नजरिया

कोरोना संकट : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान को समझने की जरूरत

जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती हमें अपने-अपने स्तर पर, अपने-अपने दायरे में सुरक्षा-कवच बनकर कोरोना महामारी की रोकथाम करनी होगी।

अमित शाह : चुनौतियों से लड़कर नई लकीर खींचने वाले नेता

अमित शाह एक ऐसे नेता हैं, जो न केवल नयी चुनौतियाँ लेते हैं बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कर नयी लकीर खींचने में भी कामयाब रहते हैं।

राजनीतिक-वैचारिक भेदों से परे हैं विवेकानंद के विचार

स्वामी विवेकानंद ने पूरा जीवन निस्वार्थ  भाव से भारत माता के चरणों में समर्पित कर दिया।  वह जीवन भर मनुष्य निर्माण के कार्य में लगे रहे।

बिहार : लालू के जंगलराज से नीतीश के सुशासन तक

बिहार अपनी बौद्धिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक सक्रियता एवं सजगता के लिए जाना जाता रहा है। परंतु लालू का शासन वह दौर था, जब जातीय घृणा की फसल को भरपूर बोया गया।

दो दशकों से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की अभेद्य लोकप्रियता का रहस्य क्या है ?

मोदी के साहसिक निर्णय आज तो जन-स्वीकार्य हैं ही, आने वाले सैकड़ों वर्षों तक भी उन्हें उनके इन निर्णयों के लिए याद किया जाएगा।

किसानों के लिए वरदान साबित होंगे नए कृषि कानून

नए कानूनों से राष्ट्र, उत्पादक और उपभोक्ता तीनों खुशहाल होंगे। जमाखोरी खत्म होगी, लॉबिंग की विदाई हो जाएगी एवं कृषि क्षेत्र का विकेन्द्रीकरण होगा।

जयंती विशेष : गांधी कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे

जहाँ तक गाँधी की प्रासंगिकता का सवाल है तो उसके बरक्स अपनी ओर से कुछ कहने के बजाय कतिपय प्रसंगों-संदर्भों-आँकड़ों-घटनाओं-वक्तव्यों को जानना-समझना रोचक एवं सुखद रहेगा।

संयुक्त राष्ट्र के मंच से प्रधनामंत्री मोदी ने असंख्य भारतीयों की आकांक्षा को आवाज दी है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को संबोधित करते हुए पूरी दुनिया को संयुक्त राष्ट्र के 75 वर्ष पूर्ण होने पर बधाई दी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने प्रमुखता से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का मुद्दा भी उठाया।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के वंचितों को मोदी सरकार से मिला न्याय

अब जम्मू-कश्मीर-लद्दाख के अनुसूचित जातियों और जनजातियों को केन्द्रीय कानून के आधार पर आरक्षण का लाभ मिल सकेगा जिससे उन्हें काफी राहत मिलने वाली है और उनके सशक्तिकरण में यह मील का पत्थर साबित होने वाला है।

‘उपसभापति हरिवंश का आचरण प्रशंसनीय ही नहीं, अनुकरणीय और वरेण्य भी है’

त्वरित प्रतिक्रिया एवं तल्ख़ टीका-टिप्पणियों वाले इस दौर में उपसभापति हरिवंश का यह आचरण न केवल प्रशंसनीय है, अपितु अनुकरणीय एवं वरेण्य भी है।