पुतिन

समरकंद से निकला सार्थक संदेश

भारत की नजर से देखें तो समरकंद में हुए एससीओ सम्मेलन में भारत की भूमिका बेहद प्रभावी रही और प्रधानमंत्री मोदी ने अपने व्यवसायिक हितों को शीर्ष पर रखा।

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच विश्व पटल पर दिखा भारत की विदेश नीति का दम

रूस व अमेरिका दोनों के साथ संबंधों को साधना हो, इन सभी नीतियों के द्वारा भारत ने विदेश नीति के नए मानदंड स्थापित किए किए हैं।

ये छप्पन इंच की छाती का ही दम है कि अमेरिकी धमकियों के बावजूद रूस से रक्षा सौदा हो सका!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित किया कि उनके लिए राष्ट्रीय हित और सुरक्षा सर्वोच्च है। इसके लिए देश के भीतर कांग्रेस और बाहर अमेरिका का विरोध उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने रूस के साथ एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम के रक्षा सौदे को अंजाम तक पहुंचाया। अमेरिका ने इस समझौते को रोकने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। कांग्रेस राफेल की तरह इस

भारत-रूस संबंधों से सिर्फ इन दोनों देशों को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को हो सकता है लाभ !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गत दिनों संपन्न हुई ताजा अनौपचारिक रूस यात्रा को बेहद ही खास माना जा रहा है, क्योंकि दोनों नेताओं की यह मुलाकात निकट भविष्य में भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग की दशा व दिशा तय करेगी। हालांकि मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकातों का दौर इस पूरे साल चलने वाला है।

मोदी के रूस दौरे से पाक के रूस से नजदीकी बढ़ाने की कूटनीति को जोरदार धक्का लगा है !

देखा जाये तो आज विदेश नीति के मायने बदल गये हैं। पहले विदेश नीति के तहत सामरिक मामलों को तरजीह दी जाती थी, लेकिन अब इसके अंतर्गत आर्थिक मसलों को केंद्र में रखा जाता है। आज की तारीख में छोटे देश भी परमाणु हथियार से लैस हैं। ऐसे में कोई भी देश किसी दूसरे देश पर हमला करने की हिमाकत नहीं कर सकता है।