भारत के विकास को रफ्तार देगी गति शक्ति योजना

भारत के पास विकास का कोई लक्ष्य हासिल करने और हर प्रकार की उपलब्धि प्राप्त करने की क्षमता है। बस सरकारी मशीनरी की सुस्ती के कारण उस क्षमता का आजादी के बाद सही ढंग से उपयोग नहीं हो पाया। लेकिन अब मोदी सरकार के शासन में देश बदलाव की राह पर चल पड़ा है और गति शक्ति योजना उस बदलाव की ही एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो नए भारत के विकास की तस्वीर गढ़ने वाली होगी।

बीते 13 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘गति शक्ति– नेशनल मास्टर प्लान’ की शुरुआत की गयी। इस योजना की घोषणा प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए अपने भाषण में की थी, जिसकी अब विधिवत शुरुआत हो गयी है। देश के बुनियादी ढाँचे से जुड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने और पूरा करने की दिशा में यह योजना बहुत बड़ा कदम साबित होने वाली है।

इसके तहत 100 लाख करोड़ की बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को गति मिलेगी। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि, “आज 21वीं सदी का भारत सरकारी व्यवस्थाओं की पुरानी सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। हमने ना सिर्फ़ परियोजनाओं को तय सीमा में पूरा करने का वर्क कल्चरविकसित किया बल्कि आज समय से पहले परियोजनाएं पूरा करने का प्रयास हो रहा है। 

गति शक्ति – नेशनल मास्टर प्लान की शुरुआत करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (साभार : PIB)

‘गति शक्ति – नेशनल मास्टर प्लान’ के तहत देश में जमीन, आसमान और पानी तीनों ही स्तरों पर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए जोरशोर से काम किया जाएगा। इस मिशन के द्वारा साल 2024-25 तक एयरपोर्ट, हेलीपोर्ट, वाटरएयरोड्रम्स की संख्या को बढ़ाकर 220 किया जाएगा। 109 नए एयरपोर्ट बनाए जाएंगे। इसके तहत देश में मौजूद 51 एयरस्ट्र‍िप के विकास का काम भी बढ़ाया जाएगा।

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया संचालित राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार कर उन्हें 2 लाख किलोमीटर तक  किया जाएगा। बता दें कि 2014 में इसकी लम्बाई सिर्फ 91 हजार किमी थी और इस साल नवंबर के अंत तक इसके 1.3 लाख किमी हो जाने की उम्मीद है। 

रक्षा के क्षेत्र में भी गति शक्ति मिशन का असर दिखाई देगा। 20 हजार करोड़ की लागत से यूपी में दो रक्षा कोरीडोर बनाए जाएंगे जिनके जरिये देश में 1.7 लाख करोड़ रुपये के डिफेंस उत्पादों का उत्पादन होगा और इनका करीब 25 फीसदी हिस्सा निर्यात किया जाएगा। इसके अलावा नेशनल इंडस्ट्र‍ियल कॉरिडोर  डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत देश भर में 2024-25 तक 11 इंडस्ट्रि‍यल कॉरिडोर बनाने की योजना है। 

गैस पाइपलाइन के नेटवर्क को विस्तार देने की दिशा में भी गति शक्ति योजना काम करेगी। 2024-25 तक इस नेटवर्क को दुगुना करते हुए 34500 किमी तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार की योजना है कि वर्ष 2027 तक देश के हर राज्य को गैस पाइपलाइन से जोड़ दिया जाए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में गति शक्ति मिशन की निस्संदेह महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। 

रेलवे की माल ढुलाई क्षमता में भी बढ़ोत्तरी लाई जाएगी। इसी तरह नदियों के जरिये होने वाली माल ढुलाई में भी वृद्धि लाने के लिए गति शक्ति के तहत काम किया जाएगा। सरकार की योजना गंगा नदी में 29 मिलियन मीट्रिक टन क्षमता का और अन्य नदियों में 95 मिलियन मीट्रिक टन तक माल ढुलाई करवाने की है। समुद्री बंदरगाहों से साल 2024-25 तक लगभग सत्रह सौ मिलियन मीट्रिक टन प्रति साल की ढुलाई का लक्ष्य है। 

इसी क्रम में साल 2024 तक दूरसंचार विभाग द्वारा 35 लाख किमी का ऑप्ट‍िकल फाइबर नेटवर्क बिछाने का प्लान है। गति शक्ति के अंतर्गत ही फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री द्वारा देश में करीब 200 मेगा फूड पार्क बनाने, फिशिंग क्लस्टर बढ़ाकर 202 तक करने, 15 लाख करोड़ के टर्नओवर वाले 38 इलेक्ट्रॉनिक क्लस्टर बनाने, 90 टेक्सटाइल क्लस्टर बनाने और 110 फार्मा एवं मेडिकल डिवाइस क्लस्टर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस तरह के और भी कई विकास कार्यों को गति शक्ति योजना के माध्यम से तेजी के साथ निर्धारित समय में पूरा किया जाएगा।   

