भारत में निवेश का एक नया केंद्र बनने की ओर बढ़ता जम्मू-कश्मीर

यह सच है कि जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से स्थानीय नागरिकों में उत्साह के माहौल ने अपनी जगह बना ली है, जो कि पहले आतंकवाद के माहौल में रहने को मजबूर थे। इस क्षेत्र में नित नए उद्योग आरंभ हो रहे हैं। यह प्रदेश के बदलते आर्थिक, वित्तीय व कारोबारी स्थिति का ही प्रमाण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश में कुल 38,000 करोड़ रुपए लागत की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास किया है।

आगामी अगस्त में अनुच्छेद-370 को ख़त्म हुए चार साल हो जाएंगे। इस अनुच्छेद ने जम्मू-कश्मीर को जिस दुर्व्यवस्था और बदहाली में ढकेल रखा था, प्रदेश अब उससे काफी हद तक बाहर आ गया है और निरंतर विकास के मार्ग पर है। गौर करें तो अनुच्छेद-370 को लागू करने के कारण जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों को आर्थिक नुकसान के अलावा राजनैतिक, सामाजिक एवं अन्य क्षेत्रों में पूरे भारत को ही भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था।

रक्षा, विदेश एवं संचार जैसे कुछ क्षेत्रों को छोड़कर शेष समस्त मामलों के लिए भारत सरकार को अपने कानून जम्मू कश्मीर में लागू करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेना आवश्यक होता था। अतः भारत सरकार के कानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होते थे। इसका परिणाम यह निकलता था कि भारत के अन्य राज्यों से कोई भी भारतीय नागरिक जम्मू कश्मीर की सीमा के अंदर जमीन या सम्पत्ति नहीं खरीद सकता था।

जम्मू कश्मीर के लिए भारतीय तिरंगा के अलावा एक अलग राष्ट्रीय ध्वज भी होता था, इसलिए वहां के नागरिकों द्वारा भारतीय तिरंगा के सम्मान नहीं करने पर उन पर कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं हो सकता था। यहां तक कि जम्मू और कश्मीर के सम्बंध में भारत की सुप्रीम कोर्ट द्वारा यदि कोई आदेश दिया जाता था, तो वहां के लिए यह जरूरी नहीं है कि वे इसका पालन करें। अनुच्छेडी-370 के अंतर्गत ऐसे अनेक प्रावधान थे जो जम्मू-कश्मीर को शेष देश से अलग करते थे।

बहरहाल, 5 अगस्त 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर को खास दर्जा देने वाले इस अनुच्छेद-370 को कानूनी रूप से खत्म कर दिया। केंद्र सरकार का यह फैसला अत्यंत प्रभावकारी साबित हुआ है क्योंकि अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बाद से जम्मू एवं कश्मीर में कई बदलाव दृष्टिगोचर हैं। अब केंद्र के समस्त कानूनों एवं अन्य कई आर्थिक योजनाओं को वहां लागू कर दिया गया है इससे आम नागरिकों को बहुत सुविधा एवं लाभ हुआ है। आतंकी घटनाओं में भारी कमी आई है।

आतंकवादियों की कमर टूट  गई है। हजारों की संख्या में स्थानीय नागरिकों को सरकारी नौकरियां प्रदान की गई हैं। देश का यह सबसे खूबसूरत भाग अनुच्छेद-370 को लागू करने के बाद से पूरी तरह से भारत से जुड़ नहीं पाया था परंतु अब अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद यह क्षेत्र भी  सही अर्थों में भारत के साथ जुड़ रहा है।

अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में जिस तरह आधारभूत संरचना का विकास हो रहा है, कनेक्टिविटी बढ़ रही है, उससे राज्य में पर्यटन गतिविधियों का विस्तार हुआ है और केलेंडर वर्ष 2022 में रिकार्ड वृद्धि के साथ 26 लाख से अधिक पर्यटक वहां पहुंचे हैं। भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से वर्ष 2019 तक जम्मू कश्मीर में तकरीबन 14,700 करोड़ रुपए का निवेश हो पाया था, जबकि पिछले केवल 3 वर्षों में यह चार गुना बढ़कर 56,000 करोड़ रुपए से अधिक का हो गया है।

