विविध पहलुओं पर व्यापक रूप से चर्चा हुई। पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ से तमाम विचार आए। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय लोकतंत्र का विकास परंपरागत तौर पर तमाम सुधारों के माध्यम से हुआ है। अनेक बार अलग-अलग मसलों पर सुधार की आवश्यकता महसूस की गयी है और उन सुधारों को अमल में लाया गया है।

वनों के संरक्षण हेतु मोदी सरकार का नया क़ानून, वन-आश्रित समूहों को मिलेगा विशेष लाभ!

संसद में 2015 में पेश किया गया प्रतिपूरक वनीकरण निधि (सीएएफ) विधेयक वर्ष 2016 के मॉनसून सत्र में पारित हो गया है। केंद्र सरकार के पास लंबे समय से पड़ी हुई 42,000 करोड़ रुपये की राशि को जारी करने तथा उसका प्रयोग करने की अनुमति देने वाले प्रावधानों के कारण यह विधेयक बहुप्रतीक्षित विधेयक बन गया था।