गैस पाइपलाइन का राष्‍ट्रीय नेटवर्क बना रही है मोदी सरकार

भ्रष्‍टाचार में आकंठ डूबी और जाति-धर्म की राजनीति करने वाली सरकारों ने कभी आम आदमी को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की ओर ध्‍यान ही नहीं दिया। इसी का नतीजा है कि आजादी के सत्‍तर साल बाद भी आम आदमी को बिजली, सड़क, पेयजल आदि के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अब मोदी सरकार इस परिदृश्‍य को बदल रही है।

हर घर तक बिजली, सड़क, शौचालय, रसोई गैस पहुंचाने के बाद मोदी सरकार देश भर में पाइपलाइन से गैस आपूर्ति का नेटवर्क तैयार कर रही है। सरकार गैस आधारित अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में प्राकृतिक गैस को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए पाइपलाइन का विशाल नेटवर्क जरूरी है।

इसी को देखते हुए अगले एक दशक में भारत में रिफाइनरी लगाने, तेल-गैस पाइपलाइन बिछाने एवं शहरों के गैस वितरण नेटवर्क के विस्‍तार के काम में 300 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। भारत ऊर्जा के उपयोग के मामले में अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्‍थान पर है। 2040 तक देश की ऊर्जा मांग तीन गुनी बढ़ जाएगी। इस मांग को पूरा करने मे लिए महाराष्‍ट्र में 40 अरब डॉलर की लागत से दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार विदेशों से पापइपलाइन के जरिए गैस आयात करने की योजना पर काम कर रही है।

सांकेतिक चित्र (साभार : न्यू इंडियन एक्सप्रेस)

 

मोदी सरकार का पूरा जोर अब तक गैस सुविधा से लगभग वंचित देश के पूर्वी हिस्‍से को राष्‍ट्रीय गैस ग्रिड से जोड़ने पर है। यह कार्य 2540 किलोमीटर लंबी जगदीशपुर-हल्‍दिया-बोकारो-धामरा पाइपलाइन परियोजना के जरिए किया जा रहा है। इसे ऊर्जा गंगा परियोजना का नाम दिया गया है। इसी के तहत हाल ही में प्रधानमंत्री ने उड़ीसा में जगदीशपुर-हल्‍दिया-बोकारो-धामरा पाइपलाइन प्रोजेक्‍ट के बोकारो-आंगुल सेक्‍शन का शिलान्‍यास किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने इंडियन ऑयल के पारादीप-हैदराबाद पाइपलान परियोजना का भी शिलान्‍यास किया।

इतना ही नहीं सरकार बांग्‍लादेश के जरिए म्‍यांमार तक गैस पाइपलाइन नेटवर्क बिछाने की योजना पर काम कर रही है। इसी के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संयुक्‍त रूप से इंडिया बांग्‍लादेश मित्रता पाइपलाइन परियोजना का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह परियोजना पूरी दुनिया को राह दिखाने वाली शुरूआत है। इस परियोजना से यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि यदि दो पड़ोसी देश आपस में मिलकर काम करना चाहें तो वे एक दूसरे का किस तरह साथ दे सकते हैं।

पिछले आठ साल में पाइपलाइन के जरिए देश भर में 42 लाख घरेलू गैस कनेक्‍शन दिए गए हैं। अब 2020 तक एक करोड़ और 2025 तक देश में 3 करोड़ घरों में पाइप लाइन से गैस पहुंचाने का लक्ष्‍य है। इसके अलावा देश भर में 10,000 सीएनजी स्‍टेशनों की स्‍थापना की जा रही है ताकि सीएनजी चालित वाहनों के लिए सरलता से गैस उपलब्‍ध हो जाए।

22 नवंबर 2018 को प्रधानमंत्री देश के 18 राज्‍यों के 129 जिलों में सिटी गैस डिस्‍ट्रीब्‍यूशन (सीजीडी) नेटवर्क की आधारशिला रखी। इसके साथ अब सीजीडी नेटवर्क देश की 50 प्रतिशत आबादी तक पहुंच जाएगा। वैश्‍विक तापवृद्धि, जलवायु परिवर्तन को देखते हुए पर्यावरण मित्र ईंधन की महत्‍ता बढ़ती जा रही है। इसीलिए सरकार देश के ऊर्जा के उपभोग में प्राकृतिक गैस की मौजूदा मात्रा 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 15 प्रतिशत करने का लक्ष्‍य रखा है। इससे कार्बन उत्‍सर्जन में 33-35 प्रतिशत तक की कमी आएगी।

सरकार इस लक्ष्‍य को घरेलू गैस उत्‍पादन में बढ़ोत्‍तरी और सस्‍ती तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात के बल पर पूरा करेगी। गौरतलब है कि सरकार ने 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्‍सर्जन में एक-तिहाई कटौती करने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की है। समग्रत: एक बार गैस पाइपलाइन का राष्‍ट्रीय नेटवर्क बन जाने पर न सिर्फ घरेलू बल्‍कि औद्योगिक-वाणिज्‍यिक गतिविधियों के लिए भी सस्‍ता व स्‍वच्‍छ ईंधन सुलभ हो जाएगा। इससे देश में गैस आधारित ऊर्जा क्राति का मार्ग प्रशस्‍त होगा।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)