कृषि कानून

सात वर्षों में मोदी सरकार ने कृषि के लिए जितना काम किया है, उतना पिछले सत्तर वर्षों में भी नहीं हुआ!

मोदी सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत हर साल 11 करोड़ किसानों के बैंक खाते में डेढ़ लाख करोड़ रुपये भेज रही है।  

किसान हित नहीं, राजनीतिक उद्देश्यों पर आधारित है किसान आंदोलन

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद खेती की बदहाली दूर करने के लिए कई योजनाएं लागू की गईं और हर किसान के खाते में सालाना 6000 रूपये भेजे जाने लगे।

सच से दूर और राजनीति से प्रेरित है कथित किसान आंदोलन

जनता सब देख रही है और वास्तविक मुद्दों पर आधारित आंदोलन तथा राजनीति प्रेरित आंदोलन का मतलब बखूबी समझती है। इसका हिसाब भी जरूर करेगी।

संसद में विपक्ष का शर्मनाक आचरण उसकी नाकामी और बौखलाहट को ही दर्शाता है

सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के पास उचित मुद्दे नहीं हैं, इसलिए नाकामी और बौखलाहट में वो कभी शर्मनाक हंगामे से संसद को बाधित करते हैं तो कभी सड़क पर विरोध करने लगते हैं। 

भाजपा विरोधी अभियान में बदला कथित किसान आंदोलन

किसान आंदोलन अब राजनीतिक विरोध में तब्‍दील हो चुका है। यही कारण है कि आम किसान इस आंदोलन से दूरी बनाने लगे हैं।

कृषि कानूनों की कामयाबी बयां कर रही है गेहूं की रिकॉर्डतोड़ खरीद

पंजाब में 14 मई 2021 को समाप्‍त हुए गेहूं खरीद सत्र में रिकॉर्ड खरीद हुई है। इस रबी खरीद सत्र के दौरान पंजाब में नौ लाख किसानों से 132 लाख टन गेहूं की खरीद की गई।

किसान हितों को समर्पित है मोदी सरकार, इसलिए अप्रासंगिक हुआ कथित किसान आंदोलन

किसानों की आय बढ़ाने और उनकी स्थिति में सुधार लाने के लिए मोदी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। ये कृषि कानून भी इसीकी एक कड़ी हैं।

किसान आंदोलन की दशा और दिशा

अब किसान आंदोलन किसानों से निकल कर ऐसे ही संदिग्ध हाथों में पहुँच गया है। ऐसे में सरकार जिस धैर्य से काम ले रही है वो ठीक ही है।

गणतंत्र दिवस के दिन संविधान की धज्जियाँ उड़ाने वाले किसान नहीं हो सकते!

गणतंत्र-दिवस के दिन संविधान की धज्जियाँ उड़ाने वाले किसान कैसे हो सकते हैं! सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने वाले कतई किसान नहीं!

नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करने वाले बताएं कि पुराने कानूनों के रहते खेती घाटे का सौदा क्यों बन गयी?

नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करने वाले किसान यह क्‍यों नहीं बता रहे हैं कि पुराने कानूनों से खेती-किसानी घाटे के सौदे में क्‍यों तब्‍दील हो गई?