कोरोना संकट के बावजूद तेजी से हर घर में नल से जल पहुंचाने में कामयाब हो रही मोदी सरकार

आजादी के बाद  के सात दशकों में जहां प्रतिदिन 1229 ग्रामीण घरों में नल से जल का कनेक्‍शन दिया गया वहीं मोदी सरकार आज हर रोज दो लाख से अधिक ग्रामीण घरों में नल से जल का कनेक्‍शन दे रही है। इससे कांग्रेस और मोदी सरकार की कार्य संस्‍कृति में अंतर समझा जा सकता है। 

हर गांव तक बिजली पहुंचाने में मिली कामयाबी से उत्‍साहित मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में  जल जीवन मिशन या हर घर में नल से जल पहुंचाने का महत्‍वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत 2024 तक देश के सभी 19.04 करोड़ ग्रामीण घरों तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्‍य रखा गया है।

ग्रामीण इलाकों में नल से जल पहुचाने की कांग्रेसी संस्‍कृति वाली पुरानी योजनाओं की विफलता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए जल शक्‍ति मंत्रालय की नींव रखी औए हर स्‍तर पर जवाबदेही सुनिश्‍चित की।  

प्रधानमंत्री की रणनीति कामयाब रही और कोविड-19 महामारी के बावजूद एक वर्ष में देश के 3.34 करोड़ ग्रामीण घरों तक नल से जल का कनेक्‍शन दिया गया। उल्‍लेखनीय है कि 1947 से अगस्‍त 2019 तक 72 वर्षों में 3.23 करोड़ ग्रामीण घरों को ही पीने के पानी का कनेक्‍शन उपलब्‍ध कराए गए थे। सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि इस पानी की गुणवत्‍ता पर कभी ध्‍यान ही नहीं दिया गया। 

ऐसा नहीं है कि इस दौरान गांवों तक पानी पहुंचाने की योजना नहीं बनी। सैकड़ों योजनाएं बनी और इस मद में हजारों करोड़ रूपये का आवंटन भी हुआ लेकिन इन योजनाओं पर ईमानदारी से अमल नहीं हुआ। सच्‍चाई यह रही कि सभी को स्‍वच्‍छ पेयजल पहुंचाने का लक्ष्‍य कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता सूची में कभी रहा ही नहीं। 

यही कारण है कि पिछले 72 वर्षों में मात्र 3.23 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल का कनेक्‍शन दिया गया। यदि दैनिक आधार पर देखें तो 72 वर्षों में 26280 दिन होते हैं और प्रतिदिन 1229 ग्रामीण घरों में नल से जल का कनेक्‍शन दिया गया। इसके विपरीत मोदी सरकार हर रोज दो लाख से अधिक ग्रामीण घरों में नल से जल का कनेक्‍शन दे रही है।

आज मोदी सरकार हर रोज दो लाख से अधिक ग्रामीण घरों में नल से जल का कनेक्‍शन दे रही है तो इसके पीछे राजनीतिक प्रतिबद्धता, हर स्‍तर पर जवाबदेही, सूचना प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी प्रणाली का योगदान है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हर कनेक्शन की जिओ-टैगिंग हो रही है। कनेक्शन को परिवार के मुखिया के आधार कार्ड से जोड़ा जा रहा है। 

जिला स्तर पर मिशन की प्रगति का संकेत देने वाला डैशबोर्ड तैयार किया गया है। यह मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों, आकांक्षी जिलों, सूखा प्रभावित और रेगिस्तानी क्षेत्रों और पानी की खराब गुणवत्ता वाली बस्तियों को वरीयता दी जा रही है। ताकि फ्लूरोसिस और आर्सेनिकोसिस के मामलों में कमी लाई जा सके।  

सबसे बड़ी बात यह है कि नल से जल का कनेक्‍शन रेगिस्‍तानी, पहाड़ी जैसे विषम भौगोलिक इलाकों में भी दिया जा रहा है।  उदाहरण के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र टशीगंग तक के घरों में पाइपलाइन से पानी पहुंचाने का काम सफलतापूर्वक किया जा चुका है। इन दुर्गम इलाकों में अब लोगों को पीने के पानी के लिए मीलों का सफर नहीं तय करना पड़ता।  

जिस गति से मोदी सरकार हर घर में नल से जल का कनेक्‍शन दे रही है उससे देश के सभी 19.04 करोड़ ग्रामीण घरों तक 2024 से पहले ही पेयजल पहुंच जाए तो आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए। सरकार की यह सफलता विपक्ष और कांग्रेस पोषित मीडिया-बुद्धिजीवियों की नींद हराम किए हुए है।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)