सेना

वे कौन-से नमाज़ी थे कि उनके सीने में हत्यारी मानसिकता धधक रही थी !

गत दिनों जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के नौहट्टा स्थित जामिया मस्जिद से नमाज़ अदा करके निकली उन्मादी भीड़ ने मस्जिद के बाहर सुरक्षा इंतजामों के लिए मौजूद डीएसपी अयूब पंडित की निर्ममतापूर्वक पीट-पीटकर हत्या कर दी। उनपर भीड़ के इस हमले के सम्बन्ध में कई तरह की बातें सामने आ रही है।

कश्मीर में सेना की नयी ‘रणनीति’ ने आतंकियों की कमर तोड़ दी है !

पिछले साल हुए सर्जिकल स्‍ट्राइक जैसे अहम सैन्‍य ऑपरेशन के बाद भारतीय सेना बहुत मुस्‍तैद और मारक हो गई है। यही कारण है कि सीमा पर बढ़ रहे लगातार तनाव के बावजूद सेना ने स्थिति को बखूबी संभाला हुआ है। आए दिन सीमा पार से घुसपैठ करने वाले आतंकियों की धरपकड़ की जा रही है, तो कहीं नियमित रूप से मिलिट्री इनकाउंटर में आतंकी मारे जा रहे हैं। कहना होगा कि भारतीय सेना इन दिनों

संदीप दीक्षित ने कुछ नया नहीं किया, सेना का अपमान करना तो कांग्रेस की पुरानी परम्परा रही है !

काग्रेस सरकारों ने सेना को कभी खुली छूट नहीं दी, जिस कारण पाकिस्तानी गोलीबारी से लेकर कश्मीर के अराजक तत्वों तक से निपटने तक में सेना को अत्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था। अब मोदी सरकार ने सेना को खुली छूट दे दी है, जिसका परिणाम है कि अब हमारे जवान न केवल आतंकियों का सफाया कर रहे बल्कि कश्मीर के अराजक तत्वों से भी कठोरता के साथ निपटने रहे हैं।

इस सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान के साथ-साथ सबूत मांगने वालों की भी बोलती बंद कर दी है !

पिछले कुछ दिनों से देश की सीमा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा फायरिंग और हमले की घटनाएं बढ़ती नज़र आ रही थीं। पाक की इन नापाक हरकतों से देश में फिर उड़ी हमले के बाद जैसा ही आक्रोश जमा होने लगा था। पिछले साल मोदी सरकार ने उड़ी हमले के जवाब में पकिस्तान पर जो सर्जिकल स्ट्राइक करवाई थी, उसकी वजह से लोगों की उम्मीद सरकार से काफी ज्यादा थी।

सेना पर सवाल उठाने वाले बताएं कि उन्हें पत्थरबाजों से इतना लगाव क्यों है ?

पत्थरबाज सेना के जवानों के साथ जिस तरह का बर्ताव कर रहे और जिस तरह उनके तार पाकिस्तान से जुड़े होने की बात सामने आ रही, उसके बाद यह कहना गलत नहीं है कि ये लोग किसी तरह के रहम के काबिल नहीं हैं। पाकिस्तान की शह पर आतंकियों की मदद करने वाले ये चाँद कश्मीरी पत्थरबाज देशद्रोही हैं, अतः इनके साथ कड़ाई से पेश आना ही समय की ज़रूरत है।

सेना के कठोर रुख पर सवाल उठाने वाले सेना के साथ बदसलूकी पर खामोश क्यों हैं ?

पिछले दिनों श्रीनगर में चुनाव कराकर लौट रहे सीआरपीएफ के जवानों के साथ जिस तरह कश्मीर के बिगड़े और अराजक नौजवानों ने उन पर लात-घूसा बरसा बदसलूकी की और बड़गाम चाडूरा (बड़गाम) में हिजबुल मुजाहिदीन के खतरनाक आतंकी को बचाने के लिए सेना पर पत्थरबाजी की, उससे देश सन्न है। हथियारों से लैस होने के बावजूद भी सीआरपीएफ के जवानों ने तनिक भी प्रतिक्रिया

यदि पत्थरबाज कश्मीर की आज़ादी के लिए लड़ रहे तो आप भी पत्थर उठा लीजिये, अब्दुल्ला साहब !

अब्दुल्ला ने कश्मीरी पत्थरबाजों को सही बताते हुए कहा कि वे अपने मुल्क की आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अब्दुल्ला से पूछा जाना चाहिए कि यदि इन कश्मीरी युवाओं का शिक्षा और रोजगार की संभावनाओं को छोड़ पत्थर उठाकर अपने ही देश के जवानों से लड़ना उनको जायज लग रहा, तो वे खुद और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला पढ़-लिखकर राजनीति में क्यों हैं; क्यों नहीं पत्थर उठाकर कश्मीर की तथाकथित आज़ादी के नेक काम में लग जाते हैं ?

अग्नि-5 का हुआ सफल परीक्षण, भारत की तरफ आँख उठाने से पहले सौ बार सोचेंगे चीन-पाक

भारत ने अपने रक्षातंत्र को मजबूत करते हुए, अग्नि पंचम को अपने बेड़े में शामिल किया हैं, जो कि अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा निर्मित इस प्रक्षेपास्त्र के आने के बाद अब आधी दुनिया भारत की जद में होगी और पाकिस्तान के साथ चीन जैसे पड़ोसी मुल्क अब अपने हलक से ज़ुबान निकालने में जरूर एक मर्तबा सोचने को विवश होंगे। देश की यह अत्याधुनिक

नये सेनाध्यक्ष की नियुक्ति का बेजा विरोध कर रहे विपक्षी दल

पिछले दिनों से एक खतरनाक राजनीतिक प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। यह प्रवृत्ति है भारतीय सेना को सियासत में खींचने की। अपनी सियासी चाल के लिए सेना के इस्तेमाल की। आज़ादी के बाद से हमारे देश में सेना सियासत से ऊपर रही है। जिस तरह से विदेश नीति को लेकर कमोबेश सभी दल एक धरातल पर रहते हैं, उसी तरह से सेना को लेकर भी सभी दलों में लगभग मतैक्य रहता आया है। लेकिन अब

सेना के जवानों संग दीपावली मनाने की शानदार पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सकारात्मक दिशा में नवीन प्रयोगों और नवाचारों के लिए विश्व भर में ख्यातिलब्ध हैं। हमेशा सकारात्मक दिशा में कुछ नया करने की सतत कोशिश नरेंद्र मोदी को औरों से अलग बनाती है। दीपावली के अवसर पर प्रधानमंत्री ने देशवासियों से यह अपील की है कि वे सीमा पर हर पल तैनात हमारी सेना के जवानों को शुभकामना संदेश भेजें। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर एक चार मिनट