योगी सरकार के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में औद्योगीकरण का आगाज

योगी सरकार ने कानून का राज कायम किया जिससे लंबे अरसे बाद प्रदेश में विकास की राजनीति शुरू हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफिया राज व गुंडाराज के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जिससे प्रदेश में विश्वास का वातावरण बना। इसी का नतीजा है कि देशी-विदेशी निवेशक उत्तर प्रदेश को पहली प्राथमिकता दे रहे हैं।

1990 के दशक में जब दक्षिण व पश्चिम भारत के राज्य सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे नवोन्मेषी उद्यमों की नींव रख रहे थे तब उत्तर भारत के राज्य जातिवादी राजनीति की आग में हाथ सेंक रहे थे। इसका परिणाम यह हुआ कि उत्तर भारत के राज्य विकसित क्षेत्रों के लिए कुशल-अकुशल मजदूरों की आपूर्ति करने लगे।

उत्तर प्रदेश की कहानी इससे अलग नहीं रही। जैसे-जैसे जाति व धर्म की राजनीति ने जोर पकड़ा वैसे-वैसे कानून का राज कम होता गया। कानून का राज न होने से गुंडाराज व माफियाराज पनपा। माफियावाद के पेड़ की छांव में नये उद्योग तो नहीं लगे जो उद्योग धंधे थे वे भी बंद होते गए।

योगी सरकार ने कानून का राज कायम किया जिससे लंबे अरसे बाद प्रदेश में विकास की राजनीति शुरू हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफिया राज व गुंडाराज के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जिससे प्रदेश में विश्वास का वातावरण बना। इसी का नतीजा है कि देशी-विदेशी निवेशक उत्तर प्रदेश को पहली प्राथमिकता दे रहे हैं।

2017 में जब योगी सरकार ने सत्ता संभाली थी तब उत्तर प्रदेश प्रदेश व्यापार सुगमता सूचकांक में 14 वें पायदान पर था। अब उत्तर प्रदेश व्यापार सुगमता सूचकांक में पहले पायदान पर है। निवेश मित्र नीतियों और कानून का राज कायम होने का ही नतीजा है कि 2020-21 में उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र के बाद देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा। मेट्रो रेल व एक्सप्रेस वे सहित बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और बिजली की स्थिति में सुधार लाकर उत्तर प्रदेश की उत्पादक क्षमता में वृद्धि की गई है।

साभार : Dainik Jagran

योगी सरकार प्रदेश के औद्योगीकरण की ओर ध्यान देते हुए शहरों में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर रही है। सरकार ने राजधानी लखनऊ में प्रस्तावित ग्रीन कॉरिडोर के दोनों ओर औद्योगिक गलियारे विकसित करने का निर्णय लिया है। सरकार की योजना महोबा, लखनऊ, ललितपुर और रामपुर में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की है।

ग्रेटर नोएडा के जेवर में बन रहे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के पास अलीगढ़ में भी औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की जाएगी। सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नोएडा और गोरखपुर में प्लास्टिक पार्क बना रही है खुर्जा में पाटरी कांप्लेक्स भी विकसित करने की योजना है। एक जिला एक उत्पाद के तहत खुर्जा की पाटरी को शामिल किए जाने के बाद से इसकी मांग में बढ़ोत्तरी हुई है।

मेक इन इंडिया मुहिम के तहत देश को रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पांच हजार हेक्टेयर भूमि पर रक्षा उद्योग गलियारे को विकसित किया जा रहा है। यहां बड़े पैमाने पर बुलेट प्रूफ जैकेट, ड्रोन, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, तोप और उसके गोले, मिसाइल, बंदूकें आदि बनाए जाएंगे। इसके लिए सरकार अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर और लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना कर रही है।

कभी पूरब का मैनचेस्टर कहा जाने वाला कानपुर शहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से एक बार फिर विश्व के मानचित्र पर एक औद्योगिक शहर के रूप में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएगा। यहां के रमईपुर गांव में 235 एकड़ में मेगा लेदर पार्क बनाया जा रहा है। यह देश का पहला मेगा लेदर पार्क होगा जहां उत्पादन, उत्पादों के प्रदर्शन, खरीदारों को ठहरने आदि सभी तरह सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

नोएडा में देश की पहली इलेक्ट्रिक व्हीकल सिटी बन रही है। उत्तर प्रदेश को गारमेंटिंग हब बनाने के लिए पांच एपेरल-गारमेंटिंग पार्कों की स्थापना की जा रही है।

योगी सरकार बड़े उद्योगों के साथ-साथ      प्रदेश के गांवों व कस्बों में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। इसके लिए एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड से लोगों को न्यूनतम ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराया जाएगा। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण, कोल्ड स्टोरेज, मछली पालन, आटा चक्की, कोल्ड रूम, हर्बल उत्पाद, दाल तथा धान प्रसंस्करण यूनिट लगाने के लिए सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने की योजना है।

योजना के तहत हाथ कागज उद्योग, रेशा उद्योग, वन आधारित उद्योग, मधुमक्खी पालन उद्योग, जैव प्रौद्योगिकी व ग्रामीण यांत्रिकी उद्योग और अन्य सेवा संबंधी उद्योग स्थापित करने के लिए भी कर्ज दिलाया जाएगा।

समग्रत: उत्तर प्रदेश में विकास की राजनीति शुरू होने से जाति की राजनीति करने वाले नेताओं की जमीन खिसकने लगी। यही कारण है कि ये नेता एक बार फिर प्रदेश को जातिवादी राजनीति की आग में झोंकने की कवायद में जुट गए हैं लेकिन अब उनकी दाल नहीं गलने वाली है।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)