भारत

देशवासियों में ‘स्व’ का भाव जगाने के लिए सतत प्रयासरत है संघ

संघ के शून्य से इस स्तर तक पहुंचने के पीछे इसके द्वारा अपनाई गई विशेषताएं यथा परिवार परंपरा, कर्तव्य पालन, व सामूहिक पहचान आदि विशेष रूप से जिम्मेदार हैं।

अंतरिक्ष बाजार में भी बढ़ रहा भारत का दबदबा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने गत 15 फरवरी 2017 को कुल 104 उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करके एक नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण भी भारत की आर्थिक विकास दर में हो रही वृद्धि

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए केंद्र सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं और केंद्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च की जाने वाली राशि का बजट में प्रावधान लगातार बढ़ाया जा रहा है

क्वाड के तेवर से सहमा चीन

क्वाड का उद्देश्य प्रशांत महासागर, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया  में विस्तृत नेटवर्क के जरिए जापान और भारत के साथ मिलकर इस क्षेत्र में एक ऐसा वातावरण निर्मित करना है..

वैश्विक स्तर पर भुगतान माध्यम के रूप में स्थापित हो रहा है भारतीय रुपया

भारत को आगे आने वाले समय में डॉलर की आवश्यकता कम होने लगेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कई देशों के बीच रुपए की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ती जा रही है।

जी-20 : भारतीय विचार से निकल रही वैश्विक समस्याओं के समाधान की राह

जी-20 अध्यक्षता के दौरान भारत के अनुभव और ज्ञान का लाभ विश्व को, विशेषकर विकासशील देशों को मिलेगा। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि..

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में बजा भारत का डंका!

भारत से भी कुछ मंत्री व निजी क्षेत्र की कम्पनियों के अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए। भारत में लागू आर्थिक नीतियों की विश्व आर्थिक मंच पर बहुत तारीफ की गई। 

दुनिया में भले आर्थिक सुस्ती हो, मगर भारत में बरकरार रहेगी विकास की तेज गति

महंगाई और विकास की सुस्त वृद्धि दर से विकसित देशों समेत दुनिया भर के अधिकांश देश मंदी की ओर बढ़ रहे हैं, जबकि भारत मजबूती से विकास की दिशा में अग्रसर है।

भगिनी निवेदिता : मार्गरेट नोबल से निवेदिता तक की यात्रा

स्वामीजी द्वारा बताई गयी सब चुनौतियों को स्वीकार करते हुए मार्गरेट नोबेल 28 जनवरी,1898 को अपना परिवार, देश, नाम, यश छोड़कर भारत आती हैंI

भारत की सनातन संस्कृति एवं चिरंतन जीवन-पद्धति की युगीन व्याख्या है एकात्म मानववाद

उन्होंने मनुष्य का समग्र चिंतन करते हुए जिस दर्शन का प्रवर्त्तन किया, उसे  पहले ‘समन्वयकारी मानववाद’ और बाद में ‘एकात्म मानववाद’ नाम दिया।