‘सबका साथ सबका विकास’ के लक्ष्य की दिशा में बढ़ रही मोदी सरकार

नोटबंदी के फैसले की मियाद खत्म होते ही सरकार जनता की भलाई और विकास के लिए अपनी झोली खोलते हुए किसानों, महिलाओं और मध्यम उद्योग-धंधो से जुड़े लोगों को मदद पहुंचाने के लिए कार्यरत दिख रही है। नोटबंदी की अवधि बीतने के बाद बीते 31 दिसंबर को जनता से मुखातिब प्रधानमंत्री मोदी ने कई प्रकार की जनहितैषी घोषणाएं की। कैशलेस इकोनॉमी के साथ देश को आगे ले जाने की फितरत के साथ अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में भी कार्य होता दिख रहा है।

उज्ज्वला योजना के तहत मोदी सरकार ने एलपीजी गैस कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध कराकर महिलाओं को धुएं की वजह से होने वाली बीमारियों से बचाने का कार्य भी किया, जिससे महिलाओं को लेकर सरकार की सजगता दिख रही है। वही दूसरी ओर गरीबों और मध्यमवर्गीय लोगों को अपना घर दिलाने की दिशा में भी सरकार तेजी से आगे बढ़ती नज़र आ  रही है। कह सकते हैं कि सरकार देश के गरीब, मध्यमवर्ग, महिलाएं, बुजुर्गों आदि सभीके लिए कदम उठा रही है, सबको विकास की धारा में शामिल करने पर जोर दे रही है। यह दिखाता है कि सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अपने घोषित लक्ष्य को पूर्ण करने की दिशा में अग्रसर है।

मोदी सरकार का नोटबंदी को लेकर तीन सूत्री कार्यक्रम था – जिसमें कालाधन व आतंकवाद की गतिविधि में फंडिंग के लिए रोड़ा उत्पन्न करना, जाली नोटों को रोकना और कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ना शामिल था। इस दिशा में पचास दिन बाद सरकार सफल होती दिख रही है। कैशलेस की दिशा में बढ़ते हुए सरकार ने बाबासाहब अम्बेडकर के नाम पर भीम एप्प शुरू कर देश के नागरिकों को कैशलेस की दिशा में सुविधा प्रदान की है, जो देश की अशिक्षित और दूर-दराज की जनता के हित में होगी, क्योंकि देश की आधी आबादी अभी भी डिजिटल माध्यम को लेकर अंजान है, जिसके लिए भीम एप्प एक उपयोगी माध्यम सिद्ध हो सकता है। मोदी ने छोटे कारोबारियों और गरीब किसान सभी की समस्याओं को खत्म करने के लिए निरंतर प्रयासरत दिख रही है। विपक्षी पार्टियों के तमाम आरोपो-प्रत्यारोपों के दरम्यान मोदी ने गर्भवती महिलाओं को भी राहत देने का ऐलान किया।

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तीन लाख किसानों को रूपे कार्ड प्रदान करना और साथ में उनके क़र्ज़ का दो महीने का ब्याज सरकार द्वारा भरना किसानों को कैशलेस अर्थव्यवस्था का भागीदार बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। रूपे कार्ड से गरीब किसानों को बैंकिंग सुविधा से जुड़ने में आसानी होगी, जिसकी बदौलत वह अपने निजी कार्यों को कर सकता है। साथ ही, देश के सभी 651 जिलों में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान की आवश्यकताओं के लिए छः हजार रूपये देने की बात कही। जो गर्भवती महिलाओं को होने वाली दिक्कतों से बचाने के उद्देश्य से सरकार का सराहनीय और अथक प्रयास कहा जा सकता है, क्योंकि महिलाओं को अस्पताल में पंजीकरण, प्रसव, टीकाकरण आदि में पैसों के अभाव में भारी मुसीबतों को झेलना पड़ता था। महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास सरकार ने अपने शुरूआती दिनों से करती आ रही है, जिसके तहत बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ और सुकन्या जैसी योजनाएं उल्लेखनीय है और अपने सटीक और सही दिशा में कार्यरत दिख रही है।

इससे पहले उज्ज्वला योजना के तहत मोदी सरकार ने एलपीजी गैस कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध कराकर महिलाओं को धुएं की वजह से होने वाली बीमारियों से बचाने का कार्य भी किया, जिससे महिलाओं को लेकर सरकार की सजगता दिख रही है। वही दूसरी ओर गरीबों और मध्यमवर्गीय लोगों को अपना घर दिलाने की दिशा में भी सरकार तेजी से आगे बढ़ती नज़र आ  रही है। कह सकते हैं कि सरकार देश के गरीब, मध्यमवर्ग, महिलाएं, बुजुर्गों आदि सभीके लिए कदम उठा रही है, सबको विकास की धारा में शामिल करने पर जोर दे रही है। यह दिखाता है कि सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अपने घोषित लक्ष्य को पूर्ण करने की दिशा में अग्रसर है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)