सरकार के प्रयासों से सुधर रही बैंकों की हालत, कम हो रहा एनपीए

सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप कई कॉरपोरेट ऋणदाताओं ने दिसंबर, 2018 की तीसरी तिमाही में अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया है, जिससे बैंकों के एनपीए में कमी आई है। एनपीए में कमी आने और वसूली में तेजी आने से आने वाले दिनों में बैंकों की वित्तीय स्थिति में और भी सुधार आने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में ऐक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के सकल एनपीए में मार्च, 2018 के मुक़ाबले 102 से 109 आधार अंकों की गिरावट आई।

गत वर्ष बैंक व गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों की बिगड़ी स्थिति में सुधार लाने के लिये सरकार ने बैंकों को कुछ पूंजी मुहैया कराई साथ ही साथ रिजर्व बैंक ने भी त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के नियमों को कुछ लचीला बनाया। हालाँकि, कुछ बैंक और एनबीएफसी, जो बीएसई 500 में सूचीबद्ध थे ने संकट के दौर में भी अच्छा प्रदर्शन किया, जिसका कारण बड़े बैंकों के प्रदर्शन में सुधार आना और एनबीएफसी में चल रहे नकदी संकट की तीव्रता में कमी आना था।  

प्रयासों के परिणामस्वरूप कई कॉरपोरेट ऋणदाताओं ने दिसंबर, 2018 की तीसरी तिमाही में अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया है, जिससे बैंकों के एनपीए में कमी आई है। एनपीए में कमी आने और वसूली में तेजी आने से आने वाले दिनों में बैंकों की वित्तीय स्थिति में और भी सुधार आने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में ऐक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के सकल एनपीए में मार्च, 2018 के मुक़ाबले 102 से 109 आधार अंकों की गिरावट आई।  

मैक्वेरी के विश्लेषकों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी ऋणदाताओं के लिये उधारी लागत के सामान्य रहने और अगले दो वर्षों में इसके 160 से 190 आधार अंक से 100 आधार अंक पर पहुंचने की संभावना है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और निजी ऋणदाताओं के लिये उधारी लागत वित्त वर्ष 2018 में 420 आधार अंक के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी। जानकारों के मुताबिक उधारी लागत में सुधार आने और अपेक्षित वसूली होने से वित्त वर्ष 2021 तक मार्जिन में 20 से 50 आधार अंकों का सुधार आ सकता है। 

मैक्वेरी के अनुसार कमजोर और छोटे बैंकों के साथ बड़े बैंकों का विलय, कृषि ऋण माफी, बाजार भागीदारी में हिस्सेदारी कम होने आदि से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी बैंकों की तुलना में ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा है। इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये स्थिति अनुकूल हो रही है। चोकालिंगम का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एनपीए में कमी आना शुरू हो गया है, जिसके कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शेयरों का मूल्यांकन आकर्षक हो गया है।

इलाहाबाद बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को हाल में रिजर्व बैंक के पीसीए ढांचे से बाहर किया गया है, जिससे बाजार में उत्साह का माहौल है। कयास लगाये जा रहे हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब अपनी वृद्धि दर में सुधार दर्ज करेंगे, क्योंकि शाखा विस्तार और उधारी के संदर्भ में उन्हें पीसीए के सख्त दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करना पड़ेगा। 

खुदरा एनपीए बड़ी चिंता नहीं है, लेकिन कॉरपोरेट परिसंपत्ति गुणवत्ता के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है, जिसे बेहतर करने के लिये बैंक लगातार प्रयास कर रहे हैं। खुदरा उधारी व्यवसाय में बैंक लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। खपत बढऩे तथा निर्माणाधीन आवासीय संपत्ति पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में ताजा कटौती से निवेश परिदृश्य में सुधार आया है। यह एचडीएफसी बैंक और दूसरे बैंकों के खुदरा ऋणदाताओं के लिये अच्छा संकेत है।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति में सुधार आने और एनबीएफसी को नकदी संकट से कुछ हद तक उबरने से ऋणदाताओं को बाजार भागीदारी बढ़ाने में मदद मिल रही है। स्वर्ण वित्त ऋणदाताओं और सरकार के स्वामित्त वाली वित्तीय कंपनियां, जैसे पीएफसी एवं आरईसी एवं एचडीएफसी जैसे निजी बैंकों की निवेशकों के बीच लोकप्रियता बढ़ रही है। साफ है कि सरकार द्वारा की जा रही सुधारात्मक कार्रवाई और बैंकों, आवास वित्त कंपनियों एवं एनबीएफसी द्वारा किये जा रहे सुधारात्मक प्रयासों से वित्तीय क्षेत्र की स्थिति सुधर रही है, जिससे अर्थव्यवस्था में बेहतरी आने की संभावना बढ़ी है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)