गुलामी के प्रतीकों को मिटाने में जुटी मोदी सरकार

इस साल 15 अगस्‍त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वे औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्‍त भारत का सपना देख रहे हैं और धीरे-धीरे वह सपना हकीकत में बदल रहा है। उन्‍होंने यह भी कहा कि देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं लेकिन अब भी कई चीजों में गुलामी के दिनों की छाप नजर आ जाती है। सरकार इसी छाप को मिटाने में जुटी है।

2014 में सत्‍ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार गुलामी के प्रतीकों को मिटाने में जुटी है। अब तक सरकार ब्रिटिश शासन की गुलामी में पारित 1600 कानूनों को रद्द कर चुकी है। संसद में अलग से प्रस्‍तुत किए जाने वाले रेलवे बजट के प्रावधान को 2017 में समाप्त कर उसे वार्षिक आम बजट में समाहित कर दिया गया। इसी तरह वार्षिक बजट को 28 फरवरी की जगह एक फरवरी को और सायंकाल 5 बजे के बजाए 11 बजे प्रस्‍तुत करने की नई परंपरा की शुरुआत हुई।

वर्ष 2015 में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया। 2017 में डलहौजी रोड का नाम दारा शिकोह रोड कर दिया गया जबकि 2018 में तीन मूर्ति चौक का नाम तीन मूर्ति हाइफा चौक रख दिया गया। इसी तरह सात रेसकोर्स का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया। इसी रोड पर प्रधानमंत्री का आवास स्‍थित है।

पहले राजपथ को किंग्‍स वे और जनपथ को क्‍वींस वे के नाम से जाना जाता था। क्‍वींस वे का नाम बदलकर जनपथ कर दिया गया था जबकि किंग्‍स वे का केवल हिंदी में राजपथ के रूप में अनुवाद किया गया। आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर यह अनुभव किया गया कि राजपथ का तात्‍पर्य राजा के विचार की मानसिकता से था जबकि स्‍वतंत्र लोकतांत्रिक नए भारत में जनता सर्वोच्‍च है। इसीलिए राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्‍य पथ कर दिया गया।

कर्तव्य पथ का उद्घाटन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (साभार : PIB)

नए कर्तव्‍य पथ की अवधारणा हमें बिना किसी भेदभाव के राष्‍ट्र, समाज, परिवार और सभी लोगों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। इसी तरह इंडिया गेट से किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा वाली जगह पर अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगा दी गई है। अमर जवान ज्योति को नेशनल वार मेमोरियल से जोड़ दिया गया है।

हाल ही में आईएनएस विक्रांत को नौसेना को सौंपते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने गुलामी के एक निशान को अपने सीने से उतार दिया है। अब तक नौसेना के ध्वज पर गुलामी का निशान सेंट जॉर्ज क्रॉस था। नए ध्‍वज में छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित निशान को नौसेना के ध्वज में लगाया गया है। नौसेना के नए ध्‍वज में अष्टकोणीय सीमाएं शिवाजी महाराज राजमुद्र या शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरणा लेते हुए बनाई गई है।

इसी साल 26 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट समारोह में स्‍काटिश कवि हेनरी फ्रांसिस लिटे की अबाइड विद मी धुन हटाकर कवि प्रदीप के ऐ मेरे वतन के लोगों को शामिल किया गया। वर्ष 2015 में बीटिंग रिट्रीट समारोह में सितार, संतूर और तबला जैसे भारतीय वाद्य यंत्रों शामिल किया गया।

सरकार ने वर्ष 2018 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुस्तक के तथ्यों के आधार पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह तीन तीन द्वीपों के नाम बदला। रास द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र बोस, नील द्वीप को शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा। स्‍पष्‍ट है मोदी सरकार हर स्‍तर पर औपनिवेशिक छाप को हटाने में जुटी है।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)