अटल सुरंग : विश्व की इस सबसे बड़ी सुरंग का महत्व भी बहुत बड़ा है

दस हजार फीट की ऊंचाई पर विश्व की सबसे बड़ी सुरंग का निर्माण आसान नहीं था। यहां के पत्थर बहुत कठोर हैं। इसके अलावा अनेक दुर्गम स्थल भी इसके रास्ते में थे। इन सबका मुकाबला किया गया, उनका समाधान किया गया। इसका आधुनिक दृष्टि से निर्माण किया गया है। इस बड़े निर्माण का महत्व भी व्यापक है।

बीते तीन अक्टूबर को दुनिया की सबसे बड़ी सुरंग ‘अटल सुरंग’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को समर्पित कर दिया। इसका सपना अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था, इसलिए इसको उन्हीका नाम दिया गया है। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने इसकी कार्ययोजना भी बनाई थी। लेकिन यूपीए सरकार के कार्यकाल में इसका काम अटका रहा। आखिर अब नरेंद्र मोदी सरकार ने इस बेहद कठिन कार्य को पूर्ण करके दिखा दिया है।

विश्व की सबसे बड़ी ‘अटल सुरंग’ देश को समर्पित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (साभार : PIB)

यह दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है जो 9.02 किमी लंबी है और मनाली को साल भर लाहौल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। पहले घाटी छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी। यह करीब दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

इतनी ऊंचाई पर विश्व की सबसे बड़ी सुरंग का निर्माण आसान नहीं था। यहां के पत्थर बहुत कठोर हैं। इसके अलावा अनेक दुर्गम स्थल भी इसके रास्ते में थे। इन सबका मुकाबला किया गया, उनका समाधान किया गया। इसका आधुनिक दृष्टि से निर्माण किया गया है। इस बड़े निर्माण का महत्व भी व्यापक है।

चीन से संघर्ष की दशा में यह बहुत उपयोगी साबित होगी। इसके निर्माण की योजना अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाई थी, इसलिए उनके नाम पर इसका नामकरण ‘अटल टनल’ किया गया है।

इससे लेह और मनाली के बीच की दूरी छियालीस किलोमीटर तक कम हो जाएगी। इससे रोहतांग दर्रे के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हुआ है। मनाली वैली से लाहौल और स्पीति वैली तक पहुंचने में करीब पांच घंटे का समय लगता था। अब मात्र दस मिनट लगेंगे। इसके साथ ही अब लद्दाख में तैनात सैनिकों से सुगम संपर्क कायम रहेगा। उन्हें हथियार और रसद न्यूनतम समय में पहुंचाई जा सकेगी।

आपात परिस्थितियों के लिए इस सुरंग के नीचे एक अन्य सुरंग का भी निर्माण किया जा रहा है। यह किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए बनाई जा रही है और विशेष परिस्थितियों में आपातकालीन निकास का काम करेगी।

साभार : PIB

इस सुरंग के लोकार्पण के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार पर सीधा हमला बोला। कहा कि वह सरकार परियोजनाओं को लम्बित रखने में विश्वास करती थी। फाइल खोलती थी, बन्द करती थी। समय बीत जाता था। मोदी ने कहा कि सीमा क्षेत्र पर निर्माण बहुत आवश्यक था।

लेकिन पहले की सरकार गम्भीर नहीं थी। यूपीए सरकार जिस प्रकार कार्य कर रही थी, उससे यह सुरंग 2040 में बनती। लेकिन यूपीए की विदाई के साथ इसमें अभूतपूर्व तेजी लाई गई। छह साल में छब्बीस साल का काम किया गया।

गौर करें तो पहले की सरकार में सामरिक योजनाओं को लटकाने और भटकाने की संस्कृति खूब रही। असम में सबसे बड़े रेल पुल का कार्य अटल जी की सरकार ने शुरू किया था। लेकिन यूपीए में यह लटक गया। मोदी सरकार ने इसे तेज किया। सभी बड़े प्रोजेक्टों के साथ यही किया गया।

वास्तव में, यह अटल सुरंग हिमाचल के साथ लेह लद्दाख की भी लाइफ लाइन बन गई है। पहाड़ के लोग जानते हैं कि चार घण्टे की दूरी कम होना कितना महत्वपूर्ण होता है। इससे किसान-पर्यटन सभी को लाभ मिलेगा। धार्मिक पर्यटन के विश्वस्तरीय विकास की संभावनाएं पनपेंगी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अटल जी ने जब इस सुरंग का सपना देखा था, उस समय नरेंद्र मोदी हिमाचल के प्रभारी थे। संयोग है कि आज यह सुरंग उन्हीं के करकमलों से राष्ट्र को समर्पित की जा रही है। सीमा की स्थिति सबको पता है। वैसे पाकिस्तान व चीन कभी भारत के हितैषी नहीं रहे हैं। ऐसे में भारत को विशेष तैयारी करनी थी। अटल टनल इसमें उपयोगी साबित होगी। इससे सामरिक व अन्य सामग्री भेजना सुगम हो जाएगा। इसके अलावा इससे पर्यटन को गति मिलेगी।

नरेंद्र मोदी को हिमाचल प्रदेश में कार्य करने का व्यापक अनुभव रहा है। अतः हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों से भी वे बखूबी परिचित हैं। दुनिया की सबसे बड़ी सुरंग का उद्घाटन तो अपने में भी विशेष था। इसलिए नरेंद्र मोदी ने अटल टनल के वर्चुअल लोकार्पण से इनकार कर दिया था। उन्होंने इस कोरोना काल में भी यहां जाने का निर्णय लिया था।

मोदी ने मजाक में कहा भी कि मैं यह नहीं जानता कि मेरा हिमाचल पर कितना अधिकार है, लेकिन हिमाचल का मुझपर पूरा अधिकार है। इसलिए एक दिन में यहां तीन कार्यक्रम लगाए गए। मोदी ने भी इसे अवसर के रूप में स्वीकार किया।

यहां के कार्यक्रम मुख्यतः दो रूप में महत्वपूर्ण रहे। पहला, यह देश की सुरक्षा से जुड़ा था। अटल टनल सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। दूसरा, इन कार्यक्रमों से अटल बिहारी वाजपेयी का नाम जुड़ा है।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब योजनाएं वोट के हिसाब से नहीं बनाई जा रही हैं। सबका साथ सबका विकास की भावना से कार्य किया जा रहा। वर्तमान सरकार देश के सभी लोगों तक विकास पहुंचाने का कार्य कर रही है। उनके इस कथन की सत्यता का प्रमाण उनके कार्यों से ही हो जाता है।