कृषि

कांग्रेस की तरह मोदी सरकार की कृषि योजनाएं फाइलों तक नहीं सिमटीं, बल्कि जमीन पर पहुँच रही हैं!

अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए मोदी सरकार ने 14 खरीफ फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) में 180 रूपये से लेकर 1827 रूपये तक की भारी-भरकम बढ़ोत्‍तरी की है। राम तिल (नाइजर सीड) पर सबसे ज्‍यादा 1827 रूपये प्रति क्‍विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है जबकि मूंग के एमएसपी में 1400 रूपये का इजाफा किया गया है।

हवा-हवाई नहीं, ठोस नीतियों पर आधारित है किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर के किसानों से संवाद करते हुए अपनी सरकार के कार्यों का ब्‍योरा दिया और 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की प्रतिबद्धता भी दुहराई। प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के प्रयासों को आंकड़ों से पुष्‍ट भी किया। गौरतलब है कि यूपीए सरकार के पांच साल (2009-14) में कृषि क्षेत्र के लिए बजट आवंटन 1.21 लाख करोड़ रुपये था जो

मोटे अनाजों के जरिए कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में जुटी मोदी सरकार !

देश में किसानों की बदहाली की सबसे बड़ी वजह है, कांग्रेसी शासन काल की एकांगी कृषि विकास नीति। आज अनाज के भरे हुए गोदाम के बावजूद देश में कुपोषण की व्‍यापकता है, तो इसका कारण भी आजादी के बाद की कांग्रेसी सरकारों द्वारा लम्बे समय तक चलाई गयीं खेती की अदूरदर्शी नीतियां हैं।

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए भाजपा सरकारों की अनूठी पहल

इसमें कोई दो राय नहीं कि देश की खेती-किसानी की बदहाली पिछली सरकारों द्वारा लंबे समय तक कृषिगत आधारभूत ढांचा विशेषकर बिजली, सड़क, सिंचाई, बीज, उर्वरक, भंडारण, विपणन, प्रसंस्‍करण आदि की ओर ध्‍यान न दिए जाने का नतीजा है। भ्रष्‍टाचार में आकंठ डूबी और जाति-धर्म की राजनीति करने वाली सरकारों के पास इतनी फुर्सत ही नहीं थी कि वे दूरगामी कृषि सुधारों की ओर ध्‍यान देतीं। यही कारण है

मोदी सरकार के इन क़दमों से बढ़ेगी किसानों की आय !

कृषि क्षेत्र में अपेक्षित वृद्धि हेतु सरकार इस क्षेत्र की मौजूदा कमियों को दूर करना चाहती है। इस कवायद के तहत केंद्र सरकार ने हाल ही में चने और मसूर के आयात शुल्क में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है; वहीं तोरिया, जो मुख्य रूप से राजस्थान में पैदा होने वाली तिलहन फसल है, के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि की है। सरकार जल्द ही गेहूं के आयात शुल्क, जो मौजूदा समय में 20 प्रतिशत है, में भी बढ़ोतरी

उर्वरकों की कमी दूर करने में कामयाब रही मोदी सरकार !

कांग्रेसी सरकारें हर स्‍तर पर बिचौलियों-मुफ्तखोरों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी करने के मामले में कुख्‍यात रही हैं। जिन–जिन राज्‍यों में कांग्रेस की जगह जातिवादी सरकारें आई उन्‍होंने तो भ्रष्‍टाचार को राजधर्म बना डाला। यहां उत्‍तर प्रदेश के बहुचर्चित राशन घोटाले का उल्‍लेख प्रासंगिक है, जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अनाज से लदी मालगाड़ी गोंडा से सीधे बांग्‍लादेश पहुंचा दी गई थी। इसी तरह करोड़ों लोग फर्जी पहचान के

सिंचाई तंत्र को सुदृढ़ करने में जुटी मोदी सरकार

इसे पिछले साठ सालों में सरकारों की नाकामी ही माना जाएगा कि अमेरिकी उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने वाले देश की खेती-किसानी अभी भी “मानसून का जुआ” बनी हुई है। हर साल देश का कोई न कोई इलाका सूखे की चपेट में रहता है और सिंचाई के लिए पानी की किल्‍लत तो कमोबेश हर जगह बनी रहती है। इस विडंबना को दूर करने का बीड़ा प्रधानमंत्री मोदी ने उठाया है।

इजरायल से हुए कृषि विकास समझौते से भारतीय कृषि बनेगी मुनाफे का सौदा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान इजरायल से अन्य क्षेत्रों के साथ जल प्रबंधन और कृषि विकास सहयोग समझौता किया गया है। इस समझौते के बाद यह उम्मीद बंधी है कि अब इजरायल की कृषि तकनीक का भारत को भी लाभ मिल सकेगा, जिससे भारतीय कृषि के भी फायदे का सौदा बनने के रास्ते खुलेंगे।

इन तथ्यों से साफ हो जाता है कि राजनीति की उपज है मध्य प्रदेश का किसान आंदोलन !

यह एक हद तक सही है कि देश में किसानों की माली हालत ठीक नहीं है, लेकिन पिछले दिनों जिस तरह अचानक देश के कई हिस्‍सों में किसानों का आंदोलन उठ खड़ा हुआ, उससे 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सक्रिय हुए पुरस्कार वापसी गिरोह की याद ताजा हो उठी। बाद में किसानों को आंदोलन के लिए भड़काने, सड़कों पर दूध बहाने से लेकर सब्‍जी फेंकने तक में कांग्रेसी नेताओं की संलिप्‍तता के ऑडियो-वीडियो

कामयाब होती मोदी सरकार की कृषि नीतियाँ, खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद

मोदी सरकार की कृषि नीति एवं बेहतर मॉनसून की वजह से जून में समाप्त हो रहे फसल वर्ष में गेहूं, चावल और दलहन सहित खाद्यान्न का रिकॉर्ड 27 करोड़ 33 लाख 80 हजार टन उत्पादन होने का अनुमान है, जो पिछले साल 25 करोड़ 15 लाख टन हुआ था। इसके पहले रिकॉर्ड उत्पादन फसल वर्ष 2013-14 में 26 करोड़ 50 लाख टन का हुआ था। खाद्यान्नों में चावल, गेहूं, मोटे अनाज एवं दलहन शामिल हैं। कृषि मंत्रालय ने