सरकार की गरीब कल्याण योजना से सुधरेगी गरीबों की हालत!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जबसे केंद्र में भाजपा-नीत राजग सरकार आई है, तबसे लेकर अबतक सरकार की तरफ एक के बाद एक अलग-अलग प्रकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की जाती रही है। जनधन योजना, कौशल विकास योजना, स्टैंडअप और स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम, उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, फसल बीमा योजना, मुद्रा बैंक योजना आदि अनगिनत योजनाएं और कार्यक्रम पिछले लगभग दो सालों के अपने कार्यकाल में मोदी सरकार शुरू किए गए हैं और कमोबेश संतोषजनक ढंग से उनका क्रियान्वयन भी हो रहा है। इन्हीं योजनाओं के क्रम में अब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ‘गरीब कल्याण योजना’ नामक एक नई योजना शुरू करने की पहल की गई है।

दरअसल वर्तमान में सभी राज्य सरकारें गरीबों के कल्याण के लिए अपने-अपने स्तर पर भिन्न-भिन्न प्रकार की योजनाए व कार्यक्रम चला रही हैं, इस गरीब कल्याण योजना के तहत राज्य सरकारों की उन सब योजनाओं को एकरूप करके एक राष्ट्रीय योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन के लिए लक्ष्य निर्धारित करने की मंशा के तहत मोदी सरकार द्वारा यह सब पहल की जा रही है। इसी सिलसिले में हाल ही में मध्यप्रदेश में कमिटी में शामिल तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई है, जिसके उपरान्त मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया कि ये वर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्यक्ष का जन्म शताब्दी वर्ष है, इस उपलक्ष्य में उनकी प्रेरणा से गरीब कल्याण एजेंडा बनाने का फैसला लिया गया है।

उल्लेखनीय होगा कि पिछले दिनों भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर इस योजना का एजेंडा तय करने के लिए एक कमिटी का गठन किया। इस कमिटी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे को रखा गया है। इस कमिटी को इस योजना का पूरा एजेंडा बनाकर उसे प्रधानमंत्री के सामने पेश करना है।

दरअसल वर्तमान में सभी राज्य सरकारें गरीबों के कल्याण के लिए अपने-अपने स्तर पर भिन्न-भिन्न प्रकार की योजनाए व कार्यक्रम चला रही हैं, इस गरीब कल्याण योजना के तहत राज्य सरकारों की उन सब योजनाओं को एकरूप करके एक राष्ट्रीय योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन के लिए लक्ष्य निर्धारित करने की मंशा के तहत मोदी सरकार द्वारा यह सब पहल की जा रही है। अभी फिलहाल इसमें सिर्फ भाजपा शासित राज्यों को ही सम्मिलित करने का उद्देश्य है। इसी सिलसिले में हाल ही में मध्यप्रदेश में कमिटी में शामिल तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई है, जिसके उपरान्त मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया कि ये वर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्यक्ष का जन्म शताब्दी वर्ष है, इस उपलक्ष्य में उनकी प्रेरणा से गरीब कल्याण एजेंडा बनाने का फैसला लिया गया है। इस योजना के तहत रोटी, कपड़ा और मकान जैसी व्यक्ति की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना तो सरकार का लक्ष्य होगा ही, पढ़ाई, दवाई, कमाई (रोजगार) और आवास का इंतजाम भी इस गरीब कल्याण एजेंडे के केंद्र में है। दरअसल इस योजना का मूल लक्ष्य गरीबों में आत्मिनिर्भरता का विकास करना है।

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भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्र बुद्धे समेत तीन भाजपाशासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों देवेन्द्र फणनवीस, रघुवर दास और शिवराज सिंह चौहान की कमिटी बना रही गरीब कल्याण एजेंडा

गौर करें तो अभी देश में भुखमरी, बेघरी और लोगों के स्वास्थ्य आदि की समस्याएँ बड़े स्तर पर मौजूद हैं। दुसरे शब्दों में कहें तो आज़ादी के सात दशक हो जाने के बाद भी अभी देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा रोटी, मकान, अस्पताल, शिक्षा जैसी इन बुनियादी सुविधाओं से वंचित होकर जीने को अभिशप्त है। ऐसा नहीं कि ये चीजें देश में हैं नहीं, मगर उस तबके की आर्थिक क्षमता ऐसी नहीं है कि इन सुविधाओं का लाभ ले सके। दरअसल आज़ादी के बाद जिस दल की सरकार लम्बे समय तक केंद्र में रही, उसने अपनी नीतियों में गरीबों की आर्थिक क्षमता सुधारने की तरफ ध्यान देने की बजाय उन्हें सब्सिडी की लत पकड़ाने का ही काम किया। गरीबी दूर करने के नाम पर अंधाधुंध सब्सिडी दी गई, जिसका कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। इस कारण आज़ादी के बाद कथित तौर पर गरीबों को केंद्र में रखकर बनीं दर्जनों पंचवर्षीय योजनाओं में भारी-भरकम धन फूंकने के बावजूद देश से गरीबी का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हो सका। लेकिन, अब मौजूदा मोदी सरकार ने अपनी पिछली योजनाओं में भी जिस तरह से आँख मूंदकर सब्सिडी देने की बजाय सही और सार्थक नीतियों के जरिये गरीबों को सशक्त करने पर जोर दिया है, वो सुखद और संतोषजनक है। जनधन योजना से लेकर फसल बीमा योजना, उज्ज्वला योजना और मुद्रा बैंक योजना जैसी तमाम योजनाएं इस बात का सशक्त उदाहरण हैं। इनके अलावा अब जिस तरह से गरीब कल्याण योजना में गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने लक्ष्य निर्धारित किया गया है, वो सरकार की मंशा को पूरी तरह से स्पष्ट कर देता है। 

इस योजना का एजेंडा तय होने के बाद जब राज्यों की योजनाओं को अपने में सम्मिलित करके यह लागू होगी तो इसके कई लाभ होंगे। पहली चीज कि एक राज्य को दुसरे राज्य की कल्याणकारी योजनाओं का अपनी आवश्यकतानुसार लाभ मिल सकेगा। राज्य एक-दुसरे के साथ संवाद में रहेंगे जिससे एकदूसरे का आवश्यकता पड़ने पर एकदूसरे की सहायता भी कर सकेंगे। साथ ही, योजनाओं की केन्द्रीय निगरानी होने पर उनके बजट से लेकर क्रियान्वयन की अन्य तकनिकी दिक्कतों से भी सब मिलजुलकर पार पा सकेंगे। हालांकि इस योजना पर भाजपा से इतर अन्य पार्टियों की राज्य सरकारें आसानी से सहमत होंगी, ये कहना कठिन है। मगर बेहतर हो कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश के विकास के लिए इस योजना को अपने यहाँ स्वीकृति दे दें। अब जो भी, मगर फिलहाल इतना तो स्पष्ट है कि ये ‘गरीब कल्याण योजना’ प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बारबार कही जाने वाली ‘टीम इंडिया की तरह काम करने’ वाली बात को पूर्णतः चरितार्थ करती है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)