RSS के स्कूल से पढ़े मुस्लिम छात्र ने किया असम में टॉप

देश के तथाकथित बुद्धजीवी और सेकुलर जमात जिस संघ परिवार को सांप्रदायिक तथा मुस्लिम विरोधी कहते नहीं थकते हैं उसी संघ परिवार द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ने वाला  एक मुस्लिम छात्र ने हाई स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट  परीक्षा टॉप की है। मंगलवार को घोषित हुए परिणामों में सरफराज हुसैन ने दसवीं की परीक्षा टॉप करते हुए 600 में से 590 प्राप्त किए।यह होनहार विद्यार्थी एक रेस्टुरेंट में काम करने वाले वेटर का बेटा है। विद्यालय में सरस्वती पूजा आयोजन समिति का सचिव रहा सरफ़राज अकेला नही, बल्कि 24 मुस्लिम बच्चें इस विद्यालय के विद्यार्थी है, जिन्होंने भगवत गीता के पाठ में पुरस्कार जीते है। संघ समाज को जोड़ता है और समाज को जोड़कर एक भव्य राष्ट्र की कल्पना लिए लाखों को समाज की सेवा हेतु संस्कारित व प्रेरित करता है। सरफ़राज उन्ही से में से एक है। अइबीएन खबर में छपी इस खबर को पूरे लिंक के साथ नीचे दी जा रही हैःसंपादक

असम में संघ परिवार के शिक्षण संस्थान विद्या भारती द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ने वाले एक मुस्लिम छात्र ने हाई स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (HSLC)assam
परीक्षा टॉप की है। मंगलवार को घोषित हुए परिणामों में, सरफराज हुसैन ने दसवीं की परीक्षा टॉप करते हुए 600 में से 590 प्राप्त किए।

16 साल का सरफराज शंकरदेव शिशु निकेतन, बेटकुची में पढ़ता है। यह गुवाहाटी के दक्षिण में स्थित है और इसे शिशु शिक्षय समिति, असम संचालित करती है, जो विद्या भारती से संबंद्ध है। सरफराज ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि मैं इस स्कूल का छात्र हूं।’

इंजीनियर बनने की चाहत रखने वाले सरफराज ने कहा, ‘स्कूल की बदौलत ही मैं राज्य में टॉप कर सका हूं। सरफराज ने संस्कृत में निबंध लेखन प्रतियोगिया और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भी इनाम जीते हैं। दो साल पहले सरफराज ने ऑल-गुवाहाटी गीता रीसाइटेशन कॉन्टेस्ट भी जीता था। सरफराज ने बताया, ‘मुझे संस्कृत में प्रार्थना बोलने में कोई समस्या नहीं है, मैं गायत्री मंत्र भी पढ़ता हूं।’ उन्होंने बताया कि 8वीं क्लास तक वह संस्कृत में 100/100 नंबर लाते रहे थे।

10वीं क्लास में पूरे असम से 3.8 लाख छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे। 2.39 लाख छात्र इस परीक्षा में पास हुए। 54,197 फर्स्ट डिविजन से पास हुए, 96,568 सेकेंड डिविजन और 88,849 थर्ड डिविजन से पास हुए।

सरफराज के पिता अजमल हुसैन ने कहा कि इस शिक्षण संस्थान में उनके बेटे की पढ़ाई में उन्हें कुछ भी गलत नजर नहीं आता है। वह अपने बच्चे की ‘क्वॉलिटी एजुकेशन’ पर जोर देना चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘कई लोग मुझसे मेरे बेटे के संघ परिवार द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ने को लेकर सवाल करते हैं। आखिर इसमें समस्या क्या है? हमारी पहली पहचान असमी है। मेरी बेटी ने तीन साल पहले इसी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की।’

गुवाहाटी के एक होटल में काम करने वाले हुसैन ने कहा, ‘मैं जब पहली बार अपने बेटे को यहां लेकर आया था, हेडमास्टर ने मुझसे पूछा कि क्या मैं अपने फैसले को लेकर पुख्ता हूं। हेडमास्टर ने आगे कहा कि मेरे बेटे को कई श्लोक पढ़ने होंगे जिसमें गायत्री मंत्र और सरस्वती वंदना भी शामिल है। मैंने इसपर सहमति देते हुए कहा कि मैं ऐसी शिक्षा पर जोर देना चाहता हूं जो गुणवत्तापूर्ण हो और व्यक्तित्व निर्माण करे।

इसके अलावा, हुसैन ने कहा कि वह दरांग जिले के पथारूघाट के रहने वाले हैं, ये वो जगह है जहां हिंदू और मुस्लिमों ने मिलकर 1884 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था। अगर हमारे पूर्वज हिंदुओं के साथ मिलकर अपनी जिंदगी कुर्बान कर सकते हैं तो मुझे कोई वजह नजर नहीं आती कि आखिर क्यों मेरे बच्चे को ऐसे स्कूल में नहीं पढ़ना चाहिए।

स्त्रोत:http:khabar.ibnlive.com