लॉजिस्टिक लागत घटाने में जुटी मोदी सरकार

मोदी सरकार द्वारा आधारभूत ढांचा क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों का असर अब दिखने लगा है। विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग 2014 में 142 थी जो कि 2022 में बढ़कर 63 हो गई।  इसी तरह अब बंदरगाहों पर कंटेनरों से लदे जहाज को खाली करने का समय 44 घंटे से घटकर 26 घंटे पर आ गया है। अब मोदी सरकार लॉजिस्टिक लागत घटाने की कवायद में जुटी है।

आज दिल्‍ली का सदर बाजार ही नहीं हर शहर का मुख्य बाजार चाइना बाजार बना हुआ है तो इसका कारण है कि आजादी के बाद घरेलू विनिर्माण पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया। 1980 के बाद जब चीन वैश्विक विनिर्माण धुरी बनना शुरू हुआ तब भी भारतीय नेतृत्‍व की आंख नहीं खुली।

सरकारों ने कभी लॉजिस्टिक लागत घटाने, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, जमीन अधिग्रहण को आसान बनाने, बिजली सुधार, राजमार्ग निर्माण, रेलवे से ढुलाई आदि की ओर ध्यान ही नहीं दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि भारतीय सामान विदेश में ही नहीं घरेलू बाजार में भी महंगे पड़ने लगे। आगे चलकर घरेलू बाजार में विदेशी विशेषकर चीन में बने सामान छा गए।

मोदी सरकार 2014 से ही देश को विनिर्माण धुरी बनाने की कवायद में जुटी है। इसके तहत पहले रेलवे, सड़क, बिजली, दूरसंचार, नियमों के सरलीकरण पर ध्यान दिया गया। दूसरे चरण में सरकार का जोर लॉजिस्टिक लागत घटाने पर है। इसके तहत प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वकर्मा दिवस (17 सितंबर) को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति जारी किया।

इसका उद्देश्य उत्पादों के निर्बाध आवागमन को बढ़ावा देने के साथ ही आने वाले वर्षों में माल ढुलाई की लागत को सकल घरेलू उत्‍पाद के मौजूदा 13-14 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत तक लाना और रोजगार पैदा करना है। लॉजिस्टिक नीति परिवहन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े नियमों को व्यवस्थित करेगी और आपूर्ति क्षेत्र की बाधाओं को दूर करेगी। यह ईंधन लागत और माल ढुलाई की लागत को कम करने के लिए एक रोडमैप प्रदान करेगी।

आगे चलकर यह नई नीति बुनियादी ढांचे में सुधार की प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के साथ मिलकर लॉजिस्टिक क्षेत्र की कमियों का भी समाधान करेगी। लागत घटाने से माल भाड़ा कम होगा तो उसका सीधा असर सभी वस्तुओं की कीमतों पर पड़ेगा। उल्‍लेखनीय है कि वाणिज्य मंत्रालय ने लॉजिस्टिक नीति के लिए 2019 में परामर्श पत्र जारी किया था लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसमें देर हो गई।

इस साल बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना प्रस्‍तुत की थी जिसके तहत 100 लाख करोड़ रुपये की लागत से आधारभूत ढांचा क्षेत्र में सुधार किया जाएगा। इसके तहत अलग-अलग मंत्रालयों के अधीन चल रही परियोजनाओं में समन्वय के साथ उन्हें सही दिशा प्रदान किया जाएगा। इसमें रेलवे, सड़क एवं राजमार्ग परिवहन, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, दूरसंचार, विद्युत, जहाजरानी जैसे मंत्रालय शामिल हैं।

मोदी सरकार गति शक्ति मिशन के तहत 11 औद्योगिक गलियारे और 2 रक्षा गलियारे बना रही है। इसके तहत हर गांव को 4 जी नेटवर्क कवरेज प्रदान करना, राष्‍ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का 2 लाख किलोमीटर तक विस्तार, 220 नए एयरपोर्ट बनाने का लक्ष्य है। सरकार 17000 किलोमीटर गैस पाइपलाइन का भी नेटवर्क बना रही है।

मोदी सरकार द्वारा आधारभूत ढांचा क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों का असर अब दिखने लगा है। बंदरगाहों और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को जोड़ने वाली सागरमाला परियोजना से लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे में सुधार के चलते अब बंदरगाहों पर कंटेनरों से लदे जहाज को खाली करने का समय 44 घंटे से घटकर 26 घंटे पर आ गया है। इसी तरह विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग 2014 में 142 थी जो कि 2022 में बढ़कर 63 हो गई। इसी तरह के सुधार अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी हो रहे हैं।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)