सौभाग्य योजना : हर घर बिजली पहुँचाने की ठोस और रचनात्मक पहल

सौभाग्य योजना के तहत 16,320 करोड़ रुपये की लागत से देश के 4 करोड़ परिवारों जिनके पास बिजली कनेक्शन नहीं है, को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे ताकि इनके जीवन में भी उजाला हो सके। जिन दूरदराज के इलाकों में बिजली कनेक्शन पहुँचाना फिलहाल मुश्किल है, उन इलाकों के परिवारों को ‘सौभाग्य योजना’ के तहत सरकार सौर ऊर्जा के जरिये बिजली उपलब्ध कराएगी। इसके लिए उन्हें मुफ्त में बैटरी, पांच एलईडी बल्ब और एक पंखा देगी। दिसंबर, 2018 तक देश के हर घर तक बिजली पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है।

मोदी सरकार द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था के विकास के साथ नागरिक की मूल आवश्यकताओं को केंद्रीत कर योजनाएं बनाई जा रही हैं। ये सरकार सिर्फ शहरी विकास पर केन्द्रित नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की ओर भी अग्रसर है। प्रधानमंत्री अपने भाषणों और कार्यक्रमों में इस बात को साफ कर चुके हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा, तभी शहरों में कुछ नए निर्माण की संभावना है।

ग्रामीण विकास पर ध्यान देते हुए देश में बिजली से वंचित परिवारों को बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मोदी सरकार द्वारा पं दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती के अवसर पर सौभाग्य योजना का शुभारंभ किया गया। भारत के तमाम शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों पर सही तरीके से अध्ययन किया जाए तो पता चलेगा कि तकरीबन 4 करोड़ परिवार आज के युग में भी बिजली के अभाव में जीवनयापन कर रहे हैं।

इस योजना के तहत 16,320 करोड़ रुपये की लागत से देश के 4 करोड़ परिवारों जिनके पास बिजली कनेक्शन नहीं है, को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे ताकि इनके जीवन में भी उजाला हो सके। जिन दूरदराज के इलाकों में बिजली कनेक्शन पहुँचाना फिलहाल मुश्किल है, उन इलाकों के परिवारों को ‘सौभाग्य योजना’ के तहत सरकार सौर ऊर्जा के जरिये बिजली उपलब्ध कराएगी। इसके लिए उन्हें मुफ्त में बैटरी, पांच एलईडी बल्ब और एक पंखा देगी। दिसंबर, 2018 तक देश के हर घर तक बिजली पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है।

वैसे, इस योजना का लक्ष्य केवल परिवारों को बिजली की आपूर्ति करना ही नहीं है, बल्कि श्रमिकों को रोजगार दिलाना भी है। आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई ‘सौभाग्य योजना’ के लिए कम से कम 28 हजार मेगावाट सालाना अतिरिक्त बिजली की आवश्यकता होगी। बिजली आपूर्ति के साथ इस योजना में आर्थिक गतिविधियां का स्तर बढ़ने के कारण 10 करोड़ मानव श्रम रोजगार सृजित होंगे।

ऊर्जा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक देश में लगातार बढ़ गई मांग के कारण यह अनुपात समय के साथ बदल जाएगा। योजना से आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन से सम्बंधित बयान में कहा गया है, ‘बिजली के उपयोग से केरोसीन की खपत घटेगी। इससे केरोसीन पर दी जाने वाली सालाना सब्सिडी में कमी आने के साथ पेट्रोलियम उत्पादों का आयात कम होगा।’ 

कुल मिलाकर स्पष्ट है कि मोदी सरकार की ये ‘सौभाग्य योजना’ ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों तक बिजली पहुंचाने की दिशा में एक अध्ययनपूर्ण, रचनात्मक और सार्थक निवेश से परिपूर्ण प्रयास है। अच्छी बात है कि इसका परिणाम भी जल्दी ही सामने आ जाना है। इस योजना के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी इस बात को एक बार फिर चरितार्थ किया है कि ये गांवों और गरीबों की सरकार है।

(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)