कामकाज

मोदी की सलाह पर शिवराज सरकार ने किया वित्त वर्ष में बदलाव, किसानों को मिलेगा फायदा

मॉनसून के खराब रहने से भारत में अक्सर कुछ इलाक़ों में जून और सितंबर के बीच में सूखा पड़ता है। ऐसे में, अगर वित्तीय वर्ष की तारीख बदलती है, तो नवंबर में पेश होने वाले बजट में, कृषि से जुड़ी ऐसी समस्याओं का ध्यान रखा जा सकता है। उल्लेखनीय होगा कि दुनिया के 156 देशों का वित्तीय वर्ष कैलेंडर 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच ही होता है। साथ ही, वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मोनेट्री

मोदी सरकार के इस क़ानून से पूरा होगा सबका अपने घर का सपना

अपनी छत का सपना किस हिन्दुस्तानी का नहीं होता। अब तक उनके इस सपने को दर्जनों धूर्त बिल्डर पूरा नहीं होने देते थे अपने लालच के कारण। पर अब उनकी करतूतें बंद होंगी। नौ वर्षों के लंबे इंतजार के बाद बीती सोमवार यानी 1 मई 2017 से रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट यानी रेरा एक साथ पूरे देश में लागू हो गया है। इसके साथ ही लाखों घरों की चाहत रखने वालों के लिए उम्मीद पैदा हो गई कि

2022 तक ब्रिटेन से भी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत !

आईएमएफ की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की दिग्‍गज अर्थव्यवस्थाओं के खराब दौर में भी भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था तेजी से आगे बढ़ रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत आने वाले पाँच सालों में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन जायेगा। वर्तमान में यह स्थान जर्मनी को हासिल है। भारत का स्थान अभी

न्यू इंडिया के लक्ष्य को साकार करने के लिए ये है मोदी सरकार की कार्ययोजना

केंद्र सरकार की योजनाओं की सफलता का एक प्रमुख आधार यह होता है कि उसमें राज्य सरकारें कितना सहयोग कर रही हैं। अब केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार हो, तब तो स्वाभाविक रूप से सहयोग की स्थिति कायम हो जाती है। लेकिन, विपक्षी दलों की किसी राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार के साथ सहयोगात्मक सम्बन्ध दुर्लभ रूप से ही दिखाई देते हैं। आमतौर पर विपक्षी दलों वाली

केंद्र और यूपी सरकार के बीच हुए ‘पॉवर फॉर आल’ समझौते से ख़त्म होगा यूपी का बिजली संकट

सत्‍ता संभालने के बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने जिला मुख्‍यालयों में 24 घंटे, तहसील में 20 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली आपूर्ति का आदेश दिया। 100 दिनों में 5 लाख नए कनेक्‍शन देने के साथ-साथ जले हुए ट्रांसफार्मर को बदलने के लिए 48 घटे का समय दिया है। बिजली की मांग-आपूर्ति की खाई को बिडिंग के जरिए बिजली खरीद कर पूरा करने के साथ-साथ प्रदेश के

आर्थिक संपन्नता और स्वतंत्रता की दिशा में ठोस कदम है जीएसटी

अगर स्वतंत्र भारत के शुरूआती चार दशकों का इतिहास देखें तो हम पायेंगे कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार की समाजवादी एवं साम्यवादी आर्थिक नीतियों ने एक बंद अर्थव्यवस्था विकसित की थी, जहाँ परमिट और लायसेंस की प्रणाली हमारी आर्थिक सुगमता में बाधक की तरह काम करती रही। वह नीतियों इस देश की मूल अर्थ चिन्तन के अनुरूप नहीं थीं,

मोदी सरकार की इन योजनाओं से ख़त्म होगी बेरोजगारी !

‘मेक इन इंडिया’ का सपना साकार करने के लिए ‘स्टार्ट अप इंडिया’ की जरूरत है। प्रधानमंत्री इस योजना की मदद से देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती, रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी, विकास दर में इजाफा आदि लाना चाहते हैं। यह योजना उन लोगों के लिए है जो अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं, लेकिन देश में अनुकूल माहौल नहीं होने या कारोबार शुरू करने में आने वाली बाधाओं को

तकनीक के जरिये भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की दिशा में बढ़ती मोदी सरकार

2018 के अंत तक सभी प्रकार की उर्वरक सब्‍सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में भेजने की योजना है। इतना ही नहीं आगे चलकर सरकार जमीन की रजिस्‍ट्री, यात्रा की टिकट जैसे सभी क्रियाकलापों को आधार नंबर से जोड़ेगी। इससे न केवल भ्रष्‍टाचार पर लगाम लगेगी बल्‍कि व्‍यक्‍तिगत स्‍तर पर सेवाओं तक आसान पहुंच बनेगी और सरकारी कामकाज भी सरल हो जाएगा। स्‍पष्‍ट है, प्रधानमंत्री नरेंद्र

नोटबंदी के बाद से लगातार मज़बूत हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था

विमुद्रीकरण का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ने, कैड में बेहतरी आने, केंद्रीय बैंक द्वारा सुधारात्मक कदम उठाने, निर्यात में वृद्धि आने, डॉलर की तुलना में रूपये में मजबूती आने, जीडीपी के बेहतर होने के आसार और जीएसटी के लागू होने आदि से अर्थव्यवस्था में गुलाबीपन आने की संभावना बढ़ गई है। मौजूदा समय में लगातार मजबूत होती मोदी सरकार अर्थव्यवस्था के हर मोर्चे पर सकारात्मक निर्णय ले रही है, जिसके अपेक्षित परिणाम बहुत ही जल्द दृष्टिगोचर होंगे, ऐसे कयास लगाये जा सकते हैं।

सपा-बसपा की जातिवादी राजनीति से बदहाल हुए यूपी के किसान

जहां तक उत्‍तर प्रदेश के किसानों की बदहाली का सवाल है, तो उसके लिए जातिवादी राजनीति जिम्‍मेदार है। पिछले तीन दशकों से उत्‍तर प्रदेश में जाति की राजनीति चरम पर रही। विकास पर राजनीति के भारी पड़ने का ही परिणाम है कि सिंचाई, बिजली आपूर्ति, ग्रामीण सड़क, बीज विकास, भंडारण, विपणन, सहकारिता जैसी किसान उपयोगी गतिविधियां ठप पड़ गईं। इस दौरान पूरा प्रशासनिक अमला समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की जातिवादी राजनीति के हितों को पूरा करने में लगा रहा।