प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कांग्रेसी कार्य-संस्कृति से मुक्त हुआ देश

पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने मध्‍य प्रदेश के रीवा जिले में एशिया के सबसे बड़े 750 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्र का उद्घाटन किया। इस संयंत्र से पैदा होने वाली वैकल्‍पिक, स्‍वच्‍छ और सस्‍ती सौर ऊर्जा का लाभ मध्‍य प्रदेश ही नहीं दिल्‍ली मेट्रो को भी मिलेगा। इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता है कम लागत पर उत्‍पादन। इसीलिए यहां से उत्‍पादित बिजली 2 रूपये 97 पैसे प्रति यूनिट मिलेगी। इस संयंत्र की शुरूआत के बाद अब भारत विश्‍व के पांच सबसे बड़े सौर ऊर्जा उत्‍पादक देशों में शामिल हो गया है।

सास- तुम्‍हारी उम्र में मैं दिए की रोशनी में कोयला, लकड़ी जलाकर खाना बनाती थी।

बहू- आप कांग्रेस को वोट देती थीं तो इसमें मेरी क्‍या गलती है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सास-बहू की इस तकरार में कांग्रेस शासन की चुनावी राजनीति कड़वी हकीकत ही बयान की गई है। 2019 के लोक सभा चुनाव से पहले शायद ही कोई लोक सभा या विधान सभा चुनाव ऐसा हो जिसमें बिजली, सड़क, पानी का मुद्दा हावी न रहता हो। रसोई गैस, शौचालय जैसी सुविधाओं की तो चर्चा ही नहीं होती थी क्‍योंकि ये अभिजात्‍य वर्ग की पहचान थीं।

लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले ही कार्यकाल में बिजली, सड़क, पानी, रसोई गैस, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं बिना किसी भेदभाव के सभी देशवासियों तक पहुंचा दी। इसका परिणाम यह हुआ कि विपक्ष के पास मुद्दों का अकाल आ गया है।

साभार : CNN.com

मोदी सरकार को सबसे बड़ी कामयाबी बिजली क्षेत्र में मिली। गौरतलब है कि गरीबी और बिजली खपत के बीच गहरा रिश्‍ता रहा है। जहां बिजली खपत ज्‍यादा है वहां गरीबी आखिरी सांसे गिन रही है, दूसरी ओर जहां बिजली की किल्‍लत है वहां गरीबी का अंधियारा छाया हुआ है।

सबसे बड़ी बात यह है कि आजादी के बाद से ही गरीबी मिटाने और सभी तक बिजली पहुंचाने के लिए ढेरों योजनाएं चलीं लेकिन लक्ष्‍य पूरा नहीं हुआ। हां, इन योजनाओं के भ्रष्‍टाचार से अफसरों-नेताओं-ठेकेदारों की कोठियां जरूर गुलजार हो गईं।

बिजली पहुचाने की ढुलमुल कांग्रेसी कार्य संस्‍कृति के नतीजों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर स्‍तर पर जवाबदेही सुनिश्‍चित किया। उन्‍होंने न सिर्फ बिजली पहुंचाने पर ध्‍यान दिया बल्‍कि बिजली उत्‍पादन को विविधीकृत भी किया ताकि सभी स्रोतों से बिजली पैदा कर उत्‍पादन के लक्ष्‍य को आसानी से हासिल किया जा सके।

इसके साथ-साथ सरकार ने संचरण-वितरण तंत्र को आधुनिक बनाया। इसी का नतीजा है कि बिजली आपूर्ति में तेजी से सुधार आया। गौरतलब है कि कांग्रेसी शासन काल में बिजली उत्‍पादन कोयला और जल विद्युत तक सीमित रहा। वैकल्‍पिक ऊर्जा स्रोतों का बहुत कम दोहन हुआ।

पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने मध्‍य प्रदेश के रीवा जिले में एशिया के सबसे बड़े 750 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्र का उद्घाटन किया। इस संयंत्र से पैदा होने वाली वैकल्‍पिक, स्‍वच्‍छ और सस्‍ती सौर ऊर्जा का लाभ मध्‍य प्रदेश ही नहीं दिल्‍ली मेट्रो को भी मिलेगा।

इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता है कम लागत पर उत्‍पादन। इसीलिए यहां से उत्‍पादित बिजली 2 रूपये 97 पैसे प्रति यूनिट मिलेगी। इस संयंत्र की शुरूआत के बाद अब भारत विश्‍व के पांच सबसे बड़े सौर ऊर्जा उत्‍पादक देशों में शामिल हो गया है।

साभार : Patrika

पर्यावरण प्रदूषण, वैश्‍विक तापवृद्धि, जलवायु परिवर्तन जैसी समस्‍याओं से जूझती दुनिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन वर्ल्‍ड-वन सन-वन ग्रिड का जो संदेश दिया है वह दूरगामी महत्‍व का है। इससे न सिर्फ बिजली की जरूरत आसानी से पूरी की जा सकेगी अपितु जलवायु परितर्वन की चुनौती से निपटने में भी सहायता मिलेगी। गौरतलब है कि रीवा सौर ऊर्जा संयंत्र से हर साल 15.7 लाख टन कार्बन डाई आक्‍साइड उत्‍सर्जन रूकेगा।

भारत सरकार सरकार ने 2022 तक 1,75,000 मेगावाट बिजली अक्षय ऊर्जा स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। इसमें एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा, 60,000 मेगावाट पवन ऊर्जा और 15,000 मेगावाट दूसरे अक्षय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्‍त की जाएगी।

31 दिसंबर 2019 तक देश में 85,908 मेगावाट अक्षय ऊर्जा का उत्‍पादन हुआ जिसमें से पवन ऊर्जा की उत्‍पादन क्षमता 37,505 मेगावाट और सौर ऊर्जा का 33,730 मेगावाट योगदान रहा।

मोदी सरकार का सर्वाधिक बल सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने पर है। इसीलिए सरकार ने सरकार ने राष्‍ट्रीय सौर अभियान को मंजूरी दी है। इसके तहत पांच साल में देश में सोलर रूफटॉप सिस्‍टम लगा कर छतों पर 4200 मेगावाट सौर बिजली बनाने में मदद मिलेगी।

सौर ऊर्जा से 4200 मेगावॉट बिजली रिहाईशी, सरकारी, सामाजिक और संस्‍थागत क्षेत्रों (अस्‍पताल, शिक्षण संस्‍थान आदि) के लिए होगी। औद्योगिक और वाणिज्‍यिक क्षेत्र में सौर पॉवर प्‍लांट लगाने के लिए बिना किसी शर्त सब्‍सिडी को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे सौर उपकरणों की खरीद के लिए बड़ा बाजार बनेगा और इससे उपभोक्‍ताओं का विश्‍वास भी मजबूत होगा।

समग्रत: यदि मोदी सरकार महज पांच वर्षों में सभी देशवासियों को बिजली, सड़क, पानी, रसोई गैस, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में कामयाब रही तो इसका श्रेय एक नई कार्य संस्‍कृति को है जिसमें हर स्‍तर पर जवाबदेह सुनिश्‍चित की गई है। स्‍पष्‍ट है, देश अब चुनावी वायदे वाली कांग्रेसी कार्य संस्‍कृति से मुक्‍त हो चुका है।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)