अहिंसा

शस्त्र और शास्त्र की समन्वित शक्ति के प्रतीक हैं परशुराम

मनुष्य के लिए आत्मरक्षण और समाज-सुख-संरक्षण के निमित्त शस्त्र का आराधन भी आवश्यक है। शर्त यह है कि उसकी शस्त्र-सिद्धि पर शास्त्र-ज्ञान का दृढ़ अनुशासन हो। भगवान परशुराम इसी शस्त्र-शास्त्र की समन्वित शक्ति के प्रतीक हैं। सहस्रार्जुन के बाहुबल पर उनकी विजय उनकी शस्त्र-सिद्धि को प्रमाणित करती है, तो राज्य भोग के प्रति उनकी निस्पृहता

‘जो भारत कल तक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक था, अब वो हथियार निर्यात कर रहा है’

आज हमारे देश की अनेक सरकारी कंपनियां विश्व स्तर के हथियार बना रही हैं और भारत विश्व के 42 देशों को रक्षा सामग्री निर्यात कर रहा है।

जयंती विशेष : गांधी कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे

जहाँ तक गाँधी की प्रासंगिकता का सवाल है तो उसके बरक्स अपनी ओर से कुछ कहने के बजाय कतिपय प्रसंगों-संदर्भों-आँकड़ों-घटनाओं-वक्तव्यों को जानना-समझना रोचक एवं सुखद रहेगा।