अमेरिका

रूस और अमेरिका दोनों को साथ-साथ लेकर बढ़ती भारतीय विदेश नीति

भारतीय विदेश नीति के समक्ष लम्बे समय से यह एक यक्ष-प्रश्न बना हुआ था कि रूस और अमेरिका में से भारत किसके साथ बढ़े। ये दोनों देश महाशक्ति और दोनों से संबंधों का बेहतर होना आवश्यक लेकिन इनकी आपसी प्रतिद्वंद्विता के कारण एक से नजदीकी रखने पर दूसरे के दूर होने का संकट संभावना भी प्रबल हो जाती थी। लेकिन, मोदी सरकार ने अपनी सूझबूझ और दूरदर्शिता से पूरें विदेशनीति के जरिये इन

मोदी सरकार की विदेशनीति की बड़ी सफलता, दुनिया में बेनकाब हो रहा पाक का नापाक चेहरा

उरी आतंकी हमले के बाद केरल के कोझिकोड में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो महत्वपूर्ण बातें कहीं थीं। पहली कि उरी में शहीद हुए हमारे जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा और उनके भाषण की दूसरी महत्वपूर्ण बात यह थी कि हम आतंकवाद को पनाह देने वाले एकमात्र देश (पाकिस्तान) को दुनिया के पटल पर अलग-थलग कर देंगे। इस बयान को दिए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए और

मोदी सरकार के मजबूत नेतृत्व का असर, जी-२० में पहली पंक्ति में मिली भारत को जगह!

यह संयोग ही है कि चौदह साल बाद दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री को ग्रुप-२० समिट में पहली कतार में खड़ा होने का अवसर मिला है। इसके पूर्व वर्ष २००२ में जब ग्रुप-२० समिट का आयोजन भारत में किया गया था, तो मेहमान देश होने के नाते भारत के प्रधानमंत्री पहली पंक्ति में खड़े हुए थे। यह संयोग ही है कि तब भी देश में भाजपा-नीत राजग की सरकार थी और आज चौदह साल बाद जब विदेशी जमीन पर किसी

मोदी सरकार के मजबूत नेतृत्व में चीन को पछाड़ सफलता की नई इबारत लिखेगा भारत!

चीन ने जिस तरह से, अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा का अपमानजनक स्वागत किया है उससे एक बात साफ़ है कि चीन आगे के समय में अमेरिका

सामरिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है लिमोआ समझौता!

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 29 अगस्त को अमरीका में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेण्डम ऑफ़ एग्रीमेंट (LEMOA) पर हस्ताक्षर किये हैं। यह समझौता सामरिक दृष्टिकोण से एक अलग तरह का महत्व रखता है। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से भारत और अमेरिका दुनिया भर में फैले एक दूसरे के सैन्य ठिकानों से रसद सहायता साझा कर सकेंगे।

कामयाब कूटनीति की झलक

संजय गुप्त  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चौथी अमेरिकी यात्रा कई मायने में ऐतिहासिक रही। इस यात्र को लंबे समय तक सिर्फ इसलिए ही याद नहीं रखा जाएगा कि उन्होंने अमेरिकी संसद में प्रभावशाली भाषण दिया, बल्कि इसलिए भी कि वह अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को एक नई ऊंचाई तक ले गए। जिस अमेरिकी

जानिये क्यों ऐतिहासिक है प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिकी संसद में दिया गया भाषण

सिद्धार्थ सिंह भारत और अमेरिका का इतिहास, संस्कृति एवं आस्थाएं भले ही अलग-अलग हों लेकिन दोनों देशों के लोकतंत्र में नागरिकों की अटूट आस्था और अभिव्यक्ति की आजादी की स्वतंत्रता, एक समान हैं। सभी नागरिक के एक सामान अधिकार हैं, यह विचार भले ही अमेरिकी संविधान का केन्द्रीय (मुख्य) आधार हो, लेकिन भारत में संविधान