कर संग्रह में वृद्धि और बेहतर मानसून से अर्थव्यवस्था होगी मजबूत

कोरोना वायरस की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियां पिछले साल की तुलना में कम प्रभावित हुई हैं। कोरोना काल में भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर की वसूली में वृद्धि हुई है। इस साल मानसून के बेहतर रहने और आईएमडी द्वारा मासिक आधार पर मौसम के पूर्वानुमान की घोषणा करने से भी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने की आस बंधी है, क्योंकि जून से सितंबर महीने तक हर महीने पूर्वानुमान उपलब्ध होने से कृषि कार्यों की योजना तैयार करने में प्रशासकों और किसानों को मदद मिलेगी।

कोरोना की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में अब तक प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग दोगुना रहा। अग्रिम कर भुगतान की पहली किस्त के जमा होने से पहले ही कर संग्रह में शानदार वृद्घि दर्ज की गई। अग्रिम कर जमा करने से इसमें और भी इजाफा आने की संभावना है। हालांकि, आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने की वजह से पिछले महीने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह कम रहा था।

इस साल 11 जून तक रिफंड के बाद शुद्घ प्रत्यक्ष कर संग्रह 1.62 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के समान अवधि के 0.87 लाख करोड़ रुपये से 85 प्रतिशत अधिक है। वहीं, यह  सामान्य वर्ष 2019-20 की समान अवधि के मुकाबले 33 प्रतिशत ज्यादा रहा। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2019-20 में समान अवधि के दौरान 1.22 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह हुआ था। प्रत्यक्ष कर संग्रह में आयकर और निगमित कर दोनों शामिल होते हैं।

प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्घि के कारण प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना विवाद से विश्वास, कम कर रिफंड, अनुपालन और प्रवर्तन में सुधार आदि हैं। सकल कर संग्रह 1.93 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 54 प्रतिशत अधिक है। वैसे, रिफंड 17 प्रतिशत घटकर 31,000 करोड़ रुपये रहा।

साभार : Business Standard

पिछले साल इस दौरान 37,300 करोड़ रुपये का रिफंड करदाताओं को दिया गया था। विवाद से विश्वास योजना के तहत मार्च तक सीबीडीटी को 54,005 करोड़ रुपये मिले थे। हालांकि, कोरोना वायरस की दूसरी लहर के मद्देनजर इस योजना के तहत भुगतान की अवधि को बढ़ाकर 30 जून कर दिया गया था।

मुंबई में कर संग्रह 80 प्रतिशत बढ़कर 48,000 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल इस दौरान 27,000 करोड़ रुपये रहा था। दिल्ली में कर संग्रह 67 प्रतिशत बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये रहा। पिछले साल समान अवधि में दिल्ली में 12,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर प्राप्त हुआ था। इसी तरह चेन्नई में प्रत्यक्ष कर संग्रह 120 प्रतिशत और पुणे में 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  

जानकारों के अनुसार निर्यात में मजबूती और कंपनियों द्वारा लागत में कटौती से प्रत्यक्ष कर में तेजी आई है। वैसे, प्रत्यक्ष कर में तेजी का एक बड़ा कारण आर्थिक गतिविधियों में पिछले साल के मुक़ाबले देशव्यापी लॉकडाउन नहीं लगाये जाने के कारण प्रत्यक्ष कर संग्रह पर ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना भी है।

मई महीने में देश का निर्यात पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 67.39 प्रतिशत बढ़कर 32.21 अरब डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश में अप्रत्यक्ष कर संग्रह 12 प्रतिशत बढ़कर 10.71 लाख करोड़ रुपये रहा। यह तेजी जीएसटी में 8 प्रतिशत कमी आने के बाद भी  रही है। इससे पिछले वर्ष अप्रत्यक्ष कर संग्रह 9.54 लाख करोड़ रुपये रहा था। सीमा शुल्क और पेट्रोल एवं डीजल पर कर बढ़ाए जाने तथा दूसरी छमाही में इसके खपत में कुछ तेजी आने के कारण अप्रत्यक्ष कर संग्रह के आंकड़े बेहतर रहे हैं। वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 महीनों में इस मद में केंद्र सरकार को 2.63 लाख करोड़ रुपये मिले। कर संग्रह 9.89 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 8.2 प्रतिशत अधिक रहा। 

