कृषि क्षेत्र के लिए दीनदयाल उपाध्याय के सपनों को साकार करने की दिशा में अग्रसर मोदी सरकार

दीनदयाल जी अपने अधिकतर भाषणों में गांव और खेत की बात जरूर करते थे। किसान, खेत, गांव, मजदूर, कृषि सुधार उनके चिंतन के विषय रहा करते थे। दीनदयाल जी के कृषि क्षेत्र को विकसित करने की प्रणाली हमें उनकी पुस्तक ”भारतीय अर्थ नीति : विकास की एक दिशा” में देखने को मिलती है। उनके द्वारा वर्णित कृषि तंत्र, प्रणाली और व्यवस्था पर प्रधानमंत्री मोदी की सरकार निरंतर कार्य करती हुई दिख रही है, जिसका सबसे बड़ा प्रमाण है आज की सरकार कृषि योजनाएं।

कोरोना महामारी ने पूरे विश्व की आर्थिक गति को धीमा कर दिया हैI जो देश पूरी तरह पूंजीवादी योजनाओं के साथ चल रहे थे उनको सबसे ज्यादा नुकसान होता दिख रहा हैI भारत में अगर इस  महामारी की परिस्थिति में भी कोई विभाग मजबूती से अपनी व्यवस्था बनाये हुए है तो वो है कृषि क्षेत्र।

भारत कृषि प्रधान देश है, इसलिए किसानों के मुद्दे हर राजनीतिक दल अपनी अनुकूलता के हिसाब से उठाते रहे हैं। लेकिन वर्त्तमान की मोदी सरकार ने किसानों के मुद्दों को सिर्फ राजनीतिक चर्चा तक सीमित नहीं रखते हुए योजनाओं द्वारा उन्हें धरातल पर लाने का कार्य किया है।

एक ऐसी योजना जिसकी बात वर्षो से की जाती थी उसको अब मोदी सरकार ने वास्तविक रूप दे दियाI वो है प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना। यह योजना किसान परिवारों के लिए संजीवनी का काम कर रही है।

इस योजना को छोटे और सीमांत किसानों की वित्तीय मदद के लिए मोदी सरकार ने शुरू किया है, जिसके द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़े किसानों को सालाना 6,000 रुपये सीधे ट्रांसफर किया जाता है। तीन किस्तों में इस राशि का भुगतान किया जाता है और प्रत्येक किस्त की राशि 2,000 रुपये होती है। किसान परिवारों के लिए ऐसी योजना आर्थिक और मानसिक दोनों रूप से लाभदायक है।

दीन दयाल उपाध्याय (साभार : Patrika)

भारतीय जनता पार्टी का किसानों के लिए काम करना और आवाज़ उठाना कोई नई बात नहीं है। भारतीय जनसंघ (आज की भाजपा) के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसानों के हर पहलू पर चिंतन  करते  थे। भाजपा आज विश्व का  सबसे बड़ा राजनैतिक दल है, लेकिन उसने कभी अपने मूल्यों को नहीं छोड़ा और ना ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि में जो सरकार के आधारभूत लक्ष्य होने चाहिए तथा जिनसे हर भारतीय स्वावलम्बी और सशक्त बनेगा, वही आज की मोदी सरकार की प्राथमिकता है। दीनदयाल जी ने भी भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का सन्देश दिया था उनके अनुसार – ”अगर हम विदेशी सहयता पर पूर्णतः निर्भर रहे तो वह अवश्य ही हमारे ऊपर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बंधनकारक होगी”। इस विषय को वर्त्तमान सरकार ने गंभीरता से लिया है और अपनी हर योजना में आत्मनिर्भरता की संकल्पना रखी है।

दीनदयाल जी अपने अधिकतर भाषणों में गांव और खेत की बात जरूर करते थे। किसान, खेत, गांव, मजदूर, कृषि सुधार उनके चिंतन के विषय रहा करते थे। दीनदयाल जी के कृषि क्षेत्र को विकसित करने की प्रणाली हमें उनकी पुस्तक ”भारतीय अर्थ नीति : विकास की एक दिशा” में देखने को मिलती है। उनके द्वारा वर्णित कृषि तंत्र, प्रणाली और व्यवस्था पर प्रधानमंत्री मोदी की सरकार निरंतर कार्य करती हुई दिख रही है, जिसका सबसे बड़ा प्रमाण है आज की सरकार कृषि योजनाएं।

दीनदयाल  जी भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या से अवगत थे और सभी विषयो को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कृषि विकास के लिए मुख्यतः दो विषयों पर ध्यान केंद्रित किया। पहला प्रौद्योगिक (technical) और दूसरा संस्थागत (Institutional)। प्रौद्योगिक में खेती की पद्धति पर और किन साधनों का तथा किस मात्रा में उपयोग करना है, इसपर विचार करना होगा।

दीनदयाल जी कहते थे की ‘‘शक्ति बनाए रखने के लिए खाद की आवश्यकता है लेकिन जमीन का ठीक-ठीक सर्वेक्षण, उत्पादन की पद्धति, फसल, सिंचाई के साधन अदि का विचार करके ही उसके उपयुक्त एवं योग्य मात्रा में खाद एवं उर्वरक का उपयोग  होना चाहिए’’। भारत सरकार की सॉयल हेल्थ कार्ड (एसएचसी) योजना इस विचार के क्रियान्वयन की एक सार्थक पहल है।

साभार : Business Today

इस योजना के जरिये प्राप्त मृदा कार्ड से किसान अपनी मिट्टी में उपलब्ध बड़े और छोटे पोषक तत्वों का पता लगा सकते हैं। इससे उर्वरकों का उचित प्रयोग करने और मिट्टी की उर्वरता सुधारने में मदद मिलेगी। नीम कोटिंग वाले यूरिया को बढ़ावा दिया गया है ताकि यूरिया के इस्तेमाल को नियंत्रित किया जा सके, फसल के लिए इसकी उपलब्धता बढ़ाई जा सके और उर्वरक की लागत कम की जा सके।

दीनदयाल जी ने सिचाई के ऊपर भी बहुत जोर दिया था वो कहते थे कि ”हम सिर्फ इंद्रदेव पर निर्भर नहीं रह सकते”। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई (पीएमकेएसवाई) योजना सिंचाई वाले क्षेत्र को बढ़ाने में, पानी की बर्बादी कम करने के लिए और किसान पूर्णतः सिर्फ वर्षा पर ना निर्भर रहे, इसके लिए एक सार्थक कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो गुजरात के सूखे भागों में पानी पहुंचने का कठिन कार्य गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए भी कर चुके हैं, जिसमे सौराष्ट्र का क्षेत्र मुख्य है।

इसके अतरिक्त परंपरागत कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय कृषि विपणन योजना (ई-नाम), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई), ब्याज रियायत योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) अदि ऐसी योजनाएं हैं, जो कृषि को सुदृढ़ और किसान को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही हैं। साथ ही, कृषि के क्षेत्र में सरकार नए-नए स्टार्ट-अप को भी प्रोत्साहन दे रही है।

समग्रतः भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का सपना आज की वर्तमान मोदी सरकार पूरा करने में लगी हुई है। सरकार के उक्त कदम और योजनाएं भारत के किसानों को निश्चित ही सुदृढ़ और आर्थिक रूप से मजबूत बनाएंगे।

(लेखक विवेकानंद केंद्र के उत्तर प्रान्त के युवा प्रमुख हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में परास्नातक की डिग्री प्राप्त की व जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से वैदिक संस्कृति में सीओपी कर रहे हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)