पीयूष द्विवेदी

समय की मांग है नकदी रहित अर्थव्यवस्था

8 नवम्बर को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश में पाँच सौ और एक हजार के नोटों को प्रतिबंधित कर दिया गया और फिर इनकी जगह पाँच सौ और दो हजार के नये नोटों की शुरुआत की गई। चूंकि, पाँच सौ और हजार के पुराने नोट देश की कुल नकदी का ८६ प्रतिशत थे, इसलिए इनका प्रतिबंधित होना देश की अर्थव्यवस्था से लेकर आम जनों की घरेलू आर्थिकी तक को सीधे-सीधे प्रभावित करने वाला था। बैंकों के आगे

भारतीय सेना पर अपनी घटिया सियासत से बाज आयें, ममता बनर्जी!

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों केंद्र की मोदी सरकार से जानें क्यों बुरी तरह से खार खायी दिख रही हैं। मोदी सरकार की नोटबंदी के बाद से ही ममता बनर्जी केंद्र सरकार के प्रति अत्यंत आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। वे केंद्र पर निशाना साधने के लिए तरह-तरह के दाँव-पेंच आजमाने में लगी हैं। पहले उन्होंने दिल्ली के स्वघोषित ईमानदार और महाविवादित मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के साथ

नोटबंदी पर जनसमर्थन की सूचक है निकाय चुनावों में भाजपा की जीत

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 8 नवम्बर को पांच सौ और हजार के नोटों पर प्रतिबन्ध का ऐलान करने के बाद से इस निर्णय को लेकर राजनीतिक गलियारों में हो-हल्ला मचा हुआ है। विपक्ष द्वारा लगातार सरकार के इस निर्णय को जनता को परेशान करने वाला बताया जा रहा है। नोटबंदी पर जनता का मिजाज़ मांपने के लिए तमाम मीडिया संस्थानों द्वारा सर्वेक्षण भी किए गए, जिनमें इसके प्रति लोगों का समर्थन ही सामने आया।

मोदी सरकार को किस मुँह से अर्थशास्त्र सिखा रहे हैं, मनमोहन सिंह ?

संसद में नोटबंदी पर जारी बहस में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी आखिर अपनी बात रखी। चूंकि बतौर अर्थशास्त्री उनकी ख्याति विश्वस्तरीय है, इसलिए उम्मीद थी कि इस आर्थिक निर्णय का वे आर्थिक दृष्टि से मूल्यांकन करेंगे। लेकिन, अपने लगभग पंद्रह मिनट के वक्तव्य में मनमोहन सिंह ने जिस तरह से इस निर्णय की उसी अतार्किक ढंग और लीक जिसपर उनकी पार्टी के बाकी नेता चल रहे हैं, पर

नोटबंदी के निर्णय से इतने हलकान क्यों हैं विपक्षी दल ?

मोदी सरकार द्वारा पांच सौ और हजार के नोट बंद करने के निर्णय को जहां एक तरफ भारी जन-समर्थन प्राप्त होता दिख रहा है। लोग थोड़ी-बहुत परेशानी उठाने के बावजूद भी इस निर्णय के प्रति सहमति जता रहे हैं। वहीँ दूसरी तरफ तमाम विपक्षी दल सरकार के इस निर्णय के बाद हलकान नज़र आ रहे हैं। इन दलों की समस्याओं को उनके वक्तव्यों व सरकार पर लगाए जा रहे उलूल-जुलूल आरोपों से समझा जा

काला धन धारकों पर मोदी सरकार का करारा वार

30 सितम्बर, 2016 की तारीख इतिहास में दर्ज हो चुकी है। इसी रोज भारतीय सेना के डीजीएमओ द्वारा प्रेस वार्ता करके यह सूचना दी गई कि सेना ने पाक के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में जाके आतंकी कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई है। देश सेना के इस सर्जिकल स्ट्राइक पर गर्वित हुआ, मगर तब उसे अंदाजा नहीं था कि इस तारीख के बाद ही एक और बहुत बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की पटकथा तैयार हो रही थी।

दक्षिणी चीन सागर में चीनी मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने कसी कमर

पाकिस्तान के प्रति मोदी सरकार की शानदार कूटनीति, जिसने उसे न केवल एशिया बल्कि पूरे विश्व में भी अलग-थलग करके रख दिया है, का परिचय देने के बाद बाद अब मोदी सरकार चीन के प्रति भी कठोर रुख अख्तियार करने के मूड में दिख रही है। अब भारत दक्षिणी चीन सागर में चीन की मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए कमर कस चुका है। इसीलिए चीन के बड़े प्रतिद्वंद्वी जापान के साथ मिलकर दक्षिणी

एक ‘दोषी’ चैनल को दण्डित करना मीडिया पर प्रतिबन्ध कैसे हो गया, मिस्टर बुद्धिजीवी ?

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से एनडीटीवी को पठानकोट आतंकी हमले के दौरान गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग के लिए दंडस्वरूप एक दिन के लिए ऑफ़ एयर होने का जबसे नोटिस भेजा गया है, राजनीतिक गलियारे और सोशल मीडिया से लेकर विचारधारा विशेष के बुद्धिजीवी वर्ग तक में वितंडा मचा हुआ है। राहुल गाँधी, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार वगैरह तमाम नेताओं समेत एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने इस पर

‘वन रैंक वन पेंशन’ पर बोलने से पहले अपनी दादी और पापा की ‘करनी’ को तो जान लें, राहुल गाँधी!

वन रैंक वन पेंशन का मामला एकबार फिर गरमाया हुआ है। दरअसल गत दिनों एक पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल ने कथित तौर पर वन रैंक वन पेंशन की अनियमितताओं के कारण आत्महत्या कर ली। बस इसके बाद से ही इस मामले पर सियासी महकमे में सरगर्मी पैदा हो गई है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल तक तमाम नेता मृतक सैनिक के परिजनों से मिलने के नाम पर

भारत-न्यूजीलैंड संबंधों में नई ताज़गी आने की उम्मीद

विगत दिनों न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की भारत दौरे पर आए थे। रूस, चीन, अमेरिका आदि तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों की तुलना में उनका यह भारत दौरा मीडिया कवरेज के लिहाज से काफी शांत रहा, लेकिन इससे ऐसा नहीं समझना चाहिए कि इसका महत्व कम है। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री के इस दौरे में दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए दो बिंदु सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे थे। पहला तो ये कि भारत परमाणु