समावेशी विकास को बढ़ावा देने वाला बजट

कहा जा सकता है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पहला  बजट आम आदमी को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस बजट में अमीर लोगों पर ज्यादा कर आरोपित किया गया है, जबकि मध्यम वर्ग को राहत देने के लिये पुरानी कर संरचना को यथावत रखा गया है। आम लोगों के घर के सपने को साकार करने के लिये भी कर में राहत दी गई है साथ ही साथ कई कल्याणकारी योजनाओं को शुरु करने की बात कही गई है। विलासिता की वस्तुओं, जैसे, सिगरेट, सोना, गुटखा, आदि पर भी कर का दायरा बढ़ाया गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजग सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। वे पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं, जिन्होंने बजट पेश किया है। इसके पहले वर्ष 1970 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्री के रूप में बजट पेश किया था। लेकिन तब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री भी थीं, ऐसे में पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ही मानी जाएंगी। साथ ही, यह भी पहली बार हुआ जब ब्रीफकेस की जगह बजट दस्तावेज को एक लाल रंग के कपड़े में संसद में लाया गया। यह परिवर्तन करने वाली भी निर्मला सीतारमण पहली वित्त मंत्री हैं।

5 लाख करोड़ डॉलर  की अर्थव्यवस्था बनने की आस 

बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि भारत 5 लाख करोड़ डॉलर  की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल कर सकता है। इसके लिये आधारभूत संरचना को मजबूत करना होगा। जिस  रफ्तार से भारतीय अर्थव्यवस्था अभी आगे बढ़ रही है, उसके अनुसार चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 3 लाख करोड़ डॉलर  की बन सकती है। वित्त मंत्री के अनुसार 5 साल पहले भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 1,850 अरब डॉलर था, जो अब बढ़कर 2,700 अरब डॉलर का हो गया है। बजट भाषण में श्रीमती सीतारमण ने राजकोषीय घाटे को काबू में रखने, आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने और रोजगार सृजन पर ज़ोर दिया।

कारोबारी सुगमता पर ज़ोर  

देश में मौजूदा कारोबारी सुगमता को और भी सुगम बनाने की बात वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कही। इसके तहत नये कारोबार को शुरू करने में लगने वाले समय, खरीद-फरोख्त वाले उत्पादों के लिये वेयर हाउस बनाने में लगने वाले समय, किसी कंपनी के लिये बिजली कनेक्शन में लगने वाले समय, व्यवसायिक संपत्तियों के निबंधन में लगने वाले समय, निवेशकों के पैसों की सुरक्षा गारंटी, कर संरचना के स्तर में कमी, निर्यात में लगने वाले समय आदि में बेहतरी लाई जायेगी।  

अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने के प्रयास: 

गौरतलब है कि 4 जुलाई को पेश किये गये आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वर्ष 2019 में भारत के सकल घरेलू अनुपात (जीडीपी) में बढ़ोतरी होगी। वित्त मंत्री के अनुसार चालू वित्त वर्ष में भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर विश्व की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। दुनियाभर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में पिछले तीन साल के दौरान गिरावट आने के बावजूद भारत में वित्त वर्ष 2018-19 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 6 प्रतिशत बढ़कर 64 अरब डालर से अधिक रहा है। 

हाल में प्रत्यक्ष कर में भी बढ़ोतरी हुई है। यह 6.8 लाख करोड़ रूपये से बढ़कर 11.37 लाख करोड़ रूपये हो गया है। माना जा रहा है कि देश में बुनियादी स्तर पर चल रही सुधार प्रक्रिया से निवेश में और भी तेजी आने का अनुमान है। मौजूदा समय में बीमा क्षेत्र पूँजी की कमी का सामना कर रहा है। इसलिये, बीमा मध्यस्थ (इंटरमीडिएटरी) क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने की बात बजट में कही गई है। 

