इन्वेस्टर्स समिट

योगी राज में सांस्कृतिक उत्थान और आर्थिक विकास को साथ लेकर चल रहा यूपी

इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन तथा राम मंदिर का युद्धस्तर पर निर्माण यही दर्शाते हैं कि योगी सरकार सांस्कृतिक उत्थान और आर्थिक विकास को साथ लेकर चल रही है।

योगी सरकार के उपलब्धियों से भरे साढ़े चार साल

योगी सरकार के साढ़े चार वर्षों में राष्ट्रीय पटल पर एक नया, सक्षम और समर्थ उत्तर प्रदेश उभरकर आया है। पांच वर्ष पहले इसे बीमारू प्रदेश माना जाता था।

लखनऊ में होने जा रहा डिफेन्स एक्सपो 2020, भारत को रक्षा विनिर्माण हब बनाने की कवायद

अगले महीने स्वतंत्र भारत के रक्षा क्षेत्र में एक नया अध्याय जुड़ेगा। पांच फरवरी से नौ फरवरी तक लखनऊ में अभूतपूर्व डिफेंस एक्सपो का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाने में सहायक होगा। योगी आदित्यनाथ सरकार ने दो वर्ष पहले इन्वेस्टर्स समिट का अभूपपूर्व आयोजन किया था। इतना ही नहीं प्रयागराज कुम्भ, प्रवासी सम्मेलन भी

इन्वेस्टर्स समिट : न्यू इंडिया की दिशा में सर्वाधिक योगदान देने की कोशिश में जुटा उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट पिछली सरकारों के समय भी बहुत जोर शोर से होती रही है और उनमें देश के शीर्ष उद्योगपति शामिल होते रहे हैं। इसके माध्यम से प्रदेश के औद्योगिक विकास का सपना भी दिखाया जाता रहा है, लेकिन इस समिट से जमीनी स्तर पर कोई विशेष उपलब्धि हासिल नहीं हुई।

उत्तराखंड : खली का शो आयोजित करने वाले क्या समझेंगे इन्वेस्टर्स समिट का अर्थ?

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का क्रिकेट स्टेडियम अब तक दो मेगा शो का गवाह बन चुका है। पहला आयोजन वर्ष 2016 के फरवरी महीने में हुआ था। ‘द ग्रेट खली रिटर्न्स मेगा शो’ के नाम से आयोजित इस कार्यक्रम का तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ऐसे प्रचार किया, मानो यह प्रदेश की तकदीर बदल देगा। मेगा शो को सफल बनाने के लिए कांग्रेस सरकार ने अपनी पूरी ताकत

‘इन्वेस्टर्स समिट’ के द्वारा यूपी के विकास की नयी इबारत लिखने में जुटी योगी सरकार !

उत्तर प्रदेश की पिछली दोनों सरकार को पूर्ण बहुमत से अपना कार्यकाल पूरा करने का अवसर मिला था। उनके मुख्यमंत्रियों के लिए अपने कतिपय ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने में भी आसानी थी। शायद उन्होने कुछ ड्रीम प्रोजेक्ट बनाये भी थे और इनकी चर्चा भी खूब होती थी । लेकिन प्रदेश के सर्वांगीण विकास या बीमारू छवि से प्रदेश को बाहर निकालने के प्रति इन सरकारों में पर्याप्त गंभीरता दिखाई नहीं दी थी। वर्तमान