नजरिया

अंबेडकर के विचारों को सही मायने और संदर्भों में आत्मसात करना ज़रूरी

बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर अपने अधिकांश समकालीन राजनीतिज्ञों की तुलना में राजनीति के खुरदुरे यथार्थ की ठोस एवं बेहतर  समझ रखते थे।

देश की राजनीति की दिशा तय करेंगे पांच राज्यों के चुनाव

वर्तमान परिस्थितियों में इन राज्यों के चुनाव परिणाम ना सिर्फ इन राजनैतिक दलों का भविष्य तय करेंगे बल्कि काफी हद तक देश की राजनीति का भी भविष्य तय करेंगे।

बंगाल में विचारधारा को तिलांजलि दे तीसरे-चौथे स्थान की लड़ाई लड़ रहे कांग्रेस और वाम दल

केरल में जहां कांग्रेस-वाममोर्चा एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं वहीं बंगाल में दोनों साथ मिलकर चुनाव मैदान में हैं और सरकार बनाने के सपने देख रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की बांग्लादेश यात्रा को चुनाव से जोड़ना अनुचित परिपाटी

यदि प्रधानमंत्री इस बांग्लादेश दौरे के दौरान भारतीय दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण किसी धार्मिक केंद्र या श्रद्धास्थल पर गए हैं तो ऐसा पहली बार तो नहीं हुआ है? क्या वे 2015 में ढाकेश्वरी देवी के मंदिर नहीं गए थे? तब तो कोई चुनाव नहीं था?

मोदी सरकार के प्रयासों से भ्रष्टाचार मुक्त होने की ओर बढ़ता भारत

भ्रष्टाचार के कम होने से भारत में विकास को रफ्तार मिल रहा है। साथ ही, लोगों का सुशासन पर विश्वास भी बढ़ रहा है, जिसकी बानगी सतर्कता आयोग को किये जाने वाले शिकायतों की संख्या में कमी आना है।

पश्चिम बंगाल : सुशासन की अवधारणा को साकार करने वाला है भाजपा का संकल्प पत्र

बंगाल चुनाव की बेला में अब राजनीतिक दल अपना घोषणा-पत्र लेकर आ गए हैं। पहले टीमएसी ने अपना चुनावी घोषणा-पत्र जारी किया और उसके कुछ ही दिनों बाद भाजपा ने भी अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है

मोदी सरकार के विकासवादी एजेंडे को अहमियत देती दिख रही पश्‍चिम बंगाल की जनता

मोदी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से घबड़ाकर मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी मोदी सरकार की कई जनोपयोगी योजनाओं को राज्‍य में लागू नहीं कर रही हैं।

योगी सरकार के उपलब्धियों भरे शानदार चार साल

योगी आदित्यनाथ का यह दावा सही ही लगता है कि सपा, बसपा व कांग्रेस की सरकारों की तुलना में भाजपा सरकार के चार वर्ष भारी है।

विद्या भारती के विद्यालयों की तुलना पाकिस्तानी मदरसों से कर राहुल गांधी ने कांग्रेस का वैचारिक स्तर ही दिखाया है

सत्ता के लिए समाज में विभाजन की ऐसी गहरी लकीर खींचना स्वस्थ एवं दूरदर्शिता पूर्ण राजनीति नहीं है। राहुल गांधी यह सब जिस भी रणनीति के अंतर्गत कर रहे हों, पर यह रणनीति देश की छवि को दाँव पर लगाने वाली है।

भारत की सहज-सनातन सांस्कृतिक धारा को समझे बिना संघ को समझना कठिन

संघ ने सेवा-साधना-संघर्ष-साहस-संकल्प के बल पर यह भरोसा और सम्मान अर्जित किया है। उसके बढ़ते प्रभाव से कुढ़ने-चिढ़ने की बजाय कांग्रेस-नेतृत्व एवं संघ के तमाम विरोधियों को ईमानदार आत्ममूल्यांकन करना चाहिए