स्वास्थ्य से जुड़ी आधारभूत संरचना का भी तेजी से विकास हो रहा है। 2 नए एम्स, 7 नए मेडिकल कॉलेज, 2 स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट और 15 नर्सिंग कॉलेज खुलने जा रहे हैं।  इस सबसे स्थानीय नागरिकों के लिए रोजगार के नए अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

हाल ही में पिछले दिनों श्रीनगर के सेमपोरा में विदेशी निवेश से निर्मित होने वाले 250 करोड़ रुपये की लागत के एक मॉल की आधारशिला उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रखी। यह जम्मू एवं कश्मीर में विदेशी पूंजी से बनने वाला प्रदेश का पहला मॉल होगा, जिसे 2026 तक पूरा किए जाने की सम्भावना है। दुबई का एम्मार समूह इसका निर्माण कर रहा है।

इसके अलावा जम्मू और श्रीनगर में डेढ़ सौ-डेढ़ सौ करोड़ रुपये की लागत वाले एक-एक आईटी टावर का विनिर्माण भी एम्मार समूह कर रहा है। यह इसका प्रमाण है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद की बदली परिस्थितियों में जम्मू-कश्मीर में भी विदेशी निवेश आ रहा है।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के मुताबिक, नई औद्योगिक नीति आने के 22 महीनों में 5,000 से अधिक देसी व विदेशी कंपनियों के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। साथ ही, श्री सिन्हा ने इस अवसर पर यह घोषणा भी की कि  निवेश संबंधी प्रस्ताव आने के 15 दिन के अंदर जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। देश के किसी भी प्रदेश में ऐसी घोषणा शायद ही पूर्व में की गई हो।

जम्मू एवं कश्मीर की अर्थव्यवस्था अभी तक कृषि और पर्यटन पर ही आधारित रही है। आतंकवाद के चलते राज्य में औद्योगिक विकास के बारे में तो कल्पना करना ही सम्भव नहीं था। परंतु अब विभिन्न कंपनियां पैकेजिंग, कोल्ड स्टोरेज, रसद, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल, चिकित्सा, पर्यटन और शिक्षा आदि क्षेत्र में भी अपनी रुचि दिखा रही हैं और निवेश कर रही हैं।

यह सच है कि जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से स्थानीय नागरिकों में उत्साह के माहौल ने अपनी जगह बना ली है, जो कि पहले आतंकवाद के माहौल में रहने को मजबूर थे। इस क्षेत्र में नित नए उद्योग आरंभ हो रहे हैं। यह प्रदेश के बदलते आर्थिक, वित्तीय व कारोबारी स्थिति का ही प्रमाण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश में कुल 38,000 करोड़ रुपए की लागत की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास किया है।

जम्मू एवं कश्मीर राज्य के लिए अगले कुछ वर्षों में कुल 75,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, जम्मू एवं कश्मीर में जी-20 समूह की बैठक का आयोजन, भारत की अध्यक्षता में, किया जा रहा है। इस बैठक में विकसित देशों सहित विभिन्न देशों के उच्चस्तरीय नेता एवं अधिकारी भाग लेंगे।

वस्तुतः जम्मू कश्मीर को लेकर वर्तमान मोदी सरकार पूर्व की सभी सरकारों से अलग दृष्टिकोण से काम कर रही है। आर्थिक गतिविधियों द्वारा प्रदेश का माहौल बदलना इनमें प्रमुख है। उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर भी देश के अन्य राज्यों के समानांतर आर्थिक विकास की पटरी पर दौड़ता दिखाई देगा।

(फीचर फोटो साभार : TourMyIndia)

(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से सेवानिवृत्त हैं। स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)