राजकोषीय दृढ़ीकरण की ओर बढ़ रहा है भारत

केंद्र सरकार द्वारा न केवल राजकोषीय दृढ़ीकरण हेतु कई उपाय किए गए हैं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी कई प्रकार के संरचनात्मक एवं नीतिगत बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों का असर अब भारत में दिखना शुरू हुआ है। अब तो कई अंतरराष्ट्रीय संस्थान  जैसे, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, आदि भी कहने लगे हैं कि आगे आने वाले समय में पूरे विश्व में केवल भारत ही दहाई के आंकड़े की विकास दर हासिल कर पाएगा और भारतीय अर्थव्यवस्था अब तेजी से उसी ओर बढ़ रही है।

केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान गरीब तबके को राहत प्रदान करने, उनकी आर्थिक सहायता करने एवं उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने तथा देश के नागरिकों को मुफ्त कोरोना टीका उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कई योजनाओं को लागू किया था।

इन योजनाओं पर बहुत बड़ी राशि वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में खर्च की गई है, परंतु इस बढ़े हुए खर्च के बावजूद केंद्र सरकार का ध्यान राजकोषीय दृढ़ीकरण की ओर भी लगातार बना रहा है। कर अनुपालन की ओर विशेष ध्यान देने एवं आस्तियों का मौद्रीकरण कर आय में वृद्धि करने के कारण कर संग्रहण एवं अन्य आय में सराहनीय सुधार दृष्टिगोचर है।

वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम अर्द्धवार्षिक अवधि (अप्रेल-सितम्बर 2021) में 11,83,808 करोड़ रुपए का सकल कर संग्रहण हुआ है जो पूरे वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान 22,17,059 करोड़ रुपए का 53.4 प्रतिशत है। वित्तीय वर्ष 2020-21 की प्रथम अर्द्धवार्षिक अवधि (अप्रेल-सितम्बर 2020) में 7,20,896 करोड़ रुपए का सकल कर संग्रहण हुआ था। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम अर्द्धवार्षिक अवधि में आकर्षक 64.21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

साभार : The Economic Times

इसी प्रकार, वित्तीय वर्ष 2021-22 की दिसम्बर 2021 तिमाही में अग्रिम आय कर संग्रहण में 90 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इस अवधि में अग्रिम आय कर संग्रहण 94,107 करोड़ रुपए का रहा है जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 की दिसम्बर 2020 तिमाही में यह 49,536 करोड़ रुपए का रहा था।

इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2021-22 की 16 दिसम्बर 2021 को समाप्त अवधि तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण 60.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 9.5 लाख करोड़ रुपए का रहा है। इससे वृद्धि दर से यह स्पष्ट रूप से झलकता है कि पूरे वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए निर्धारित शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण के बजटीय लक्ष्य  को आसानी से प्राप्त कर लिया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2020-21 की अवधि की 25 दिसम्बर 2021 तक 4.43 करोड़ आय कर विवरणीयां आय कर विभाग के पास फाइल की जा चुकी हैं।

अभी हाल ही के समय में देश के वित्त प्रबंधन में स्पष्ट तौर पर सुधार दिखाई दे रहा  है। केंद्र सरकार द्वारा खर्चों पर नियंत्रण रखकर कर उगाही एवं अन्य स्त्रोतों से आय की उगाही पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जिसका परिणाम राजकोषीय घाटे में कमी के रूप में दिखाई दे रहा है।

वित्तीय वर्ष 2021-22 के राजकोषीय घाटे को भी अभी तक नियंत्रण में रखते हुए, अप्रैल-अक्टूबर 2021 के 7 माह के दौरान, 5.47 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर रखा गया है जो कि वर्ष 2021-22 के पूर्ण वर्ष के राजकोषीय घाटे के बजट (15.06 लाख करोड़ रुपए) का मात्र 36.3 प्रतिशत ही है, यह राजकोषीय घाटा पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 की इसी अवधि के दौरान 119.7 प्रतिशत था।

इस वर्ष राजकोषीय आय में काफी सुधार होने के कारण यह स्थिति बनी है। जीएसटी संग्रहण में तो हर माह नए रिकार्ड बन रहे हैं। देश में नवम्बर 2021 माह में 131,526  करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रहण हुआ है जो अक्टोबर 2021 माह में 130,127 करोड़ रुपए का रहा था। हालांकि अभी तक का सबसे अधिक जीएसटी संग्रहण अप्रेल 2021 माह में 139,708 करोड़ रुपए का रहा था।

