भारतीय अर्थव्यस्था के अच्छे दिन

ऐसे समय में जब दुनिया भर के अधिकांश देश आर्थिक संकट की दौर से गुजर रहे हैं, ऐसे में भारत में ख़राब मानसून और प्रायवेट सेक्टर में निवेश की कमी के बावजूद भी अर्थव्यवस्था गतिशील है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की ओर से कराए गए सर्वे में विशेषज्ञों ने यह उम्‍मीद जताई है कि भारत की जीडीपी पिछली तिमाही में 7.5 प्रतिशत रहेगी। इस लिहाज से देखा जाय तो विशेषज्ञ भी अच्छे दिनों की आहट को स्वीकार कर रहे हैं। जनसत्ता में छपी इस खबर को हम लिंक के साथ नीचे दे रहे हैं: संपादक

एक सर्वे के अनुसार आने वाले समय में भी भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था का तमगा बरकरार रखेगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की ओर से कराए गए390833-modi सर्वे में इकॉनॉमिस्‍ट ने उम्‍मीद जताई कि भारत की जीडीपी पिछली तिमाही में 7.5 प्रतिशत रहेगी। वहीं पिछले साल इसी तिमाही में यह रफ्तार 7.3 प्रतिशत थी।

मोदी अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार के वादे के साथ सत्‍ता में आए थे। दो खराब मानसून और प्राइवेट निवेश की कमी के बावजूद उनकी सरकार की नीतियों को  सफलता मिली है। मुद्रास्‍फीति कम रहने और ब्‍याज दरों में कमी के चलते मांग में बढ़ोत्‍तरी हुई है। वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले सप्‍ताह कहा था, ”वैश्विक मंदी के माहौल में 7.5 प्रतिशत की यह विकास दर आने वाले समय में रफ्तार पकड़ने की संभावना रखती है।” पड़ोसी देश चीन की तुलना में भारत की अर्थव्‍यवस्‍था सकारात्‍मक रही है। चीन में पिछले सात साल में सबसे कम विकास दर रही। वहां पहली तिमाही में विकास दर 6.7 प्रतिशत दर्ज की गई।

इसी बीच माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक 7 जून को पॉलिसी रिव्‍यू के दौरान ब्‍याज दरों में शायद ही बदलाव करे। कम ब्‍याज दरों के चलते शहरी क्षेत्रों में उपभाक्‍ताओं में उत्‍साह देखा गया है। टू व्‍हीलर और कारों की बिक्री दहाई अंकों में बढ़ रही है। वहीं अच्‍छे मानसून की भविष्‍यवाणी ने उम्‍मीदों को बढ़ा दिया है। अच्‍छा मानसून रहने पर कृषि क्षेत्र में सुधार की उम्‍मीद है। पिछले दो साल से सूखे के चलते खेती को काफी नुकसान हुआ है।

स्त्रोत:jansatta.com