बुनियादी सुविधा बढ़ाने की कोशिश  

आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिये मोदी सरकार ने वर्ष 2019 में 210 किलोमीटर मेट्रो लाइन के निर्माण का लक्ष्य रखा है। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिये सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को बढ़ावा देगी। भारतमाला के दूसरे चरण में राज्यों में सड़कों का जाल बिछाने के लिये राज्य सरकार की मदद की जायेगी। सरकार का लक्ष्य सागरमाला और उड़ान जैसी योजनाओं को लागू करके ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में मौजूद अंतर को पाटना है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में यह भी कहा कि वर्ष 2020 तक वाराणसी से हल्दिया तक गंगा नदी पर कार्गो सेवा शुरू की जायेगी।  

कल्याणकारी पहल   

पानी और रसोई गैस की समस्या को दूर करने के लिये वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय ग्रिड बनाने की घोषणा की है। सरकार का लक्ष्य है वर्ष 2024 तक “हर घर नल, हर घर जल” योजना को लागू करने की है। इस योजना के जरिये हर घर जल पहुंचाने का लक्ष्य है, क्योंकि अभी भी देश में एक बड़ी आबादी साफ पानी पीने से महरूम है। समाज के निचले तबके को आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिये सरकार 59 मिनट में कारोबारियों को कर्ज देने की प्रक्रिया को और भी सबल बनायेगी, ताकि छोटे कारोबारी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। 

वर्तमान में खुदरा कारोबारी मानसिक असुरक्षा के दौर से गुजर रहे हैं। अक्सर कारोबार डूबने पर, उनका बुढ़ापा कष्टमय हो जाता है। इसलिये सरकार चाहती है कि उन्हें पेंशन की सुविधा मुहैया कराई जाये। इसलिये, डेढ़ करोड़ रुपये से कम कारोबार करने वाले तीन करोड़ खुदरा कारोबारियों के लिए प्रधानमंत्री कर्मयोगी  मानधन पेंशन लाभ योजना लाई जायेगी। सभी को आवास मुहैया कराने की प्रक्रिया में भी तेजी लाई जायेगी और यह वर्ष 2022 तक सभी पात्र लाभर्थियों को मुहैया करा दिया जायेगा। 

सभी को बिजली की सुविधा देने का प्रस्ताव 

‘एक देश एक ग्रिड’ के जरिये सभी राज्यों को सस्ती बिजली मुहैया कराने का प्रस्ताव बजट में रखा गया है। इसके तहत हर राज्य को उचित कीमत पर 24 घंटे बिजली मिल सकेगी। बिजली शुल्क को तर्कसंगत करने का प्रस्ताव भी बजट में रखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि वर्ष 2022 तक सभी को बिजली, रसोई गैस और घर उपलब्ध करा दिए जाएंगे।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश

फिलहाल, रोजाना 135 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य इसमें और भी तेजी लाना है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 80,250 करोड़ रुपये की लागत से 1.25 लाख किलोमीटर सड़क को उन्नत बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 1.95 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, इनमें रसोई गैस, शौचालय और बिजली की सुविधा भी मुहैया कराई जानी है। इस बजट में नारी उत्थान के लिये भी व्यवस्था की गई है। महिलाएं आत्मनिर्भर हों, इसके लिये उन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 1 लाख रूपये का कर्ज प्राथमिकता में दिया जायेगा। 

देश को 2 अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य हासिल कर लिया जायेगा। वित्त वर्ष 2019-20 में स्फूर्ति के तहत 100 नये संकुल बनाये जायेंगे, जिससे 50,000 दस्तकारों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्र में 75 हजार प्रशिक्षित कामगार भी तैयार किये जायेंगे। सरकार स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिये जन-जागरूकता अभियान को बढ़ावा देगी, जिसके तहत विशेष टीवी कार्यक्रम शुरू किये जायेंगे।  

शिक्षा में बेहतरी

सरकार के प्रयासों से देश के तीन उच्च शिक्षण संस्थानों की गिनती दुनिया के 200 प्रमुख संस्थानों में होने लगी है। भारत में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये अनुसंधान के लिये अलग से राशि के प्रावधान की बात बजट में कही गई है, जो पिछले साल के बजट से 3 गुना अधिक है। उच्च शिक्षा संस्थानों को गुणवत्ता पूर्ण बनाने के लिये उन्हें 400 करोड़ रूपये दिये जायेंगे। शिक्षा को बेहतर और अर्थपूर्ण बनाने के लिये नई शिक्षा नीति लाई जाएगी। 

