स्वच्छता को आदत बनाने की दिशा में सफलतापूर्वक बढ़ रही मोदी सरकार

स्वच्छ भारत अभियान की सफलता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस योजना के शुरू होने से पहले मात्र 40 फीसदी लोगों के पास ही शौचालय की सुविधा उपलब्ध थी, किन्तु आज लगभग 90 फीसदी लोगों के पास शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के आकड़े बताते हैं कि अबतक 5,04,316  गांव तथा 513 जिले खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।

स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने 2 अक्टूबर, 2014 को गाँधी जयंती के अवसर पर की थी। इस गांधी जयंती के दिन स्वच्छ भारत अभियान के चार वर्ष पूरे हुए। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आकड़ो और तथ्यों के आलोक में इस योजना की दिशा व दशा पर विमर्श हो।

जाहिर है, इस योजना को 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। योजना को आरम्भ करने से पहले 15 अगस्त, 2014 को स्वतंत्रता दिवस के दिन जब प्रधानमंत्री ने स्वच्छता और शौचालय की बात कही, तो इसके लिए आलोचकों ने उनपर यह कहते हुए निशाना साधा कि लाल किले के प्राचीर से किसी प्रधानमंत्री को शौचालय का जिक्र करना शोभा नही देता। किंतु इन आलोचनाओं से बेपरवाह मोदी ने इस अभियान को एक मिशन बनाने का संकल्प लिया और इसमें काफी हद तक सफल भी हुए हैं।

साभार : इंडिया टुडे

दरअसल, स्वच्छ भारत अभियान एक ऐसी योजना है, जिसका उद्देश्य लोगों की सफाई संबंधी आदतों को बेहतर बनाना, गंदगी से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताना और समाज में स्वच्छता की संस्कृति विकसित करना है। प्रधानमंत्री इस बात को बखूबी जानते हैं कि अगर भारत को स्वच्छ बनाना है, तो इसके लिए सबसे जरूरी बात यह है कि इस योजना को जन-जन तक पहुँचाया जाए। बगैर जन-जागरूकता के इस मिशन को पूरा नही किया जा सकता।

इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने कई सेलिब्रिटियों को स्वच्छ भारत अभियान का ब्रांडअंबेसडर बनाया ताकि ये लोग जनता को स्वच्छता अभियान के प्रति जागरूक कर सके। समय-समय पर ये  सेलिब्रेटी सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों के जरिये विविध प्रकार से लोगो को स्वच्छता के प्रति जागरूक करतें है।

इन सब के बीच खुद प्रधानमंत्री मोदी ने इस अभियान को लेकर जिसप्रकार की इच्छाशक्ति दिखाई है, वो सराहनीय है। कई बार प्रधानमंत्री सफाई के लिए खुद झाड़ू उठा लेते हैं और इस बात पर विशेष जोर देते हैं कि सफाई के लिए पद की गरिमा कोई मायने नही रखती।

जब इस योजना की शुरुआत हुई थी, तो लोगों ने तमाम प्रकार के सवाल उठाए थे। प्रमुख सवाल इस अभियान पर खर्च होने वाले बजट को लेकर था कि इतना पैसा कहाँ से आएगा? बता दें कि सरकार ने इस योजना के लिए 62,009 करोड़ का बज़ट रखा था, जिसमें केंद्र सरकार की तरफ से 14623 करोड़ रूपये उपलब्ध कराएँ जाने की बात है, जबकि 5,000 करोड़ रूपये का योगदान राज्यों को देना होगा। इसके बाद शेष राशि की व्यवस्था पीपीपी व स्वच्छ भारत कोष आदि से की जा रही है।

साभार : जी न्यूज़

गौरतलब है कि इस अभियान की सफलता का मुख्य पहलू  ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रो में सभी घरों में शौचालय उपलब्ध कराना है। स्वच्छ भारत अभियान की सफलता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस योजना के शुरू होने से पहले मात्र 40 फीसदी लोगों के पास ही शौचालय की सुविधा उपलब्ध थी, किन्तु आज लगभग 90 फीसदी लोगों के पास शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के आकड़े बताते हैं कि अबतक 5,04,316  गांव तथा 513 जिले खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।

