राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के अनुरूप रखने में कामयाब रहेगी मोदी सरकार!

अक्टूबर के तीसरे हफ्ते तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह सालाना आधार पर 15.7 प्रतिशत बढ़कर 4,890 अरब रुपये पहुंच गया है, जो पूरे साल के प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य का 42 प्रतिशत से अधिक है। विनिवेश से सरकार को 800 अरब रुपये मिलने का अनुमान है, क्योंकि मार्च से पहले कुछ विलय एवं रणनीतिक बिक्री होने की उम्मीद है, जिसमें एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग इकाई और पीएफसी का विनिवेश शामिल है। लब्बोलुबाब के रूप में कहा जा सकता है कि राज्यों के प्रतिपूर्ति राशि का उपयोग, अनावश्यक खर्चों में कटौती, प्रत्यक्ष कर में बढ़ोतरी, विनिवेश आदि की मदद से सरकार राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के अनुरूप रखने में सफल हो सकती है।

अगले वर्ष चुनाव होने के कारण सरकारी खर्च में बढ़ोतरी होने की गुंजाइश है। फिर भी,  राजकोषीय घाटा के लक्ष्य के अनुरूप रहने का अनुमान है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में केंद्र की हिस्सेदारी से चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी, क्योंकि आगामी महीनों में जीएसटी संग्रह में और भी वृद्धि होने का अनुमान है। हालाँकि, कहा जा रहा है कि जीएसटी संग्रह 700 अरब से 1,000 अरब रुपये लक्ष्य से कम रह सकती है, जिसमें केंद्र की हिस्सेदारी 500 अरब रुपये हो सकती है। फिलहाल, जीएसटी में से 42 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को जाता है।

सांकेतिक चित्र (साभार : The Hans India)

इस दृष्टिकोण से देखा जाये तो केंद्र सरकार को लगभग 300 अरब रुपये का नुकसान हो सकता है, लेकिन इसकी प्रतिपूर्ति दूसरे मदों में होने वाले राजस्व संग्रह से हो सकती है। जीएसटी के संदर्भ में किये गये सुधारों से जीएसटी संग्रह में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। नवंबर माह में जीएसटी संग्रह 976 अरब रुपये रहा, जो 1,000 अरब रुपये मासिक वसूली के लक्ष्य से नाम मात्र का कम है।

बहरहाल, अनावश्यक खर्चों में कटौती, दूसरे मदों में राजस्व संग्रह में वृद्धि एवं जीएसटी के मोर्चे पर सकारात्मक स्थिति विकसित होने आदि से वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि पूंजीगत व्यय में कटौती किये बिना सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर लेगी।

प्रत्यक्ष कर संग्रह में तकरीबन 300 अरब रुपये से ज्यादा की वृद्धि होने की आशा है। इसलिये जीएसटी संग्रह की भरपाई प्रत्यक्ष कर संग्रह से हो सकती है। इसके अलावा, राज्यों को की गई प्रतिपूर्ति के कुछ हिस्से को कानूनी रूप से वापस लेने के लिये केंद्र सरकार ने राज्य जीएसटी प्रतिपूर्ति कानून में संशोधन किया है, जिसके अनुसार यदि प्रतिपूर्ति की रकम का उपयोग नहीं किया जाता है तो 50 प्रतिशत राशि को 5 सालों के दौरान किसी भी साल केंद्र की संचयी निधि में हस्तांतरित किया जा सकता है। इस तरह, केंद्र सरकार प्रतिपूर्ति निधि में कमी कर सकती है और जब चाहे उसकी आधी राशि वापस ले सकती है।

ऐसे में राजकोषीय घाटे को दूसरे मदों में होने वाले राजस्व संग्रह से लक्ष्य के अनुरूप रखा जा सकता है। वित्त वर्ष 2018-19 के लिये केंद्र सरकार ने जीएसटी संग्रह का लक्ष्य 7,400 अरब रुपये रखा है, जिसमें केंद्रीय जीएसटी मद में 6,040 अरब रुपये, आईजीएसटी मद में 500 अरब रुपये तथा जीएसटी प्रतिपूर्ति मद में 900 अरब रुपये शामिल हैं।

अक्टूबर के तीसरे हफ्ते तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह सालाना आधार पर 15.7 प्रतिशत बढ़कर 4,890 अरब रुपये पहुंच गया है, जो पूरे साल के प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य का 42 प्रतिशत से अधिक है। विनिवेश से सरकार को 800 अरब रुपये मिलने का अनुमान है, क्योंकि मार्च से पहले कुछ विलय एवं रणनीतिक बिक्री होने की उम्मीद है, जिसमें एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग इकाई और पीएफसी का विनिवेश शामिल है। लब्बोलुबाब के रूप में कहा जा सकता है कि राज्यों के प्रतिपूर्ति राशि का उपयोग, अनावश्यक खर्चों में कटौती, प्रत्यक्ष कर में बढ़ोतरी, विनिवेश आदि की मदद से सरकार राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के अनुरूप रखने में सफल हो सकती है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान केंद्र में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)