इस प्रकार तो वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान राजकोषीय घाटे के सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 प्रतिशत के बजटीय अनुमान को अवश्य ही प्राप्त कर लिया जाएगा। यह राजकोषीय घाटा वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के 9.3 प्रतिशत से भी अधिक रहा था।

केंद्र सरकार द्वारा न केवल राजकोषीय दृढ़ीकरण हेतु कई उपाय किए गए हैं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी कई प्रकार के संरचनात्मक एवं नीतिगत बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों का असर अब भारत में दिखना शुरू हुआ है। अब तो कई अंतरराष्ट्रीय संस्थान  जैसे, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, आदि भी कहने लगे हैं कि आगे आने वाले समय में पूरे विश्व में केवल भारत ही दहाई के आंकड़े की विकास दर हासिल कर पाएगा और भारतीय अर्थव्यवस्था अब तेजी से उसी ओर बढ़ रही है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने और केंद्र सरकार ने भी अपने अपने आकलनों में यह कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2021-22 में 9.5 से 10 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल कर लेगी और इसका असर निम्न प्रकार दिखने भी लगा है।

उदाहरण के तौर पर वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के अंतर्गत बनाए जा रहे ई-वे बिलों की संख्या 19 दिसम्बर 2021 को समाप्त सप्ताह में 22.85 लाख प्रतिदिन रही है जो पिछले सप्ताह के प्रतिदिन औसत बिलों से 2.6 प्रतिशत अधिक है। इससे देश में वस्तुओं के एक स्थान से दूसरे स्थान के परिवहन में लगातार वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है।

इसी प्रकार, नवम्बर 2021 माह के दौरान 1.05 करोड़ घरेलू यात्रियों ने देश में हवाई यात्रा की है जो अक्टोबर 2021 माह में 89.85 लाख घरेलू यात्रियों की तुलना में 17.03 प्रतिशत अधिक है। कुल मिलाकर देश में आर्थिक गतिविधियों के मामले में कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर को अब प्राप्त कर लिया गया है।

हालांकि अमेरिका एवं यूरोपीयन देशों में फैल रहे ओमीक्रोन (कोरोना) बीमारी के कारण वहां आर्थिक गतिविधियों में पिछले कुछ समय से पुनः दबाव महसूस किया जा रहा है। परंतु, भारत में उपभोक्ता आत्मविश्वास सूचकांक में लगातार वृद्धि देखने में आ रही है। भारत में उपभोक्ता आत्मविश्वास सूचकांक जुलाई 2021 माह में अपने निचले स्तर 48.6 पर आ गया था परंतु माह सितम्बर 2021 में 57.7 हो गया तथा नवम्बर 2021 माह में और आगे बढ़कर 62.3 के स्तर पर आ गया है।

नवम्बर-दिसम्बर 2021 माह में देश में न केवल बैंकों द्वारा वितरित की जा रही ऋणराशि में सुधार देखने में आया है, बल्कि निजी क्षेत्र से निवेश भी अब बढ़ने लगा है क्योंकि उत्पादन इकाईयों के कपैसिटी उपयोग में लगातार सुधार दृष्टिगोचर है। केंद्र सरकार द्वारा भी अपने पूंजीगत खर्चों में वृद्धि की गई है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार के नए अवसर भी अच्छी संख्या में निर्मित हो रहे हैं।

साथ ही, भारत सहित पूरे विश्व में अभी हाल ही के समय में वाहन निर्माण (सेमी कंडक्टर) उद्योग में पैदा हुए चिप उपलब्धि के संकट को हल करने के लिए भारत ने एक वृहद योजना भी बनाई है। अब भारत में ही सेमी कंडक्टर उद्योग को स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि चिप का निर्माण भारत में ही किया जा सके।

केंद्र सरकार ने 1000 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि के प्रोत्साहन पैकेज को मंजूरी प्रदान कर दी है। एक अनुमान के अनुसार उक्त योजना के लागू किए जाने से देश में विश्व की सबसे बड़ी 20 चिप निर्माता इकाईयों द्वारा लगभग 17 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। इसके लिए 85,000 सेमी कंडकर इंजीनियर भी तैयार किए जा रहे हैं।

(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से सेवानिवृत्त हैं। आर्थिक विषयों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)