अब सवाल यह उठता है कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी देश विकास के मोर्चे पर तेजी से आगे क्यों नहीं बढ़ पाया कि आज मोदी सरकार को बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए इस स्तर पर काम करना पड़ रहा है। दरअसल आजादी के बाद देश में सरकारों द्वारा विकास की योजनाएं-परियोजनाएं तो खूब बनाई गईं लेकिन उनकी गति बहुत धीमी रही। एक सुस्त कार्य संस्कृति देश की सरकारी मशीनरी में इस कदर व्याप्त होता गया कि विकास कार्यों का अटकना और लटकना कोई बड़ी बात नहीं रह गई।

सरकार बुनियादी ढाँचे से जुड़ी परियोजना को शुरू तो बड़े जोर-शोर से करती लेकिन शुरू होने के बाद वह निर्माण कार्य पूरा हुआ या नहीं, इसकी खोज-खबर लेने की जरूरत नहीं समझी जाती। इस कारण छोटी-मोटी अड़चनों से लेकर भ्रष्टाचार तक के कारण अक्सर विकास कार्य कभी शुरू भी नहीं हो पाता तो कभी आधा-अधूरा होकर अटका रह जाता।  

सरकारी मशीनरी की इस सुस्ती का सबसे बड़ा कारण आजादी के बाद एक ही दल का लम्बे समय तक सत्ता में बने रहना प्रतीत होता है। दरअसल आजाद भारत के लगभग साढ़े सात दशक के इस दौर में पचास साल से ज्यादा समय कांग्रेस ही देश की सत्ता में रही है। यहाँ तक कि इमरजेंसी जैसा तानशाही कदम उठाने के बाद भी कांग्रेस थोड़े समय बाद फिर सरकार बनाने में कामयाब हो गई।

सत्ता की इस सहज सुलभता ने ही कांग्रेस के दिमाग में यह बात बिठा दी कि वे चाहें कुछ भी करें, जनता उन्हें ही चुनेगी। परिणाम यह हुआ कि कांग्रेसी सरकारें जनता के हित और देश के विकास से बेपरवाह भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड बनाने में लगी रहीं, नौकरशाही सुस्ती का शिकार होती गई और देश विकास के मोर्चे पर पिछड़ता गया।  

साभार : PIB

लेकिन 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से इस स्थिति में बदलाव की शुरुआत हुई है। देश में अटकी पड़ी सरकारी परियोजनाओं को चिन्हित करके, उनके अटकने के कारणों को दूर करते हुए उन्हें पूरा करने की दिशा में तेजी से काम शुरू किया गया। इसीका परिणाम है कि मोदी सरकार में वर्षों से अटकी कई परियोजनाएं पूरी हुई हैं।

उदाहरण के तौर पर विंध्य क्षेत्र की बहुउद्देश्यीय बाणसागर परियोजना 1977 में शुरू होकर अटकी पड़ी थी, जिसे 2018 में मोदी सरकार ने पूरा किया। सिर्फ यही नहीं, प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने अटकी पड़ी सौ के करीब सिंचाई परियोजनाओं को चिन्हित कर उन्हें पूरा करने के लिए वित्त उपलब्ध कराया तथा अधिकांश परियोजनाओं को 2019 तक पूरा कर लिया गया। 

इसी तरह आजादी के लगभग सत्तर साल बाद भी देश के 18452 गाँव ऐसे थे जहां बिजली नहीं पहुँची थी। 2015 के स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में यह घोषणा की कि मार्च, 2019 तक इन गांवों में बिजली पहुँचा दी जाएगी और निर्धारित समय से पहले ही यह लक्ष्य प्राप्त भी कर लिया गया। यहाँ सड़क निर्माण का जिक्र भी जरूरी होगा। बीती जुलाई में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ भारत में 2020-21 के दौरान सड़क निर्माण की रफ़्तार प्रतिदिन 36.5 किलोमीटर रही है जो कि एक रिकॉर्ड है।

कुछ और आंकड़ों पर नजर डालें तो मोदी सरकार से पूर्व 2013-14 तक देश में हर साल 4260 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण हो रहा था। मोदी सरकार में यह आंकड़ा लगातार बढ़ता गया। 2014-15 में 4410 किलोमीटर, 2015-16 में 6061 किलोमीटर और 2016-17 में 8231 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण हुआ। वहीं 2017-18 में 9829 किलोमीटर सड़कें बनी। ऐसे और भी अनेक उदाहरण हैं, जो मोदी सरकार के आने के बाद देश के बदले वर्क कल्चर को दिखाते हैं।  

सरकारी मशीनरी की कार्य-संस्कृति में जो बदलाव मोदी सरकार के आने के बाद से हुआ है, उस बदलाव को गति शक्ति योजना और धार देगी। इस योजना के माध्यम से देश अपने बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए एक मिशन मोड काम करेगा।

इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत के पास विकास का कोई लक्ष्य हासिल करने और हर प्रकार की उपलब्धि प्राप्त करने की क्षमता है। बस सरकारी मशीनरी की सुस्ती के कारण उस क्षमता का आजादी के बाद सही ढंग से उपयोग नहीं हो पाया। लेकिन अब मोदी सरकार में देश बदलाव की राह पर चल पड़ा है और गति शक्ति योजना उस बदलाव की ही एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो नए भारत के विकास की तस्वीर गढ़ने वाली होगी।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)