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान के तहत हर पंचायत में स्थानीय निकायों को इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। सार्वभौमिक सेवा बाध्यता कोष के तहत इस कार्य में तेजी लाई जायेगी। विदेशी छात्रों को भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली के प्रति आकर्षित करने के लिए भारत में पढ़ो कार्यक्रम शुरू किया जायेगा। 

कर प्रावधान 

अब 2 से 3 करोड़ रूपये आय अर्जित करने वालों को 3 प्रतिशत अतिरिक्त कर देना होगा, जबकि 5 करोड़ रूपये से अधिक आय वाले को 4 प्रतिशत। 2 करोड़ रूपये तक आय अर्जित करने वालों के लिये कर संरचना में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बैंक से साल में 1 करोड़ रूपये से ज्यादा नकदी की निकासी करने पर 2 प्रतिशत टीडीएस देना होगा। जाहिर है, अधिक कमाई करने वालों पर सरकार कर के लिए विशेष निर्भरता दिखा रही है।   

आम लोगों को राहत  

45 लाख रूपये तक 15 सालों तक के लिये गृह ऋण लेने वालों को कर में 3.5 लाख रूपये तक की छुट दी जायेगी। कर्ज लेकर उसे नहीं लौटने वाले चूककर्ताओं को कर्ज लौटने के लिये प्रोत्साहित करने के लिये 1.5 लाख रूपये तक कर में छूट देने की घोषणा भी बजट में की गई है। 

पूँजी का इंतजाम 

पूँजी जुटाने के लिये सरकार का ज़ोर सरकारी कंपनियों के विनिवेश पर रहेगा। चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिये 1 लाख 5 हजार करोड़ रूपये जुटाने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। बैंकिंग क्षेत्र में सख्ती बरतने एवं विविध उपायों को अमल में लाने से वसूली में तेजी आई है। गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में 1 लाख करोड़ रूपये की कमी आई है। बैंकों में विगत 4 सालों में 4 लाख करोड़ रूपये की वसूली हुई है, जिससे बैंकिंग क्षेत्र को बहुत राहत मिली है। बैंकिंग क्षेत्र को और सशक्त बनाने के लिये बैंकों का विलय किया जायेगा। भविष्य में केवल 8 बड़े सरकारी बैंक  देश में रहेंगे।  

रेलवे को मजबूती देने की पहल 

रेलवे में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 2018 से 2030 के दौरान 50 लाख करोड़ रुपये निवेश की जरूरत होगी। तेजी से विकास और यात्री माल ढुलाई सेवाओं के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) की तर्ज पर काम किया जायेगा। रेलवे में तेजी से सुधार लाने और यात्रियों को सुविधाएं उपलब्‍ध कराने के लिये भी रेलवे पीपीपी मॉडल पर काम करेगा।  

निष्कर्ष

लब्बोलुबाव के रूप में कहा जा सकता है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पहला  बजट आम आदमी को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस बजट में अमीर लोगों पर ज्यादा कर आरोपित किया गया है, जबकि मध्यम वर्ग को राहत देने के लिये पुरानी कर संरचना को यथावत रखा गया है। आम लोगों के घर के सपने को साकार करने के लिये भी कर में राहत दी गई है साथ ही साथ कई कल्याणकारी योजनाओं को शुरु करने की बात कही गई है। विलासिता की वस्तुओं, जैसे, सिगरेट, सोना, गुटखा, आदि पर भी कर का दायरा बढ़ाया गया है।  

सच कहा जाये तो सरकार की मंशा देश में समावेशी विकास को सुनिश्चित करना है। इसलिये वित्त मंत्री ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश है। हालांकि सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती देश की अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ डॉलर बनाने की है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये सरकार की क्या रणनीति रहती है, यह देखने वाली बात होगी। बाकी यह भी देखना होगा कि इस बजट में घोषित योजनाओं को जमीन पर उतारने में मोदी सरकार कितना कामयाब होती है।