गंगा

हिमालय की गोद में हो रहे इस अनूठे प्रयास को जानते हैं आप ?

हिमालय युगों-युगों से सम्पूर्ण मानव जाति की ऊर्जा और प्रेरणा का स्त्रोत रहा है। पौराणिक काल से ही ये हमारे ऋषि मुनियों से लेकर देवी-देवताओं तक की हृदय स्थली रहा है।

मकर संक्रांति : भारतीय संस्कृति के समरस स्वरूप का महोत्सव

मकर संक्रांति भारत में विविध रूप से मनायी जाती है। इसमें भारतीय संस्कृति की विविधता झलकती है। लेकिन भाव भूमि समान है।

भारत को भारत की दृष्टि से देखने-समझने और समझाने वाले अनूठे राजनेता थे अटल जी

अटल जी सही मायनों में आधुनिक भारत के शिल्पी थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में भारतवर्ष के विकास की आधारशिला रखी और आर्थिक उन्नति की सुदृढ़ नींव खड़ी की।

जलमार्गों के जरिए बदलेगी देश की आर्थिक तस्‍वीर

हमारे देश में जलपरिवहन की समृद्ध परंपरा रही है। यहां की नदियों में बड़े-बड़े जहाज चला करते थे, लेकिन आजादी के बाद इसे बढ़ावा देने की बजाय इसकी उपेक्षा की गई। नेताओं का पूरा जोर रेल व सड़क यातायात विकसित करने पर रहा, क्‍योंकि इसमें नेताओं-भ्रष्‍ट नौकरशाहों-ठेकेदारों की तिकड़ी को मलाई खाने के भरपूर मौके थे। इतना ही नहीं, सड़क और रेल

अविस्मरणीय और अभूतपूर्व रही मोदी की कुंभ यात्रा

प्रयागराज कुंभ में करीब बाईस करोड़ लोग स्नान कर चुके हैं। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल हुआ। इस बार कुंभ की तैयारियों में अनेक अद्भुत दृश्य देखने को मिले, मोदी की कुंभ तीर्थयात्रा अविस्मरणीय बन गई। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने यहां सफाईकर्मियों के पांव पखारे, पहली बार सफाईकर्मियों का सम्मेलन हुआ, जिसमें मोदी ने उनका सम्मान

गंगा-यमुना के बाद अब नर्मदा को भी मिले जीवित मनुष्यों के समान अधिकार

जब उत्तराखंड के नैनीताल उच्च न्यायालय ने मोक्षदायिनी माँ गंगा नदी को मनुष्य के समान अधिकार देने का ऐतिहासिक निर्णय सुनाया था और गंगा नदी को भारत की पहली जीवित इकाई के रूप में मान्यता दी थी, तब ही शिवराज सिंह चौहान के मन में यह विचार जन्म ले चुका था। वह भी सेवा यात्रा के दौरान नर्मदा नदी को मनुष्य के समान दर्जा देने के लिए उचित अवसर की प्रतीक्षा कर

नमामि गंगे : निर्मल और अविरल गंगा के लिए भागीरथ प्रयास

प्रत्येक नदी अपने आप में सभ्यता का प्रतीक मानी जाती हैं और गंगा तो हजारों साल पुराने इस देश की न सिर्फ सभ्यता है, बल्कि जीवन रेखा है, वह भी अटूट श्रद्धा लिए हुए। इसका उल्लेख दो हजार साल पहले यूनानी राजदूत मैगस्थनीज ने अपनी किताब “इंडिका” में भी किया। सनातन धर्म के शास्त्र-पुराणों में यहां तक जिक्र है कि कलियुग में गंगा ही पापनाशिनी और मोक्ष प्रदायिनी है। ऋग्वेद, महाभारत, रामायण व