डीबीटी

वित्तीय समावेशन का शानदार उदाहरण बनी प्रधानमंत्री जन-धन योजना

जन-धन योजना के तहत खुले खातों की एक विशेषता यह है कि 56 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं। साथ ही, 67 प्रतिशत बैंक खाते ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों में खुले हैं।

सुशासन के द्वार की कुंजी है ई-गवर्नेंस

ई-गवर्नेंस यानी ईजी गवर्नेंस, इफेक्टिव गवर्नेंस, इकॉनोमिकल गवर्नेंस और इन्वायरमेंट फ्रेंडली गवर्नेंस। इसी ई-गवर्नेंस के अंतर्गत मोदी सरकार देश को…

मोदी सरकार की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना को मिली वैश्विक पहचान

मोदी सरकार की प्रत्यक्ष लाभ हस्‍तांतरण योजना (डीबीटी) एक बार फिर चर्चा में है। विश्व बैंक ने न सिर्फ मोदी सरकार की प्रशंसा की है बल्कि अन्य देशों को इससे सीखने की सलाह दी है।

आर्थिक सुधारों को आकार देने वाले रहे हैं मोदी सरकार के सात साल

प्रधानमंत्री मोदी के सुधारात्मक प्रयासों और समय पर आमजन व कारोबारियों को राहत देने की वजह से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ताजे आंकड़े राहत देने वाले हैं।

ई-रुपी से वित्तीय जीवन होगा आसान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अगस्त 2021 को ई-वाउचर आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली  ई-रुपी का आगाज किया। इससे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगने की उम्मीद है।

जम्मू-कश्मीर : डिजिटल इंडिया की कामयाबी का नतीजा है ‘दरबार मूव’ पर रोक

दस्‍तावेजों के डिजिटल होने से सबसे ज्‍यादा परेशानी कांग्रेसी सिस्‍टम में पले-बढ़े उन लोगों को हो रही है जिनकी रोजी-रोटी कागजी रिकॉडों के हेर-फेर से चलती थी।

दहाई आंकड़े की विकास दर एवं 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता भारत

भारत में लगभग 60 प्रतिशत आबादी गाँवों में निवास करती है अतः भारतीय अर्थव्यवस्था में आगे आने वाले समय में ग्रामीण एवं छोटे शहरों का दबदबा बना रहने वाला है।

कोरोना संकट : गरीबों के हितों के साथ-साथ राज्य के विकास को लेकर भी सक्रिय है योगी सरकार

गरीबों-मजदूरों के हितों की चिंता के साथ-साथ योगी राज्य की विकास सम्बन्धी गतिविधियों को लेकर भी सक्रिय हैं। एक्सप्रेस वे व औद्योगिक गलियारे के इस दौरान बाधित हुए कार्य में पुनः तेजी लाने का प्रयास कर रहे हैं।

डीबीटी प्रणाली के द्वारा स्थापित हो रही आर्थिक सशक्तिकरण की पारदर्शी व्यवस्था

एक प्रश्न है कि किसी भी व्यक्ति के सशक्त होने का व्यवहारिक मानदंड क्या है ? इस सवाल के जवाब में व्यवहारिकता के सर्वाधिक करीब उत्तर नजर आता है- आर्थिक मजबूती। व्यक्ति आर्थिक तौर पर जितना सम्पन्न होता है, समाज के बीच उतने ही सशक्त रूप में आत्मविश्वास के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। निश्चित तौर पर आर्थिक मजबूती के लिए अर्थ को अर्जित करना ही पड़ता है। भारतीय अर्थ परम्परा में धर्म और