नोटबंदी

उड़ीसा और महाराष्ट्र निकाय चुनावों में भी नोटबंदी पर लगी जनता की मुहर

नोटबंदी के बाद मोदी सरकार को गरीब विरोधी सरकार बताने वाली कांग्रेस पार्टीं का वजूद धीरे-धीरे भारतीय राजनीति के नक़्शे में सिमटता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपाध्यक्ष अमित शाह की ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की बात सही साबित होती नज़र आ रही है। नोटबंदी जैसे काले धन को ख़त्म करने और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाले कदम को गरीब और किसान विरोधी बताकर कांग्रेस व अन्य विपक्षी

सरकार की कृषि नीतियों का दिखने लगा असर, फसलों के उत्पादन में हुई रिकॉर्ड वृद्धि

नोटबंदी के बाद विरोधियों द्वारा सबसे ज्यादा इस बात पर बवाल किया गया कि इससे किसानों और खेती को बहुत नुकसान पहुंचेगा। कृषि व्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। लेकिन, अगर इस साल के पैदावार से सम्बंधित आंकड़ों पर गौर करें तो विरोधियों के सभी दावों की पोल खुलकर सामने आ जाती है। चालू फसल वर्ष में अबतक की सर्वाधिक पैदावार हुई है। पैदावार बढ़ने का सबसे बड़ा कारण होता है मानसून; जो कि

रिज़र्व बैंक की स्वायत्तता को लेकर बेजा हंगामा

नोटबंदी के मुद्दे पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्वायत्तता को लेकर इन दिनों खूब सवाल उठ रहे हैं । रिजर्व बैंक के कुछ पूर्व गवर्नर, नोबेल सम्मान से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन आदि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता और उसकी आजादी को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं । इनका कहना है कि विमुद्रीकरण के दौरान सरकार ने रिजर्व बैंक के कामकाज में दखल दिया और सरकार के कहने पर ही बैंक के बोर्ड ने छियासी

देश की राजनीति बाद में करियेगा, पहले बंगाल संभालिये ममता मैडम!

आज बंगाल तथा बंगाल की मुख्यमंत्री दोनों चर्चा के केंद्र में हैं। बंगाल, रक्तरंजित राजनीति, साम्प्रदायिक हिंसा तथा शाही इमाम द्वारा जारी फतवे के लिए चर्चा में है, तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने मोदी विरोध के हठ तथा भ्रष्ट नेताओं के बचाव के चलते लगातार सुर्ख़ियों में हैं। दरअसल, नोटबंदी का फैसला जैसे ही मोदी सरकार ने लिया तभी से ममता, मोदी सरकार पर पूरी तरह से बौखलाई हुई हैं।

भीम एप : नक़दी रहित अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा, भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम

नये साल के तोहफे के रूप में मोदी सरकार ने भारत की जनता को एक ऐसा माध्यम दिया है, जिसके इस्तेमाल से न केवल नोट की समस्या का समाधान होगा बल्कि बैंक की कतार या बैंक जाने से ही राहत मिल सकती है । जाहिर है कि 8 नवंबर को मोदी सरकार ने नोटबंदी जैसा साहसिक कदम उठाया उसके बाद से ही विपक्ष ने सरकार के इस एतिहासिक फैसले को खोखला तथा विफल बताने की बेजा कोशिश में

भीम एप : नक़दी रहित अर्थव्यवस्था की दिशा में कारगर कदम

देश की अर्थव्यवस्था से कालाधन और भ्रष्टाचार की सफाई के उद्देश्य से नोटबंदी जैसा साहसिक फैसला लेने वाली मोदी सरकार ने कैशलेस इकोनॉमी की तरफ देश को बढ़ाने की दिशा में भीम एप्प लांच किया है। इस एप्प का नाम डॉ भीमराव अम्बेडकर के नाम पर भीम एप रखा गया है। भीम एप डिजिटल लेनदेन की प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाने के साथ ग्रामीण तबके के लोगों को भी कैशलेस इकोनॉमी में

डिजिटल आदान-प्रदान की दिशा में नयी क्रांति लाएगा भीम एप

सत्ता संभालते ही देश के लिए सकारात्मक दिशा में कदम उठाने में लगे हुए पीएम मोदी ने कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए नोटबंदी का कदम उठाया। नोटबंदी के बाद भारत को नक़दी रहित अर्थव्यवस्था की तरफ मोड़ने बनाने की कोशिश में लगे प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल पेमेंटिंग के लिए बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के नाम पर भीम एप्प लॉन्च किया। BHIM का अर्थ है भारत इंटरफेस फॉर मनी

नोटबंदी की विफलता का बेसुरा राग

नोटबंदी को लेकर पिछले पचास दिनों में जमकर सियासत हुई । व्यर्थ के विवाद उठाने की कोशिश की गई । केंद्र सरकार पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए गए । केंद्र सरकार पर एक आरोप यह भी लग रहा है कि इस योजना से कालाधन को रोकने में कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि उसका स्रोत नहीं सूखेगा । इस तरह का आरोप लगाने वाले लोग सामान्यीकरण के दोष के शिकार हो जा रहे हैं । अर्थशास्त्र का एक बहुत ही

‘सबका साथ सबका विकास’ के लक्ष्य की दिशा में बढ़ रही मोदी सरकार

नोटबंदी के फैसले की मियाद खत्म होते ही सरकार जनता की भलाई और विकास के लिए अपनी झोली खोलते हुए किसानों, महिलाओं और मध्यम उद्योग-धंधो से जुड़े लोगों को मदद पहुंचाने के लिए कार्यरत दिख रही है। नोटबंदी की अवधि बीतने के बाद बीते 31 दिसंबर को जनता से मुखातिब प्रधानमंत्री मोदी ने कई प्रकार की जनहितैषी घोषणाएं की। कैशलेस इकोनॉमी के साथ देश को आगे ले जाने की फितरत के साथ

अपने पचास दिनों में हर तरह से लाभकारी रही है नोटबंदी

नोटबंदी के पचास दिन पूरे हो चुके हैं। बीते 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन में पांच सौ और एक हजार के नोटों को चलन से बाहर करने का निर्णय सुनाया था। निश्चित रूप से यह फैसला देश में छुपे काले धन और नक़ली नोटों के कारोबार पर सर्जिकल स्ट्राइक की तरह था। अतः आम जनता द्वारा इसका खुलकर स्वागत किया गया और नोट बदलवाने के लिए कतारों की मुश्किल से दो-चार होने