देश के लिए हर तरह से घातक हैं रोहिंग्या, नहीं दी जा सकती शरण !

रोहिंग्या मुसलमानों का गहराई से अध्ययन करने वाले दावा करते हैं कि वे बेहद खूंखार हैं। इन्हें म्यामार से यूँ ही नहीं खदेड़ा जा रहा, वहाँ ये बौद्ध बच्चियों से बलात्कार के बाद उनकी वीभत्स हत्या कर अंतरियाँ तक निकाल डालते थे। म्यांमार में बौद्ध भिक्षु विराथु वैसे तो शांति के उपासक रहे हैं, मगर उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के सामूहिक क्रूर अत्याचार के खिलाफ म्यांमार में युद्ध छेड़ दिया है। उन्होंने अपने उपदेश में कहा कि शांति के लिए आप पागल कुत्ते के साथ नहीं सो सकते। उसके बाद म्यांमार से रोहिंग्या समूह को खदेड़ा जाने लगा। बस, इसके बाद से ही इनके हाथ-पैर फूल रहे हैं।

रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने की मांग हो रही है। ये कथित मानवतावादी जान लें कि राष्ट्रीय सुरक्षा नाम की चीज भी होती है। देश पहले ही कश्मीर, नक्सली, गरीबी, बेरोजगारी आदि समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में, देश अपने सीमित संसाधनों को रोहिंग्या पर लुटाने के लिए तैयार नहीं है। खुद पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जरदारी ने रोहिंग्याओ को पाकिस्तान में शरण देने का विरोध किया है। बांग्लादेश रोहिंग्याओ को अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरा बता रहा है। लेकिन, भारत में उन्हें शरण देने के लिये वाम और सेकुलर खेमे के लोग कुतर्क कर रहें है। 

सवाल आंतरिक सुरक्षा का

रोहिंग्या मुसलमानों का भारत में रहना गैर-कानूनी है और उन्हें सरकार संवैधानिक दर्जा नहीं दे सकती है। कुछ रोहिंग्या मुसलमान आतंकवाद में शामिल हैं और ऐसे में वे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इसी कारण केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप न करे और इसे सरकार पर छोड़ दे। सरकार का रुख स्पष्ट है कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं, अतः इन्हें शरण नहीं दी जा सकती।  केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने टाइम्स आफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में साफ कर दिया है कि रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने का सवाल ही नहीं है। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी कुछ इसी तरह का रुख दिखा चुके हैं।

रोहिंग्या : सांकेतिक चित्र

मुस्लिम देश भी शरण देने को तैयार नहीं

रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर म्यांमार के सबसे करीबी पड़ोसी बांग्लादेश ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों को अपने यहां नहीं रखना चाहता है। उसे मालूम है इनकी हरकतें। बांग्लादेश के एक मंत्री मोहम्मद शहरयार ने कहा है कि ये बांग्लादेश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं, हमारे यहां पूर्व में घटनाएं घट चुकी हैं, यही कारण हैं कि हम उनको लेकर सावधान हैं। पर, भारत में इन्हें शरण देने की वकालत करने वाले बढ़ते जा रहे हैं। इस्लामिक देशों के अगुवा समझे जाने वाले सऊदी अरब और पाकिस्तान ने भी इन्हें अपने यहाँ घुसने से रोक रखा है। दुनिया में 52 इस्लामिक देश है। लेकिन, गजब यह है कि कोई भी इन्हें अपने पास रखने को तैयार नहीं है। इनके लिए थोड़ी बहुत मदद को तुर्की जरूर तैयार हुआ है।

रोहिंग्या मुसलमानों पर निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने  मुस्लिम समुदाय की सही क्लास ली है। उन्होंने मुस्लिमों पर तंज कसते हुए उनपर अपने ही लोगों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। तस्लीमा नसरीन ने ट्वीट कर लिखा, ‘मुस्लिम उन मुसलमानों के लिए रोते हैं जो गैर मुस्लिमों के जुल्म का शिकार होते हैं। मुस्लिम तब नहीं रोते जब मुस्लिमों पर मुस्लिमों द्वारा ही जुल्म किया जाता है।’ 

खूंखार और आपराधिक प्रवृत्ति के हैं रोहिंग्या

सवाल है कि इन्हें शरण देने से मुस्लिम देश भी क्यों कन्नी काट रहे ? केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि बहुत से रोहिंग्या मुसलमानों ने भारत में अपना जाली पहचान पत्र बनवाया है और वे मानव तस्करी में संलग्न हैं। रोहिंग्या हुंडी व हवाला के जरिये अवैध फंड जुटाने में भी संलग्न हैं। गौरतलब यह घटना भी है कि अभी बीती ईद के मौके पर फरीदाबाद के एक गांव में रोहिंग्या मुसलमान सरेआम भैंस की कुर्बानी देने लगे थे। पर, जब कुछ स्थानीय लोगों ने उनसे इस तरह की हरकत से बाज आने के लिए कहा, तो वे मारपीट करने लगे। इस घटना के जरिये इनकी मानसिकता को समझा जा सकता है।   

खूंखार रोहिंग्या : सांकेतिक चित्र

इन रोहिंग्या मुसलमानों का गहराई से अध्ययन करने वाले दावा करते हैं कि वे बेहद खूंखार हैं। इन्हें म्यामार से यूँ ही नहीं खदेड़ा जा रहा, वहाँ ये बौद्ध बच्चियों से बलात्कार के बाद उनकी वीभत्स हत्या कर अंतरियाँ तक निकाल डालते थे। म्यांमार में बौद्ध भिक्षु विराथु वैसे तो शांति के उपासक रहे हैं, मगर उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के सामूहिक क्रूर अत्याचार के खिलाफ म्यांमार में युद्ध छेड़ दिया है। उन्होंने अपने उपदेश में कहा कि शांति के लिए आप पागल कुत्ते के साथ नहीं सो सकते। उसके बाद म्यांमार से रोहिंग्या समूह को खदेड़ा जाने लगा है। बस, इसके बाद ही इनके हाथ-पैर फूलने लगे। आज शरण मांगते वक़्त ये मजलूम लग रहे, लेकिन शरण मिलने के बाद ये खतरनाक साबित हो सकते हैं। वैसे चालीस हजार रोहिंग्या भारत में आ चुके हैं, जिन्हें बाहर करने के लिए गंभीर क़दमों की आवश्यकता है।

आतंकवादी कनेक्शन

अभी बीते सप्ताह ही पूर्वी दिल्ली से अलकायदा के एक संदिग्ध आतंकवादी को गिरफ्तार किया गया है। गुप्त सूचना के आधार पर दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने शौमान हक (27) को  विकास मार्ग के समीप गिरफ्तार किया। यह रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकी ट्रेनिंग देता था। आतंकी के पास से बिहार के किशनगंज का वोटर आईडी कार्ड मिला है और वह ब्रिटिश नागरिक है। साल 2013 में वह साउथ अफ्रीका गया था और वहां से सीरिया जाकर उसने आतंकी संगठन ज्वाइन किया था। वह रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकी बनाता था।

बहरहाल, सरकार को रोहिंग्या मुसलमानों के सवाल पर अपना स्टैंड साफ और कड़ा रखना होगा जो कि सरकार ने रखा भी है। यहां पर सवाल मानवाधिकार या मानवतावाद का नहीं है। यहां पर सवाल देश की आतंरिक सुरक्षा से जुड़ा है। सरकार का रुख स्वागतयोग्य है।

(लेखक यूएई दूतावास में सूचनाधिकारी रहे हैं। वरिष्ठ स्तंभकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)