हालांकि, कर के कुछ मामले अटके होने की वजह से आंकड़े बाद में बदल सकते हैं, लेकिन यह बदलाव सकारात्मक होने का अनुमान है। अप्रत्यक्ष कर संग्रह में तेजी आने के कारण वित्त वर्ष 2021 में कुल कर संग्रह 20.16 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष के 20.05 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से कुछ अधिक रहा। गौरतलब है कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में 10 प्रतिशत कमी आने के बाद भी कुल कर संग्रह अधिक रहा है।

अप्रत्यक्ष कर में जीएसटी, उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क आते हैं। वित्त वर्ष 2021 में सीमा शुल्क के रूप में 1.32 लाख करोड़ रुपये वसूले गए, जो पिछले वित्त वर्ष के 1.09 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 21 प्रतिशत अधिक है। केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर (बकाये) से होने वाला संग्रह भी आलोच्य अवधि के दौरान 58 प्रतिशत बढ़कर 3.91 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। 

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर में इजाफा आने के बीच एक अच्छी खबर यह है कि भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने इस साल मानसून के बढ़िया रहने का अनुमान लगाया है। साथ ही, अब आईएमडी मासिक आधार पर मौसम की भविष्यवाणी करेगा, जिससे किसानों और प्रशासन को हर महीने वर्षा वितरण के सटीक अनुमान के आधार पर कृषि संबंधी तैयारियां चाक-चौबंद रखने में मदद मिलेगी। 

आईएमडी वर्ष 2021 के मॉनसून में जून से सितंबर अवधि के लिए मासिक आधार पर लॉन्ग रेंज फॉरकास्ट (एलआरएफ) पूर्वानुमान देना शुरू करेगा। मौसम विभाग अब तक मॉनसून के दौरान त्रैमासिक आधार पर एलआरएफ दे रहा था। बता दें कि आईएमडी सबसे पहले शुरुआती अनुमान बताता है, जिसकी घोषणा अमूमन अप्रैल महीने के मध्य में की जाती है और जून में दूसरे चरण के अनुमान में इसमें आवश्यकतानुसार संशोधन किया जाता है।

मौसम विभाग चार मुख्य क्षेत्रों-उत्तर-पश्चिम, पूर्व एवं पूर्वोत्तर, केंद्रीय और दक्षिण प्रायद्वीपीय भागों के लिए क्षेत्रवार पूर्वानुमान लगाता है और जरूरत पडऩे पर पूर्वानुमान में संशोधन भी करता है। इसके बाद आईएमडी अगस्त महीने में मॉनसून के शेष बचे दो महीनों के लिए पूर्वानुमान लगाता है। अब आईएमडी पूर्वानुमान लगाने के लिए मौजूदा तकनीक के साथ-साथ दुनिया में उपलब्ध नूमेरिकल फॉरकास्टिंग टेकनिक की भी मदद लेगा, जिससे इसके पूर्वानुमान की सटीकता में और भी बेहतरी आयेगी। 

कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियां पिछले साल की तुलना में कम प्रभावित हुई हैं। कोरोना काल में भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर की वसूली में वृद्धि हुई है। इस साल मानसून के बेहतर रहने और आईएमडी द्वारा मासिक आधार पर मौसम के पूर्वानुमान की घोषणा करने से भी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने की आस बंधी है, क्योंकि जून से सितंबर महीने तक हर महीने पूर्वानुमान उपलब्ध होने से कृषि कार्यों की योजना तैयार करने में प्रशासकों और किसानों को मदद मिलेगी।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)