पंजाब

सात वर्षों में मोदी सरकार ने कृषि के लिए जितना काम किया है, उतना पिछले सत्तर वर्षों में भी नहीं हुआ!

मोदी सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत हर साल 11 करोड़ किसानों के बैंक खाते में डेढ़ लाख करोड़ रुपये भेज रही है।  

पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में गड़बड़ी दिखाती है कि मोदी विरोध में कांग्रेस देश विरोध पर उतर आई है

मोदी विरोध करते-करते अब कांग्रेस देश विरोध पर उतर आई है। अभी तक के इतिहास में तो ऐसा नहीं देखा गया कि किसी राज्‍य में प्रधानमंत्री की सुरक्षा 20 मिनट के लिए संकट में आ जाए।

कृषि कानूनों की कामयाबी बयां कर रही है गेहूं की रिकॉर्डतोड़ खरीद

पंजाब में 14 मई 2021 को समाप्‍त हुए गेहूं खरीद सत्र में रिकॉर्ड खरीद हुई है। इस रबी खरीद सत्र के दौरान पंजाब में नौ लाख किसानों से 132 लाख टन गेहूं की खरीद की गई।

कृषि कानून की प्रतियां फाड़कर किसान आंदोलन को भुनाने की व्‍यर्थ कोशिश करते केजरीवाल

केजरीवाल को यदि वास्‍तव में अवाम की चिंता होती तो वे सबसे पहले इस कथित आंदोलन को खत्‍म कराने की पहल करते ना कि यहां अपनी नफरत की राजनीति का अवसर तलाशते।

‘क्या औरंगजेब और कुतुबुद्दीन ऐबक को अपना आदर्श मानकर चल रहे हैं इमरान खान?’

आने वाले 9 नवम्बर को करतारपुर कॉरिडोर का द्वार सिख श्रद्धालुओं के लिए खोला जा रहा है। आज़ादी के बाद से पहली बार सिख अपने गुरु नानक के उस स्थान का दर्शन दीदार कर सकेंगे, जहाँ सिखों के दसवें गुरु ने अपने आखिरी पंद्रह वर्ष बिताये थे। इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व को लेकर कोई संशय कतई नहीं है।

तो क्या अमरिंदर सरकार के धोखे के कारण पंजाब में ख़ुदकुशी कर रहे किसान !

पंजाब में लगभग एक साल के अन्दर 400 किसानों ने ख़ुदकुशी कर ली, वहीं कांग्रेस सरकार वोट की खेती करती रही। चुनाव से पहले कांग्रेस ने वादा किया था कि सारे किसानों के कर्ज माफ़ किये जाएँगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। अब सरकार ने इस वादे में काफी झोल पैदा कर दिया है। हमारे पंजाबी किसान कुछ ज्यादा ही दिलदार हैं, जो इन बेरहम नेताओं पर भरोसा कर ख़ुदकुशी कर लेते हैं। बीते साल पंजाब में कांग्रेस

वो पांच कारण जिन्होंने एमसीडी चुनाव में ‘आप’ की दुर्गति कर दी !

राजनीति का चरित्र सुधारने का दावा करके सत्ता में आये हुए एक व्यक्ति को आज जनता के जनादेश ने यह संदेश दे दिया कि उसी का राजनैतिक चरित्र सवालों के घेरे में है। आखिर क्या कारण है कि जनता के बीच सिर्फ सेवा का दावा करके आये हुए व्यक्ति को आज वो सब कुछ चाहिए जो सेवा के लिए जरूरी नहीं है ? जो नीयत की, शुद्धता की बात करते थे, आज उनकी नीयत पर खुद लोगों ने उंगली

लगातार मिल रही पराजयों से तो सबक ले आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी को शायद अब रुकना चाहिए। सांस लेकर यह सोचना चाहिए कि क्या दिल्ली में मिले मैंडेट का उसने सही उपयोग किया है? यह सोचने पर केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को समझ आएगा कि दिल्ली में मिले जनादेश का उन्होंने अपने अबतक के शासन में केवल दुरूपयोग किया है। केवल केंद्र सरकार और उपराज्यपाल से बेवजह की खींचतान और अपने लोगों को

चादर के हिसाब से पाँव फैलाना कब सीखेगी आम आदमी पार्टी ?

अकबर-बीरबल से संबंधित एक मशहूर किस्सा है। अकबर हमेशा से बीरबल की तीक्ष्ण बुद्धि और प्रतिभा से प्रभावित रहते थे। लगभग हर मसले पर बीरबल से राय मशविरा करते थे। दोनों एक दूसरे पर व्यंग्य आदि भी करते थे; कहने का अर्थ यह कि दोनों में मित्रवत संबंध थे। अकबर-बीरबल के बीच के इस तरह के संबंध को देखकर अकबर के नवरत्नों समेत अन्य दरबारियों को ईर्ष्या होती थी।

आम आदमी पार्टी के ख़त्म होते जनाधार से बौखलाहट में केजरीवाल

आम आदमी पार्टी अपना जनाधार तेज़ी से खोती जा रही है। यदि इस पार्टी को अपना वजूद बचाए रखना है, तो उसे नाटकीयता और भ्रामक बातों, दावों, नारों से ऊपर उठना होगा। याद कीजिये 2014 में दिल्‍ली का मुख्‍यमंत्री बनने के बाद सत्‍ता छोड़कर जब अगले साल केजरीवाल दोबारा सत्तारूढ़ हुए तब उनके बड़े-बड़े वादों को देखते हुए दिल्ली के मतदाताओं ने उन्हें पूर्ण बहुमत दिया।