मोदी सरकार

बज़ट 2017-18 : राष्ट्र के दूरगामी हितों और नागरिकों के सर्वांगीण विकास को समर्पित

१ फरवरी २०१७ को अरुण जेटली ने २०१७-१८ के वित्तीय वर्ष का बजट प्रस्तुत किया। वित्त वर्ष २०१७-१८ का यह बज़ट पिछले कई वर्षो से पेश किये जा रहे अन्य बजटों की अपेक्षा ज्यादा चर्चित रहा, क्योंकि इस बार समय से पहले बज़ट पेश करने को लेकर विपक्ष सहित तमाम लोग यह अनुमान लगा रहे थे कि इस बजट में केंद्र की मोदी सरकार आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र लोक-लुभावने ऐलान कर सकती

सर्व-समावेशी एवं दूरगामी सोच से परिपूर्ण बज़ट

बज़ट सत्र आते ही सारे देश की निगाहें बज़ट पर आ जाती हैं कि आखिरकार इस बार केंद्रीय वित्त मंत्री उनके लिए क्या खास लेकर आए हैं। मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भी गत दिनों देश का आम बजट पेश किया। इस बार का बजट हर मायनों में खास रहा है। चाहे वो महंगाई पर काबू पाने की बात हो या फिर बुनियादी सुविधाओं की व्य़वस्था को दुरूस्त करने की। आख़िर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपना

उज्ज्वला योजना : महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक कदम

मोदी सरकार द्वारा गत वर्ष आरम्भ की गयी उज्ज्वला योजना न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवारों की अधिकांश महिलाएं आज भी मिट्टी के चूल्हे पर खाना पकाती हैं। ऐसे परिवारों को उज्ज्वला योजना के अंतर्गत भारत सरकार एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराएगी। एलपीजी कनेक्शन गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को दिया जाएगा। केंद्र

भीम एप : नक़दी रहित अर्थव्यवस्था की दिशा में कारगर कदम

देश की अर्थव्यवस्था से कालाधन और भ्रष्टाचार की सफाई के उद्देश्य से नोटबंदी जैसा साहसिक फैसला लेने वाली मोदी सरकार ने कैशलेस इकोनॉमी की तरफ देश को बढ़ाने की दिशा में भीम एप्प लांच किया है। इस एप्प का नाम डॉ भीमराव अम्बेडकर के नाम पर भीम एप रखा गया है। भीम एप डिजिटल लेनदेन की प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाने के साथ ग्रामीण तबके के लोगों को भी कैशलेस इकोनॉमी में

यूपी चुनाव : भाजपा के पक्ष में दिख रही लोकसभा चुनाव जैसी लहर

संभवतः इस सप्ताह चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दे। सभी पार्टियाँ पूरी तैयारी के साथ प्रदेश के चुनावी दंगल में उतरने के लिए बेताब हैं, सभी दल अपनी–अपनी दावेदारी पेश करने में लगे हैं, किन्तु लोकतंत्र में असल दावेदार कौन होगा इसकी चाभी जनता के पास होती है। सत्ता की चाभी यूपी की जनता किसे सौंपती है यह भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है। लेकिन, यूपी में जो

‘सबका साथ सबका विकास’ के लक्ष्य की दिशा में बढ़ रही मोदी सरकार

नोटबंदी के फैसले की मियाद खत्म होते ही सरकार जनता की भलाई और विकास के लिए अपनी झोली खोलते हुए किसानों, महिलाओं और मध्यम उद्योग-धंधो से जुड़े लोगों को मदद पहुंचाने के लिए कार्यरत दिख रही है। नोटबंदी की अवधि बीतने के बाद बीते 31 दिसंबर को जनता से मुखातिब प्रधानमंत्री मोदी ने कई प्रकार की जनहितैषी घोषणाएं की। कैशलेस इकोनॉमी के साथ देश को आगे ले जाने की फितरत के साथ

संसद सत्र को हंगामे की भेंट चढ़ाने वाले विपक्षी दलों का जनता करेगी हिसाब

लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद का का काम जनता की भलाई करना होता है, लेकिन शीतकालीन सत्र में जो स्थिति नजर आई, उसे देखकर इस सम्बन्ध में निराशा ही होती है। जिस नोटबंदी पर विपक्ष ने इस पूरे संसद सत्र को हंगामे की भेंट चढ़ा दिया, उसपर भारतीय जनता सरकार के साथ खड़ी है। क्योंकि लोगों को समझ आ रहा है कि इसका दूरगामी असर देश के लिए सुखद साबित होगा। फिर किस उद्देश्य की पूर्ति के

सरकार की कौशल विकास नीतियों से कुशलता की ओर अग्रसर भारत

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने वक्तव्यों में जिस बात की सर्वाधिक चर्चा की जाती रही है, वो यह है कि भारत का सर्वाधिक युवा आबादी संपन्न देश होना उसकी सबसे बड़ी ताकत है। मोदी की इस बात को वैश्विक मान्यता तब मिली जब संयुक्त राष्ट्र ने साल २०१४ नवम्बर में ‘१.८ अरब लोगों की ताकत’ नाम से वैश्विक आबादी पर जारी अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि आज भारत दुनिया का सबसे युवा देश है।

दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए मोदी सरकार का एक और कदम

केंद्र की सत्ता का भार संभालते हुए मोदी सरकार ने अपने वादों को पूरा किया। पहले किसानों, फिर महिलाओं के अच्छे दिनों का वादा पूरा करते हुए अब सरकार दिव्यांगों के अच्छे दिन लाने वाली है। देश में दिव्यांगों के अधिकारों की सुरक्षा करने वाले विधेयक ‘निशक्त जन अधिकार विधेयक – २०१४’ को हंगामे की भेट चढ़े संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिनों में पारित कर दिया गया। विपक्ष ने सरकार के

मोदी सरकार को अर्थनीति सिखाने से पहले ज़रा अपनी गिरेबान में तो झाँक लीजिये, मनमोहन सिंह जी!

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी, संसद में आपकी इस तकरीर कि नोटबंदी संगठित और कानूनी लूट-खसोट है और इस फैसले से देश के किसानों और उद्योगों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, ने कुल मिलाकर देश को हंसते-हंसते लोटपोट हो जाने का ही मौका दिया है। आपका यह प्रवचन ठीक उसी प्रकार है, जैसे कोई रोगी वैद्य किसी मरीज को बेहतर दवाओं का नुस्खा बताता है। आपको भान होना चाहिए कि स्वयं