भाजपा : एक विचार की विजय यात्रा

1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई और इसका प्रथम अधिवेशन मुम्बई में आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण ऐतिहासिक था। इसमें उन्होंने जो भविष्यवाणी की थी, वो आज सत्य सिद्ध हो चुकी है। उन्होंने कहा था- ‘भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर मैं ये भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा।’

भारतीय जनसंघ की स्थापना राष्ट्र प्रथम की विचारधारा के आधार पर हुई थी। उस समय देश में कांग्रेस का वर्चस्व था। यह माना जाता था कि जनसंघ को विपक्ष की ही भूमिका का निर्वाह करना है। तब सदन में इसका संख्याबल कम होता था, लेकिन वैचारिक ओज प्रबल था।

भारी बहुमत की सरकारें भी नाम मात्र के संख्याबल के विचारों से परेशान होती थीं। अटल बिहारी वाजपेयी जब संसद में बोलते थे, तब लोग ध्यान से सुनते थे। सरकार को भी कई मसलों को सुधारने-संभालने की प्रेरणा मिलती थी।

1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई और इसका प्रथम अधिवेशन मुम्बई में आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण ऐतिहासिक था। इसमें उन्होंने जो भविष्यवाणी की थी, वो आज सत्य सिद्ध हो चुकी है। उन्होंने कहा था- ‘भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर मैं ये भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा।’

फिर वह समय आया जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ। छह वर्षों तक इस सरकार ने देश की बेहतरीन सेवा की। अटल जी ने कहा था कि मैं तीन सौ कमल देख रहा हूँ। यह सपना भी साकार हुआ। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी।

जनसंघ और भाजपा की यात्रा में अटल-आडवाणी की जोड़ी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है। उनकी राजनीति भी बेमिसाल रही है। करीब आधी शताब्दी तक अटल जी आगे चलते रहे और आडवाणी स्वेच्छा से पीछे रहे। संगठन के कार्य में संलग्न रहे। यह राजनीति की बेमिसाल जोड़ी थी। वह पार्टी को मजबूत बनाने और सरकार को अपेक्षित सहयोग करने की दिशा में सतत प्रयत्नशील रहे। आडवाणी जी की रथयात्राओं ने भाजपा को नए मुकाम पर पहुंचाया।

साभार : India Today

वस्तुतः भाजपा की यात्रा एक विचार की यात्रा रही है, जिसके आधार पर भाजपा का ‘पार्टी विद अ डिफरेंस’ का दावा एकदम सही लगता है। आज यह देश का सबसे लोकप्रिय दल है और इसकी विचारधारा जन-जन तक पहुँच चुकी है।

भाजपा वर्तमान राजनीति में संभवतः एक मात्र पार्टी है जो व्यक्ति या परिवार पर आधारित नहीं है। यह पूरी तरह विचारधारा पर आधारित पार्टी है। इस विचारधारा के आधार पर ही  ऐसे अनेक मसलों का समाधान हुआ है, जिसकी कल्पना करना भी असंभव था।

लगभग पांच सौ वर्षों के बाद आज अयोध्या में राममंदिर निर्माण का सपना साकार हो रहा है। भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। तीन तलाक, अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों को छूने का साहस कोई सरकार नहीं दिखा पाई थी। नरेंद्र मोदी ने इच्छाशक्ति दिखाई। तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा, अनुच्छेद 370 समाप्त किया गया।

इसी प्रकार नागरिकता संशोधन कानून भी लागू किया गया, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान के उत्पीड़ित बन्धुओं को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हुआ। इसके अलावा दीनदयाल उपाध्याय के अन्त्योदय पर आधारित गरीब-कल्याण की योजनाओं के द्वारा करोड़ों गरीब लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम भी हुआ है।

वास्तव में, भाजपा की सरकारें सुशासन के प्रति समर्पित रहती हैं क्योंकि यही उनकी विचारधारा है। भाजपा इसी विचारधारा पर आधारित पार्टी है। दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को साकार करने का काम भाजपा ने ही किया। उसकी सरकारें अनवरत इस दिशा में प्रयास कर रही हैं। भाजपा समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति के विकास की बात करती है। उनको मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास करती है। इसके लिए अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया है।

कांग्रेस के लोग जब रिवोल्यूएशन की बात करते थे, भाजपा इवेल्यूएशन की बात करती थी। वामपंथी पेट की भूख को बड़ा बताते हैं। वह मानते हैं कि भूख मिटने से संतुष्टि मिलती है लेकिन जहां शरीर, मन, बुद्धि एकात्म के साथ आगे बढ़ते हैं, वहीं सम्पूर्ण संतुष्टि मिलती है। यही एकात्म मानववाद है।

साभार : India Today

नरेंद्र मोदी सरकार ने चालीस करोड़ लोगों के जनधन खाते खुलवाए। पहले ये लोग बैंकिंग सेवा से वंचित थे। आयुष्मान, उज्ज्वला और निर्धन आवास योजनाएं संचालित की गई। देश खुले में शौच से मुक्त हो गया। भाजपा सरकार ने घर घर बिजली पहुंचाई। आठ करोड़ गैस कनेक्शन दिए।

राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था कि योजनाओं के एक रुपये में पन्द्रह पैसा गरीबों तक पहुंचता था। लेकिन वे बस कहकर ही रह गए, समाधान की दिशा में कुछ नहीं किया। समाधान नरेंद्र मोदी ने किया है। आज पूरा पैसा सीधे लोगों के खातों में पहुंच रहा है।

संगठन संरचना की दृष्टि से भी भाजपा अलग दिखाई देती है। उसका विरोध करने वाली पार्टियां परिवार आधारित थीं। वामपंथी अवश्य परिवार आधारित नहीं थे। लेकिन जनभावना को समझने और भारतीयता की दृष्टि को अपनाने में नाकाम रहे। इसलिए इनकी प्रासंगिकता समाप्त होती जा रही है।

समग्रतः 41 वर्षों की इस यात्रा में आज भाजपा भारतीय राजनीति के जिस शीर्ष पर पहुंची है, वो उसकी विचारधारा के प्रति एकनिष्ठ और समर्पित भाव से बढ़ते रहने के कारण ही संभव हुआ है। वस्तुतः भाजपा की यह यात्रा एक विचार की विजय यात्रा है।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)