प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर भारत

प्रधानमंत्री मोदी भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने में की दिशा में सफलतापूर्वक ले जा रहे तो उसके पीछे असली कारण है कि उनके लिए सत्ता साधन है न कि साध्य। मोदी ने सत्ता को सेवा का माध्यम मानकर गरीबों, किसानों, महिलाओं, वंचितों को उनके अधिकार दिए जिससे लोकतंत्र में उनका विश्वास जगा और वे देश की विकास यात्रा में सहभागी बने।

लद्दाख के कारगिल में जवानों के साथ दीपावली मनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के लिए युद्ध पहला नहीं, अंतिम विकल्प रहा है लेकिन शांति के लिए शक्तिशाली होना अनिवार्य है। इसी मिशन को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पिछले आठ वर्षों से देश को शक्तिशाली बना रहे हैं।

इसी का परिणाम है कि पिछले आठ वर्षों में भारत विश्व की 10वीं बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया। देश में इस समय 80,000 स्टार्टअप हैं। मोदी सरकार पिछली सरकारों के कुशासन के प्रभाव को दूर कर देश की क्षमता व विकास को बढ़ावा दे रही है। इससे देशवासियों में हीनता बोध की जगह एक नये प्रकार का आत्मविश्वास जागृत हुआ है। सरकार आतंकवाद, नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रही है।

मोदी के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों में भारत ने वो काम भी कर दिखाया जो पूर्ववर्ती सरकारों के लिए असंभव माना जाता था। आज वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती साख व सम्मान के पीछे प्रधानमंत्री मोदी की दूर दृष्टि व सुशासन है। घर में घुसकर मारने की नीति अपनाकर मोदी सरकार ने यह संदेश भी दिया कि वह कड़े फैसले लेने से नहीं हिचकेगी। भारत में घटी आतंकी घटनाओं का बदला लेने के लिए  सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में एयर स्ट्राइक के जरिए मोदी सरकार ने दुनिया को यह बता दिया कि भारत पारंपरिक लड़ाई के साथ-साथ अब गैर पारंपरिक लड़ाई में भी मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने में की दिशा में सफलतापूर्वक ले जा रहे तो उसके पीछे असली कारण है कि उनके लिए सत्ता साधन है न कि साध्य। मोदी ने सत्ता को सेवा का माध्यम मानकर गरीबों, किसानों, महिलाओं, वंचितों को उनके अधिकार दिए जिससे लोकतंत्र में उनका विश्वास जगा और वे देश की विकास यात्रा में सहभागी बने। इसे कुछेक उदाहरणों के माध्यम से समझा जा सकता है।

आजादी के सत्तर वर्षों तक गरीबों के नाम पर लाखों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गरीबों की दशा में उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ तो इसका कारण है कि कल्याणकारी योजनाएं जमीन पर नहीं उतरीं। योजनाओं के कागजी और हवाई क्रियान्वयन का नतीजा रहा कि गरीबों के नाम पर आवंटित धन सत्ता के दलाल, भ्रष्ट नौकरशाह, बिचौलिए लूटते रहे।

इससे गरीबी, बेकारी, नक्सलवाद, आतंकवाद को प्रश्रय मिला। प्रधानमंत्री मोदी ने जन कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए देश की जनता को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने का महाअभियान चलाया। इसे जन धन योजना नाम दिया गया। इसके तहत 31 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक खाते खोले गए। अब दिल्ली व राज्यों की राजधानियों से गरीबों के लिए आवंटित धन सीधे उनके बैंक खातों में पहुंच रहा है। इस प्रकार एक ही क्लिक से लाखों बिचौलियों-भ्रष्टाचारियों का खात्मा हो गया।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त में रसोई गैस की सुविधा दी गई। हर परिवार को पक्की छत देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत कच्चे मकान को पक्का बनाने के लिए 2.5 लाख रुपये तक की सहायता मिलती है।

इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में 18,000 गांव ऐसे रहे जहां बिजली नहीं पहुंची थी। इन गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री ने सौभाग्य योजना के तहत समयबद्ध कार्यक्रम तय किया और एक हजार दिनों के भीतर सभी गांवों तक बिजली पहुंचा दी गई। अब देश के हर घर को सातों दिन-चौबीसों घंटे रोशन करने का कार्य प्रगति पर है।

पहले गरीब लोग महंगे इलाज के कारण अस्पतालों में जाने से डरते थे। गरीबों को बेहतर इलाज के लिए मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की है जिसके तहत पांच लाख रुपये का इलाज मुफ्त में हो रहा है। समग्रत: आज भारत पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाए हुए है तो इसका कारण है पिछले आठ वर्षों में देश व जन केंद्रित विकास हुआ।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)