काला धन

विदेशी काला धन क़ानून के तहत आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई, 422 मामलों में नोटिस जारी

काला धन इस देश में हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। हाल ही में संसद में केंद्र सरकार ने काले धन को लेकर कुछ महत्‍वपूर्ण जानकारियां प्रस्‍तुत की हैं। ये जानकारियां गौरतलब इसलिए भी हैं क्‍योंकि इससे सरकार की मंशा ही नहीं, बल्कि सरकार के कृत्‍यों की भी पुष्टि होती है।

काले धन पर मोदी सरकार को कोसने वालों की बोलती बंद कर देंगे ये आंकड़े!

पिछले सप्‍ताह काले धन की बातें फिर से चर्चा में आ गईं। जिस अहम बिंदु का जिक्र छिड़ा वह यह रहा कि वर्ष 2014 के बाद से भारतीयों के विदेशों में जमा कथित कालेधन में कमी आई है। असल में राज्‍यसभा के सदन में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह अहम जानकारी प्रस्‍तुत की। स्विटजरलैंड की बैंकों में वर्ष 2014 से लेकर पिछले साल यानी 2017 तक तीन वर्ष की अवधि में इस

‘मोदी सरकार बनने के बाद स्विस बैंकों में 80 प्रतिशत कम हुआ भारतीय काला धन’

राज्यसभा ने 25 जुलाई को भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक पारित कर दिया। लोकसभा ने इस विधेयक को 19 जुलाई को पारित किया था। दोनों सदनों में इस विधेयक के पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु भेजा जायेगा। स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जायेगा। इस विधेयक में आर्थिक अपराध करके विदेश पलायन करने वालों पर पाबंदी लगाने के प्रावधान

डिजिटलीकरण से भ्रष्टाचार और काले धन पर लग रही लगाम

हाल ही में आयकर विभाग ने 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की 900 से अधिक बेनामी संपातियाँ जब्त की है, जिनमें फ्लैट, दुकानें, आभूषण, वाहन आदि शामिल हैं। अगर व्यक्ति कोई जायदाद किसी दूसरे के नाम से खरीदता है, तो उसे बेनामी संपत्ति कहा जाता है। ऐसे जायदाद आमतौर पर पत्नी, पति या बच्चे के नाम से खरीदे जाते हैं, जिनके भुगतान के स्रोत की जानकारी नहीं होती है। वैसे, भाई, बहन, साला, साली या

काले धन पर एक और चोट, 3500 करोड़ की बेनामी संपत्ति हुई जब्त !

नोटबंदी के बाद से काले धन की रोकथाम के लिए मोदी सरकार एकदम से कमर कस चुकी है। नोटबंदी, बाजार में मौजूद नकदी काले धन को बैंकिंग प्रणाली में सम्मिलित करवाने में कारगर रही। इसके बाद बात उठी कि बहुत सारा काला धन तो लोग नकदी से इतर बेनामी संपत्ति के रूप में इधर-उधर लगा चुके हैं, मगर इसके लिए भी मोदी सरकार पहले से ही तैयारी करके बैठी थी।

नोटबंदी के बाद काले धन पर फिर बड़ी कार्रवाई, ईडी ने की तीन सौ फर्जी कंपनियों पर छापेमारी

गत वर्ष नवम्बर में देश की अर्थव्यवस्था की जड़ों को खोखला करने वाले कालेधन के खिलाफ मोदी सरकार ने नोटबंदी जैसा बड़ा कदम उठाया ताकि देश में मौजूद कालेधन पर लगाम लगाईं जा सके। नोटबंदी के फैसले के बाद ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों और कारोबारियों की रूह कांप गई कि आखिरकार वो अपने हर एक रुपये का हिसाब कहां से और कैसे देगे। चंदे आदि का हिसाब देने से बचने के कारण कई

सीएसओ ने जारी किए आंकड़े, नोटबंदी का नहीं पड़ा अर्थव्यवस्था पर कोई दुष्प्रभाव

नोटबंदी पिछले तीन महीनो से देश के सबसे चर्चित विषयों में से एक रही है। विपक्षियों द्वारा नोटबंदी के बाद इस बात को लेकर बहुत शोर किया गया कि नोटबंदी से देश की कृषि और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। लेकिन, कुछ समय पहले आये फसल उत्पादन में वृद्धि के आंकड़ों के बाद जहां यह साफ़ हो गया कि नोटबंदी से कृषि पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा है; वहीँ अभी हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी

भीम एप : नक़दी रहित अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा, भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम

नये साल के तोहफे के रूप में मोदी सरकार ने भारत की जनता को एक ऐसा माध्यम दिया है, जिसके इस्तेमाल से न केवल नोट की समस्या का समाधान होगा बल्कि बैंक की कतार या बैंक जाने से ही राहत मिल सकती है । जाहिर है कि 8 नवंबर को मोदी सरकार ने नोटबंदी जैसा साहसिक कदम उठाया उसके बाद से ही विपक्ष ने सरकार के इस एतिहासिक फैसले को खोखला तथा विफल बताने की बेजा कोशिश में

नोटबंदी की विफलता का बेसुरा राग

नोटबंदी को लेकर पिछले पचास दिनों में जमकर सियासत हुई । व्यर्थ के विवाद उठाने की कोशिश की गई । केंद्र सरकार पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए गए । केंद्र सरकार पर एक आरोप यह भी लग रहा है कि इस योजना से कालाधन को रोकने में कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि उसका स्रोत नहीं सूखेगा । इस तरह का आरोप लगाने वाले लोग सामान्यीकरण के दोष के शिकार हो जा रहे हैं । अर्थशास्त्र का एक बहुत ही

अपने पचास दिनों में हर तरह से लाभकारी रही है नोटबंदी

नोटबंदी के पचास दिन पूरे हो चुके हैं। बीते 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन में पांच सौ और एक हजार के नोटों को चलन से बाहर करने का निर्णय सुनाया था। निश्चित रूप से यह फैसला देश में छुपे काले धन और नक़ली नोटों के कारोबार पर सर्जिकल स्ट्राइक की तरह था। अतः आम जनता द्वारा इसका खुलकर स्वागत किया गया और नोट बदलवाने के लिए कतारों की मुश्किल से दो-चार होने