‘सबका साथ, सबका विकास’ के एजेंडे को प्रतिबिंबित करता बजट

विगत एक फ़रवरी को केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आम बज़ट पेश किया, जिसमें कि उन्होंने अनावश्यक लोकलुभावन वादों से परहेज़ करते हुए राष्ट्र के सर्व-समावेशी विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की। विपक्षी दल अभी तक भाजपा सरकार पर धनाढ्य और कुलीनतंत्रों की हिमायती होने का फ़िज़ूल आरोप लगाते आये हैं, लेकिन इस बजट से भाजपा सरकार ने अपना एजेंडा स्पष्ट कर दिया है कि सरकार देश के गांवों और गरीबों को सच्चे अर्थों में आगे ले जाने वाली नीतियों पर कार्य कर रही है। बजट में ग्रामीण संरचना को सुधारने की दृष्टि से व्यापक कदम उठाये गए हैं। बजट में गरीब, किसान, मजदूर और युवाओं को खासा महत्व दिया गया है।  देश की अर्थव्यवस्था में सुधार और उसे सशक्त बनाने की तरफ भी बल दिया गया है। पिछली सरकारों की तरह मोदी सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए अनावश्यक लोकलुभावन योजनाओं का ऐलान नहीं किया है।

विगत एक फ़रवरी को केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आम बज़ट पेश किया, जिसमें कि उन्होंने अनावश्यक लोकलुभावन वादों से परहेज़ करते हुए राष्ट्र के सर्व-समावेशी विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की। विपक्षी दल अभी तक भाजपा सरकार पर धनाढ्य और कुलीनतंत्रों की हिमायती होने का फ़िज़ूल आरोप लगाते आये हैं, लेकिन इस बजट से केंद्र सरकार ने अपना एजेंडा स्पष्ट कर दिया है कि सरकार देश के गांवों और गरीबों को सच्चे अर्थों में आगे ले जाने वाली नीतियों पर कार्य कर रही है।

ग्रामीण आधारभूत संरचना में सुधार की ओर व्यापक स्तर पर जोर दिया गया है। कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाने की दिशा में भी बजट से संकेत निकलकर सामने आता है। ग्रामीण क्षेत्र की उन्नति के लिए 1 लाख 87 हजार 223 करोड़ का आवंटन  किया गया है। इस बजट में युवाओं के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए है। युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में निवेश में बढ़ोत्तरी आदि के माध्यम से रोजगार सृजन की दिशा में भी कारगर कदम उठाया गया है। युवाओं को बेरोजगारी की ज़द से बाहर निकालने के लिए बजट में 600 जिलों में कौशल विकास केंद्र खोलने के साथ 350 ऑनलाइन पाठ्यक्रमों वाला प्लेटफार्म संचालित करने का प्रावधान भी किया गया है। इसके साथ रोजगार सृजन और युवाओं को देश की अर्थव्यवस्था में योगदान की ओर अग्रसर कराने के लिहाज से 2017-18 में 4 हजार करोड़ की लागत से आजीविका संवर्धन हेतु कौशल अर्जन और ज्ञान जागरूकता कार्यक्रम ‘संकल्प’ शुरू करने का भी वित्तमंत्री ने बज़ट में एलान किया है।

इसके अलावा राजनीतिक दलों के चंदे में नक़दी की सीमा को दो हजार तक सीमित करने के प्रावधान का ऐलान भी सरकार ने इस बज़ट में किया है। अब दो हजार से अधिक की कोई भी रक़म चंदे में लेने के लिए राजनीतिक दलों को चेक आदि का इस्तेमाल करना होगा। यह राजनीतिक दलों के चंदे की पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम कहा जा सकता है।  साथ ही, सरकार ने इस आम बज़ट में देश के कर की दरों में भी बड़े बदलाओं की घोषणा की है। आयकर के लिए न्यूनतम रक़म की सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख कर दिया गया है तथा तीन से पांच लाख तक की रक़म पर आयकर की दर को दस प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। यह मध्यमवर्गीय लोगों के लिए काफी राहत भरा कदम साबित होगा और संभव है कि आयकर दरों में कमी से वे तमाम लोग जो  अधिक दरों के कारण कर देने से बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं, कर अदायगी के प्रति प्रोत्साहित हों।  

मनरेगा का बजट बढ़ाकर 48 हजार करोड़ कर दिया गया है। एक करोड़ परिवारों को अंत्योदय मिशन के अंतर्गत शामिल करने का लक्ष्य भी रखा गया है। इसके साथ ही सिंचाई की विकट समस्या से निदान की तरफ ध्यान केंद्रित करते हुए दीर्घावाधि सिंचाई कोश बढ़ाया गया है। इन सभी बातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह बज़ट मोदी सरकार के सबका साथ सबका विकास के एजेंडे पर आधारित और राष्ट्र के समग्र विकास को एक दिशा देने वाला है।

(लेखक पत्रकारिता के छात्र हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)