वर्तमान सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत सबको शौचालय बनवाने की बात थी, उसे साकार करने की दिशा में लगातार बढ़ रही है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 9,15,07,522 शौचालयों का निर्माण हुआ है। अब सवाल उठता है कि आखिर क्या कारण है कि सरकार इतनी बड़ी मात्रा में शौचालय बनाने में कामयाब रही।

इसकी पड़ताल करें तो पता चलता है कि पिछली सरकार द्वारा शौचालय के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि मात्र  9000 हज़ार रूपये थी, वर्तमान सरकार ने इस प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 12000 रूपये कर दिया ताकि लोगों को शौचालय बनाने में पड़ने वाले आर्थिक बोझ से निजात मिल सके। मोदी सरकार से पूर्व की संप्रग सरकार में स्वच्छता के प्रति न कोई नीति दिखाई दी थी, न ही मजबूत इच्छाशक्ति। किन्तु मोदी सरकार ने न केवल नीति बनाई बल्कि उसके क्रियान्वयन की मिसाल भी प्रस्तुत करके दिखाई।

देखा जाए तो स्वच्छता के अभाव में तमाम प्रकार की बीमारीयाँ जन्म लेती हैं जिनकी जद में आकर लोग या तो मौत की नींद सो जाते हैं अथवा उनके इलाज में बर्बाद हो जाते हैं। अमूमन हम अपने घर के कचरे को कहीं दूर न ले जाकर कहीं आस –पास ही फेक देते हैं, जिससे उस क्षेत्र मे कचरा इकठ्ठा होने के कारण मख्खियाँ तथा स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाले विषैले कीटाणु जन्म लेते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। किंतु, प्रधानमंत्री मोदी ने सबका ध्यान उस तरफ आकृष्ट किया और लोगो को बताया कि सबसे ज्यादा जरूरी अपने गली, गाँव, घर तथा दफ्तर को साफ रखना है।

इस योजना के आने के पश्चात् स्वच्छता को लेकर लोगों में भारी जागरूकता आई है। लोग स्वच्छता को लेकर सजग हुए हैं। उससे भी बड़ी बात ये निकल कर सामने आई है कि लोग दूसरों को भी इस विषय पर जागरूक कर रहे हैं। सार्वजनिक जगहों पर गंदगी फैलाने से बच रहे हैं।  

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने एक सर्वे में स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ़ करते हुए बताया है कि 2019 तक इस योजना के द्वारा तीन लाख से अधिक लोगों को मौत के मुंह से निकाल लिया जाएगा। इन सब बातों से स्पष्ट होता है कि जिन उद्देश्यों के साथ सरकार ने इस योजना को शुरू किया था, योजना उन उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में सही ढंग से बढ़ रही है।

बहरहाल, इस योजना का राजनीतिकरण करने से विपक्ष बाज़ नही आ रहा है। बार-बार इसे लेकर तमाम प्रकार की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर रहा है।जिसमें कुछ स्थानों पर गंदगी है,उन तस्वीरों के जरिये विपक्ष द्वारा ये बताया जा रहा है कि स्वच्छ भारत अभियान महज़ एक दिखावा है। इसे विपक्ष की संकुचित मानसिकता ही कहेंगे क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने अनेक बार स्वच्छ भारत अभियान को राजनीति से या सरकार से नही जोड़ने की बात कही है। लेकिन सरकार की एक के बाद एक सफल होती योजनाओं से हताश विपक्ष इसमें सहभागिता के बजाय नकारात्मक राजनीति करने पर तुला हुआ है।

जबसे इस योजना की शुरुआत हुई है, स्वच्छता को लेकर व्यापक स्तर पर सुधार हुए हैं, मसलन आज रेलवे स्टेशनों पर साफ–सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। ट्रेनों में शौचालय की सफाई नियमित रूप से होती है। अस्पतालों, बस अड्डों, शिक्षण संस्थानों समेत सभी क्षेत्रों में इस अभियान का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। कुल मिलाकर हर्ष की बात ये है कि यह योजना फाइलों तक सिमटने की बजाय धरातल पर दिख रही है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)